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15 दिसंबर 2011

छह साल से पहले न शुरू हो बच्चों की स्कूली शिक्षा

छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं होने की वकालत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरे देश में नर्सरी में दाखिले की उम्र में एकरूपता लाने के लिए सांसदों और राज्य सरकारों से सहयोग मांगा है। सिब्बल ने कहा कि बगैर सहयोग के शिक्षा क्षेत्र में सुधार मुमकिन नहीं है। बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेंद्र रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि सीबीएसई के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक गांगुली ने दिल्ली च्च्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर नर्सरी में दाखिले से जुड़े विषयों पर 31 मार्च 2007 को रिपोर्ट पेश कर दी थी। उन्होंने कहा कि समिति ने सिफारिशों में कहा था कि नर्सरी में दाखिले के लिए च्च्चे को चार वर्ष की उम्र पूरी करना चाहिए। दिल्ली की सरकार ने इस सिफारिश को मान लिया। सिब्बल ने कहा कि नर्सरी और प्राथमिक कक्षा में दाखिले की निगरानी राज्य सरकार की ओर से की जाती है। इस कारण केंद्र इसमें दखल नहीं करती है। नर्सरी में बच्चों का दाखिला कराने में अभिभावकों को पेश आ रही परेशानी और निजी स्कूलों की ओर से इसे धन कमाने का माध्यम बनाए जाने पर सदस्यों की चिंताओं पर मंत्री ने कहा कि दो-तीन वर्ष के च्च्चों पर स्कूली बस्ते का बोझ डालना गलत है। इस विषय में दाखिले की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए सदस्य संसद में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास करें तभी आगे बढ़ा जा सकता है। लेकिन तब राज्य इसमें बाधा नहीं डालें। सिब्बल ने कहा कि उनका मानना है कि छह वर्ष से पहलेच्बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पहलेच्बच्चों के खेलने की उम्र होती है। कई राज्यों में यह उम्र पांच वर्ष है। इस पर कुछ सदस्यों ने कहा कि सिब्बल शिक्षा में सुधार की जल्दबाजी में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतना चाहते है। सिब्बल ने कहा कि विपक्षी सदस्य दौड़ शुरू ही नहीं करने दे रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.11)।

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