मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

10 अक्तूबर 2011

जम्मू-कश्मीरःविश्वविद्यालयों में इसी महीने बढ़ेगी रिटायरमेंट की आयु

सरकार इस दीपावली पर कालेज व यूनिवर्सिटी टीचरों को रिटायरमेंट आयु में वृद्धि का तोहफा दे सकती है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि उच्च शिक्षा विभाग में इसे लेकर काफी हलचल है। उस लिहाज से यह लगभग तय है आगामी कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव पेश होगा। इस बात की पूरी संभावना है कि कैबिनेट इसे तत्काल मंजूरी दे देगा। यदि ऐसा होता है तो सैकड़ों कालेज व यूनिवर्सिटी टीचरों को इसका फायदा मिलेगा। विदित रहे कि पिछले दो वर्षो से कालेज व यूनिवर्सिटी लगातार यह मांग उठाते आ रहे हैं। लेकिन अब तक उन्हें सरकार की ओर से केवल आश्वासन ही मिले हैं।

हाल ही में कश्मीर यूनिवर्सिटी और जम्मू यूनिवर्सिटी की काउंसिल बैठकों में इस प्रस्ताव को रखा गया था। उस पर सरकार ने दोनों यूनिवर्सिटियों को निर्देश दिया था कि वे अलग से इसका नोट बनाकर सरकार को पेश करें। ताकि इससे जुडे सभी पहलुओं पर भली-भांति विचार करने के बाद इसे कैबिनेट में प्रस्ताव के रूप में मंजूरी के लिए भेजा जा सके। इसी संदर्भ में उच्च शिक्षा कमिश्नर आयुक्त ने दोनों यूनिवर्सिटियों से जरूरी जानकारी भी जुटाई है।

उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल गनी मलिक ने बताया कि सरकार की संजीदगी से इस बारे में काम कर रही है। रिटायरमेंट आयु की वृद्धि को लेकर सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। कोशिश है कि आगामी कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव पेश किया जाए। उसके बाद फैसला कैबिनेट निर्णय पर निर्भर करता है।

यदि प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलती है तो कालेज टीचरों की रिटायरमेंट आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी। उसी प्रकार यूनिवर्सिटी टीचरों की रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़कर 62 हो जाएगी। रियासत में लगभग ढ़ाई हजार कालेज टीचर हैं। जबकि जम्मू और कश्मीर यूनिवर्सिटी में टीचरों की संख्या 550 के करीब है। इस प्रकार कुल 3 हजार लोगों को इससे फायदा पहुंचेगा। वैसे भी यूजीसी ने छठे वेतन आयोग के एरियर्स जारी करने के लिए सरकार के आगे शर्त रखी थी कि सभी यूनिवर्सिटी व कालेज टीचरों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाई जाए। इसके अतिरिक्त अन्य शर्ते भी मानने को कहा गया। एरियर्स के 80 प्रतिशत का भुगतान यूजीसी को करना है, जबकि बाकी बचे 20 प्रतिशत का भुगतान सरकार की ओर से होना है। इसी के चलते रिटायरमेंट आयु का बढ़ाना सरकार की मजबूरी है(देवेंद्र पाधा,दैनिक भास्कर,जम्मू,10.10.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।