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01 जून 2012

छत्तीसग़ढ़ःसरकार को नहीं पता कि चिकित्सक अपने नाम के आगे डाक्टर क्यों लिखते हैं

चिकित्सक आखिर किस नियम के तहत अपने नाम के आगे डॉक्टर लिख रहे हैं? सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए इस सवाल ने चिकित्सा शिक्षा विभाग उलझा दिया है। कई दिनों तक फाइलों को उलटने-पलटने के बाद विभाग जवाब नहीं तलाश कर सका। आखिरकार सवाल पूछने वाले को चिट्ठी देकर आयुष विश्वविद्यालय का रास्ता दिखा दिया। 

मेडिकल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी को जितने भी सर्टिफिकेट या डिग्री दी जा रही है, उसमें विद्यार्थी के नाम के आगे कहीं भी डाक्टर शब्द का उपयोग नहीं किया जाता। यानी विश्वविद्यालय मेडिकल के किसी भी विद्यार्थी को डाक्टर लिखकर न तो संबोधित करता है और ही डिग्री में लिखकर देता है। इसी को आधार बनाकर एम अग्रवाल ने पिछले दिनों चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में सूचना के अधिकार के तहत सवाल पूछा। उन्होंने यही पूछा कि चिकित्सक किस नियम के तहत डाक्टर लिख रहे हैं? 

चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए कई दिनों तक माथापच्ची की। इंटरनेट के माध्यम से मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के नियमों को भी खंगाला। कहीं भी ऐसा नियम नहीं मिला, जिसके तहत यह बताया जा सके कि उपचार करने वाले इस नियम के तहत अपने नाम के आगे डाक्टर शब्द लिख रहे हैं। 

मेडिकल कालेज में कहीं पद नहीं 
मेडिकल कालेज में भी प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के नाम से पद हैं। डाक्टरों के पद इन्हीं नामों से स्वीकृत हैं। डाक्टर शब्द से कोई पद नहीं है। 1303 से प्रचलन में : डाक्टर लेटिन शब्द है। इसका आशय पढ़ाने से है। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिक्शनरी के मुताबिक 1303 से यूरोप में सबसे पहले डाक्टर शब्द का उपयोग हुआ। धार्मिक ग्रंथ के विद्वानों को सबसे पहले डाक्टर पुकारा जाने लगा। कुछ समय बाद टीचरों को भी डाक्टर पुकारा जाने लगा। 

ट्रीटमेंट करने वालों के लिए डाक्टर शब्द का प्रयोग 1377 से किया जाने लगा। यूरोप के बाद अमेरिका और इंग्लैंड में इस शब्द का उपयोग शुरु हुआ। धीरे-धीरे पूरे विश्व में इसी शब्द का प्रयोग शुरु हो गया। यह प्रथा अब तक चली आ रही है। डाक्टर लिखने का अधिकार केवल पीएचडी करने वालों?: विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वालों को बाकायदा डाक्टरेट की उपाधि दी जाती है। किसी भी विषय पर शोध पूरा करने वाले को विश्वविद्यालय पीएचडी प्रदान करता है। उन्हें डाक्टर की उपाधि दी जाती है। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या पीएचडी करन वाले ही नियमानुसार डाक्टर लिख सकते हैं? 

क्या कहते हैं अफसर यह पुरानी प्रथा है। जहां तक मैं समझता हूं कि इस बारे कोई नियम नहीं है। इसके बावजूद अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। इस बारे में परीक्षण करने के बाद ही स्पष्ट जानकारी दी जा सकेगी। छत्तीसगढ मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले चिकित्सक को एक प्रमाणपत्र देने का प्रावधान है। उसमें नाम के आगे डाक्टर लिखा जाता है। डा. एटी दाबके, कुलपति आयुष(दैनिक भास्कर,रायपुर,1.6.12)

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