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27 जुलाई 2011

डीयू : सत्र शुरू,पर पढ़ाई का बंटाधार

दिल्ली विश्वविद्यालय में नए सत्र के एक सप्ताह बीतने को है पर कॉलेजों में पढ़ाई अभी ढंग से शुरू नहीं हुई है। कई बड़े कोर्स में रिजल्ट नहीं आने से दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्र अभी अपनी कक्षाओं से दूर हैं। छात्रों की इस गैरमौजूदगी का शिक्षक भी खूब फायदा उठा रहे हैं। कोई शिक्षक संघ के प्रचार में जुटा है तो कोई अन्य घरेलू कामों में।

कॉलेजों में २१ जुलाई से सत्र शुरू हो गया है। सेमेस्टर के तहत प्रथम वर्ष के छात्रों की कक्षाएं शुरू हो गई हैं लेकिन दूसरे और तीसरे वर्ष की नहीं। ज्यादातर सीनियर छात्र अपना रिजल्ट नहीं आने से क्लास रूम में बैठने से दूर भाग रहे हैं। मंगलवार तक विश्वविद्यालय में बीए आनर्स पंजाबी, उर्दू, समाजशास्त्र, गणित, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, कंप्यूटर साइंस के प्रथम और दूसरे वर्ष के रिजल्ट नहीं आए थे। बीएससी लाइफ साइंस पार्ट टू, बायोकेमिस्ट्री पार्ट वन, फिजिकल साइंस पार्ट टू के भी रिजल्ट घोषित नहीं किए गये थे। लोकप्रिय कोर्स बीए प्रोग्राम, बीकॉम और बीकॉम आनर्स का भी यही हाल है। इनमें भी दूसरे और प्रथम वर्ष के परीक्षा परिणाम जारी नहीं किए गये हैं। रामजस कॉलेज की छात्रा रोहिणी ने बताया कि परीक्षा परिणाम को लेकर छात्र ज्यादा उत्सुक हैं। सेशन शुरू होने पांच दिन बाद भी बीए प्रोग्राम के रिजल्ट नहीं आए हैं। दयाल सिंह कॉलेज के प्राचार्य आईएस बख्शी ने बताया कि प्रथम वर्ष की सभी कक्षाएं लग रही हैं लेकिन दूसरे और तीसरे वर्ष की कई कक्षाएं रिजल्ट में देरी से प्रभावित हो रही हैं। हालांकि शिक्षकों को प्रशासन ने निर्देश दे दिया है कि वे अन्य कक्षाओं में भी पढ़ाई जारी रखें।

परीक्षा विभाग के डीन प्रो आरसी शर्मा रिजल्ट में देरी की बात से इंकार करते हुए कहते हैं, तय कार्यक्रम के हिसाब से हर दिन किसी न किसी कोर्स के रिजल्ट निकाले जा रहे हैं। अगले सप्ताह तक अन्य कोर्स के रिजल्ट भी आ जाएंगे। उनका दावा है कि जिन कोर्सों में पिछले साल सेमेस्टर लागू हुए हैं उसमें रिजल्ट की दिक्कत नहीं है।


अतिरिक्त पाली में कक्षाएं शुरू करने की मांग
भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के महामंत्री कुलजीत सिंह चहल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में अतिरिक्त पाली में कक्षाएं शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक नए विश्वविद्यालय की आवश्यकता है। ९० से ९५ प्रतिशत अंक लाने वाले हजारों छात्रों को उनके मनपसंद कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाया है(नई दुनिया,दिल्ली,27.7.11)।

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