सेमेस्टर शुरू होने से पहले यूनिवर्सिटी सालभर (एक शैक्षणिक सत्र में करीब 190 कार्य दिवस) में आसानी से ढाई सौ परीक्षाएं करवाती थीं लेकिन अब उसे छह सौ परीक्षाएं करवाना पड़ रही हैं। यानी, औसतन हर दिन तीन परीक्षाएं।
इस व्यवस्था से ही निपटने में नाकाम यूनिवर्सिटी को अब प्राइवेट परीक्षाओं में भी इसे लागू करने का फरमान आ गया है। इससे यूनिवर्सिटी को 40 हजार अतिरिक्त विद्यार्थियों की साल में दो बार परीक्षाएं लेना पड़ेंगी। हालांकि इसको लेकर अलग-अलग मत आने के बाद शासन ने यूनिवर्सिटी को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कह दिया है। कुलसचिव आर.डी. मूसलगांवकर का कहना है कि कुलपति से चर्चा कर जल्द ही इस पर निर्णय लेंगे।
पहली बार 1976 में लागू हुआ था सेमेस्टर- प्रदेश में सबसे पहले देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 1976 में तत्कालीन कुलपति एम.एस. सोडा ने यूटीडी व सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया था लेकिन छह माह बाद इसे हटाना पड़ा था। यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में यह लागू नहीं था। लगभग तीन साल पहले इसे सभी कोर्सेस के लिए लागू किया गया।
एक्सपर्ट्स : आखिर कैसे सुधरे व्यवस्था
सरकार सेमेस्टर सिस्टम को पहले स्नातकोत्तर, फिर छोटी फैकल्टी वाले कोर्सेस और उसके बाद अन्य कोर्सेस में लागू करती। व्यवस्था को दोष देने के बजाय जिम्मेदार अधिकारी अपनी व्यवस्था सुधारें। जो स्टाफ व संसाधन हैं, उसमें यह काम हो सकता है।
- सुधाकर भारती, पूर्व रेक्टर, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी
सेमेस्टर सिस्टम छोटे स्तर पर ज्यादा कारगर ढंग से लागू किया जा सकता है। मसलन, होलकर साइंस कॉलेज या प्रेस्टीज कॉलेज, यहां सेमेस्टर सिस्टम को लेकर कोई शिकायत नहीं है। यूनिवर्सिटी को कॉलेजों को स्वायत्ता देना चाहिए और खुद मॉनिटरिंग करे।
- डॉ. वी.एस. भंडारी, पूर्व प्राचार्य
सेमेस्टर सिस्टम पूछे बगैर लागू कर दिया गया। हम सेमेस्टर के विरोध में है लेकिन पहले सरकार संसाधन उपलब्ध करवाती और उसके बाद लागू करवाती तो अच्छा होता।
- डॉ. डी.पी. मिश्रा, अध्यक्ष प्राचार्य मंच
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने से पहले उच्च शिक्षा विभाग ने दो बैठकें की। उस समय सभी ने सहमति दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सेमेस्टर सिस्टम लागू करवाने का आदेश दिया। फिर यूजीसी ने अनुशंसा की, जिसके चलते ही इसे लागू किया गया था। हालांकि वर्तमान स्थितियों पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि मैं डेढ़ साल पहले ही इस विभाग से हट गया था।
- आशीष उपाध्याय, तत्कालीन प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा
(इनके कार्यकाल के दौरान ही यह निर्णय लिया गया था)
इस तरह होती हैं 600 परीक्षाएं
-50 कोर्स स्नातक स्तर पर संचालित
-300 परीक्षाएं हर साल, छह सेमेस्टर (हर कोर्स तीन साल का)
-100 परीक्षाएं एटीकेटी की
- 30 कोर्स स्नातकोत्तर स्तर पर संचालित
-120 परीक्षाएं व 50 एटीकेटी (कोर्स दो साल का और कुल चार सेमेस्टर)
- 25 से अधिक अन्य डिप्लोमा कोर्स, मेडिकल कोर्सेस की परीक्षाएं
यूनिवर्सिटी के पास संसाधन
-1.30 लाख नियमित छात्र > 40 हजार प्राइवेट छात्र
- 20 परीक्षा केंद्र शहर में > 40 शहर के बाहर संभाग में
-1000 शिक्षक मूल्यांकन के लिए
- 20 लाख से अधिक उत्तर पुस्तिकाएं लगती हैं हर साल
व्यवस्थाएं सुधारेंगे
यह सही है सेमेस्टर सिस्टम के कारण परीक्षा लेने और परिणाम घोषित करने में देरी हो रही है लेकिन अगले सत्र से व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी। प्राइवेट विद्यार्थियों के लिए सेमेस्टर लागू करने से असर नहीं पड़ेगा।
- वी.एस. निरंजन, आयुक्त, उच्च शिक्षा(दैनिक भास्कर,इन्दौर,6.12.11)
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