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28 सितंबर 2011

मैट से मैनेजमेंट की राह

बिजनेस स्कूलों में ऐडमिशन लेने के लिए कैट और मैट, दो एग्जाम्स प्रमुख हैं। मैट की खासियत यह है कि यह एग्जाम साल में चार बार होता है: फरवरी, मई, सितंबर और दिसंबर। इस एग्जाम में बैठने के लिए स्टूडेंट का ग्रैजुएट या ग्रैजुएशन अंतिम वर्ष का स्टूडेंट होना जरूरी है। परसेंटेज की बात करें तो अलग अलग बिजनेस स्कूलों या यूनिवर्सिटीज के अपने-अपने मापदंड हैं और इसके लिए आपको अपने पसंद के संस्थान से ही पता करना होता है।

मैट के साल में चार बार होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि असफल हो जाने पर भी आपका साल बर्बाद होने जैसी बात नहीं है। आपको एक बार में हुई गलती को दूर करने का मौका चार महीने बाद ही मिल जाता है। मैट का पैटर्न भी फिक्सड है। पेपर में कुल पांच हिस्से होते हैं: मैथ्स, डाटा इंटरप्रेटेशन, रीजनिंग, लैंग्वेज कॉम्प्रीहेंशन और जनरल नॉलेज (भारतीय व वैश्विक परिवेश)। मैट का पेपर कठिन तो होता है, लेकिन इतना भी नहीं कि आप कर नहीं सकते। बेसिक कॉन्सेप्ट क्लीयर हो, तो आप इसमें बेहतर प्रर्दशन कर सकते हैं।

सिक्शनल कट ऑफ नहीं
मैट में सबसे अच्छी बात है कि इसमें सिक्शनल कट ऑफ नहीं होता है। आप अगर अपने मजबूत पक्ष पर ध्यान देंगे तो इसमें अच्छा स्कोर कर सकते हैं। अगर आप ने दो सौ में से आधे सवाल भी ठीक-ठीक कर दिए तो अच्छा परसेंटाइल लाना पक्का है। याद रखें पढ़ाई के साथ सक्सेस के लिए प्रैक्टिस अहम है। गणित की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों से मदद लें और चाहें तो कोचिंग करें। कोचिंग लेने से आपको डाटा इंटरप्रेटेशन में भी मदद मिलेगी। और सबसे बड़ी बात कि समय का ख्याल रख ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। अगर डमी टेस्ट में 90 से ज्यादा परसेंटाइल ला रहे हैं तो आप अच्छे कॉलेज में प्रवेश पाने की उम्मीद कर सकते हैं। लैंग्वेज कॉप्रीहेंशन की बेहतर तैयारी के लिए रीडिंग अच्छी होनी चाहिए। साथ ही वॉकेबलरी का भी अच्छा होना जरूरी है। मॉक टेस्ट से काफी मदद मिल सकती है। जहां तक माकिंर्ग की बात है तो नेगेटिव मार्किंग भी होती है। सही प्रश्न के चार अंक मिलते हैं और गलत होने पर एक अंक काट लिए जाते हैं।

एग्जाम में क्या

पेपर में नेगेटिव मार्किंग भी होती है। इसलिए उतने ही प्रश्न करें जो आपको आते हैं। हां, हल किए गए प्रश्नों में से कम से कम 80-85 फीसदी और कुल प्रश्नों के हिसाब से 50 फीसदी से ऊपर प्रश्न सही होने चाहिए। स्पीड, एक्युरेसी और टाइम लिमिट को ध्यान में रखते हुए तैयारी करनी चाहिए। 
पेपर के पांच सेक्शन 
सभी सेक्शनों में 40-40 सवाल होते हैं। कुल 200 सवाल होते हैं। 

मैथ्स 
यह पेपर बेसिक और कैलकुलेटिव होता है। ज्यादा तर सवाल फॉर्म्युले पर आधारित होते हैं। इसी आधार पर सवालों को हल करना होता है। हर प्रश्न के चार विकल्प होते हैं। इसमें अर्थमेटिक्स, परसेंटेज, प्रॉफिट एंड लॉस, सिंपल एंड कंपाउंड इंट्रेस्ट, स्पीड व डिस्टेंस वगैरह पर सवाल होते हैं। लेवल की बात करें तो कुछ टॉपिक 12वीं स्तर तक के भी होते हैं। 

जनरल नॉलेज 
इस सब्जेक्ट के स्कोर को परसेंटाइल में शामिल नहीं किया जाता है। कई कॉलेज हालांकि जीके के स्कोर को भी देखते हैं। ध्यान रहे अन्य विषयों के लिए जहां 30 से 40 मिनट का समय मान कर चला जाता है वहीं जीके के लिए 15 मिनट का ही समय एग्जाम आयोजकों की ओर से माना गया है। 

मैथ्स 
ज्यादा तर सवाल फॉर्म्युले पर आधारित होते हैं। इसी आधार पर सवालों को हल करना होता है। लेवल की बात करें तो कुछ टॉपिक 12स्तर तक के भी होते हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह पेपर बेसिक और कैलकुलेटिव होता है। इसमें अर्थमैटिक्स, परसेंटेज, प्रॉफि़ट ऐंड लॉस, सिंपल ऐंड कंपाउंड इंटरेस्ट, स्पीड व डिस्टेंट वगैरह पर सवाल होते हैं। लेवल की बात करें तो कुछ टॉपिक 12स्तर तक के भी होते हैं। 

रीजनिंग 
इसमें कोडिंग ऐंड डीकोडिंग, डायरेक्शन सेंस, रीजन ऐंड एसरशन, ब्लड रिलेशन, स्टेटमेंट कनक्लूजन, इंफ़रेंशियल रीजनिंग, एनालिटिकल रीजनिंग आदि टॉपिक्स पर सवाल पूछे जाते हैं। 

लैंग्वेज 
इसमें रीडिंग कॉम्प्रीहेंशन, पैरा जंबल, ग्रामर आदि से संबंधित प्रश्न आते हैं। 

डेटा इंटरप्रेटेशन 
इसमें टेबल, बार ग्राफ़, लाइन ग्राफ़, पाइ चार्ट, डेटा सफि़शिएंस के टॉपिक्स आते हैं।
(निर्भय कुमार,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,28.9.11)

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