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03 जुलाई 2011

यूपी के ६२ राजकीय स्कूलों में सभी पद खाली

उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र के गृह जनपद में ही ६२ ऐसे राजकीय हाईस्कूल हैं जहां प्रभारी प्रधानाचार्य को छो़ड़कर अध्यापकों, क्लर्क आदि के सभी पद खाली हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियुक्त प्रभारी प्रधानाचार्य केवल विद्यार्थियों के प्रवेश का कागजी कोरम पूरा कर रहे हैं। इन विद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन कागज पर होता है। ऐसा तब है जब बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य रूप से गुणात्मक शिक्षा देने के उद्देश्य के लिए संचालित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम २००९, एक जुलाई २०१० से पूरे देश में लागू हो चुका है।विंध्याचल मंडल के शिक्षा सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा अभियान के तहत मंडल के तीनों जिलों-मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र में पहले चरण में २० जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत कर हाईस्कूल की मान्यता प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई । इनमे मिर्जापुर जिले में सात, भदोही में दस तथा सोनभद्र में तीन स्कूल शामिल हैं ।


इस वर्ष मिजापुर में १६, भदोही में १२ तथा सोनभद्र में १४ स्कूलों को शामिल किया गया है । विडंबना है कि इन विद्यालयों को हाईस्कूल की मान्यता दे दी गई है और छात्रों को प्रवेश भी दे दिए गए हैं लेकिन इन स्कूलों में न तो भवन हैं और न ही अध्यापक। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत राजकीय इंटर कॉलेज के एक-एक अध्यापक को प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में कार्य करने के लिए तैनात कर रस्म अदायगी पूरी कर ली। अध्यापकों के अभाव में विद्यालय में प़ढ़ाई का कार्य असंभव है । लिहाजा इन विद्यालयों में पूरे वर्ष न कक्षाएं चलती हैं, न ही कोई शैक्षणिक वातावरण ही बन पाया। विंध्याचल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक उपेंद्र कुमार अध्यापकों की भारी कमी की बात स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि इन विद्यालयों के लिए सात-सात अध्यापकों के पद स्वीकृत किए गए हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सचिव ने बताया कि लगभग ७००० नवीन माध्यमिक विद्यालयों की आवश्यकता है। इनमें से अभी २५४ विद्यालय ही स्वीकृत हुए हैं। वर्तमान वर्ष २०११ में १७५९ और विद्यालयों के प्रारंभ किए जाने का प्रस्ताव है। सवाल यह है कि विद्यालय खोल देने भर से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान क्या सफल हो जाएगा? जनगणना-२०११ के अनुसार प्रदेश में छह से १४ वर्ष आयु वर्ग के १,५२,८२९,१० बच्चे विद्यालय जाने से वंचित हैं। १५ से १८ वर्ष की आयु के ८०,०१,३६८ बच्चे वंचितों की श्रेणी में हैं। जनगणना के अनुसार ६ से १४ वर्ष के बच्चों की संख्या ४,१७,२९४,४९ जिसें १,५१,४८९,५६ बालक व १२९७५८३ बालिका विद्यालय जाते हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत बच्चों के आवास से ५ किमी की दूरी पर विद्यालय उपलब्ध कराना राज्य व केंद्र सरकारों का उत्तरादायित्व है। वर्तमान स्थिति यह है कि किसी भी विद्यालय में कोई भी प्रशिक्षित अध्यापक नहीं है। सूत्रों की मानें तो निकट भविष्य में अध्यापकों की पूर्ति संभव नहीं लगती है। जब प्रदेश शिक्षा मंत्री के गृह नगर में यह स्थिति है तो पूरे प्रदेश में शिक्षा के स्वास्थ्य का आकलन स्वयं लगाया जा सकता है। फिलहाल विंध्याचल मंडल के २८ राजकीय इंटर कालेजों में शिक्षकों की पहले से ही कमी है।इन ६२ नए विद्यालयों ने भी इन कॉलेजों का स्वरूप बिगा़ड़ दिया है(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,3.7.11 में मिर्जापुर संवाददाता की रिपोर्ट)।

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