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30 जुलाई 2011

पत्राचार संस्थान कानपुर के डिग्री धारकों को बर्खास्त करने के आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं मंडलीय शिक्षा निदेशकों को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर इंटर मीडिएट कालेजों में नियुक्त अध्यापकों को बर्खास्त करें। तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे अध्यापकों को आगे भुगतान नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने संस्थान की शिक्षा अलंकार डिग्री को अवैध करार दिया है। न्यायालय ने शिक्षा विभाग में अपात्र व्यक्ति की नियुक्ति व प्रोन्नति के लिए जिम्मेदार मिर्जापुर के जिला विद्यालय निरीक्षकों व मंडलीय शिक्षा निदेशक से गलत ढंग से नियुक्त अध्यापकों से वेतन की वसूली किये जाने तथा शिक्षा सचिव को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने मिर्जापुर के जिलाधिकारी को इस मामले में लिप्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने गांधी विद्यालय इंटर कालेज मिर्जापुर के अध्यापक राजनाथ राम की नियुक्ति की जांच कराये जाने का निर्देश दिया है। साथ ही न्यायालय ने याची विनोद कुमार उपाध्याय की नियुक्ति को रद करते हुए दस हजार रुपये हर्जाना लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने विनोद कुमार उपाध्याय की याचिका को खारिज किया है। न्यायालय ने कहा है कि यह ऐसा मामला है कि जहां अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का अपने फायदे के लिए कानून के विपरीत जाकर व्याख्या की। ऐसे में इन अधिकारियों के कार्य से राज्य निधि को हुए नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए। साथ ही धोखाधड़ी करने के लिए इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाए। अधिकारियों ने प्रबंध समित की मिलीभगत से अयोग्य लोगों की न केवल नियुक्ति की अपितु कानून को ताक पर रखकर पदोन्नति भी की। याची की नियुक्ति बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर की गयी। और राजनाथ राम तदर्थ अध्यापक को नियमित किये बगैर तदर्थ पदोन्नति की गयी। न्यायालय ने कहा कि शिक्षा जनतंत्र की रीड़ है। अधिकारियों को इसकी शुद्धता को रौंदने की अनुमति नहीं दी जा सकती। याची के पास वैध डिग्री नहीं थी, फिरभी उसकी नियुक्ति कर दी गयी। साथ ही उसे सामान्य ग्रेड में नियुक्ति दी गयी, जबकि ऐसा कोई ग्रेड नहीं है। इसे नियुक्ति देने के लिए तदर्थ अध्यापक को तदर्थ प्रोन्नति दे दी गयी। शिक्षा अधिकारियों ने जो चाहा कर डाला। ऐसे में इनके गलत कार्य से जो क्षति सरकारी खजाने में हुई है, अधिकारियों से उसकी भरपायी की जाए(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,30.7.11)।

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