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12 जून 2012

गोरखपुरःविवि ने आनलाइन अपनाया, कालेजों को आफलाइन भाया

स्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय ने आन लाइन को अपनाया है वहीं विद्यार्थियों व महाविद्यालयों को आफ लाइन भा रहा है। विवि में आन लाइन फार्म शत प्रतिशत जबकि कालेजों में आफ लाइन फार्म नब्बे फीसद भरा जा रहा है। आन लाइन फार्म भरने में शहर व ग्रामीण दोनो क्षेत्रों के विद्यार्थियों को असुविधा व परेशानी हो रही है। विवि में विकल्प न होने से आन लाइन फार्म भरना सभी की मजबूरी बन गयी है। सो तमाम झंझावत व कष्ट झेल छात्र न चाहते हुये भी मजबूरन आन लाइन फार्म भर रहे हैं। 

जागरण ने आन लाइन व्यवस्था पर छात्रों से बातचीत की तो उनका दर्द उभर कर सामने आया। विवि व एम.पी. पीजी कालेज जंगल धूसड़ में प्रवेश के लिये बस्ती से आये छात्र ओम प्रकाश तिवारी, संत कबीर नगर के छात्र राजकुमार यादव, नाथनगर के राजेश कुमार त्रिपाठी, धनघटा के रोहित मिश्र, मेहदावल के विष्णुकांत शर्मा, देवरिया के महेन निवासी संजय प्रसाद, सलेमपुर के राधेश्याम, गौरीबाजार के राधेरमण, शिवसरन, चौरीचौरा के घनश्याम तिवारी, राप्तीनगर के पवन पांडेय आदि छात्र आन लाइन फार्म भरे जाने की व्यवस्था से व्यथित थे। उन्होंने कहा कि इसके लिए चार बार महानगर में स्थित कैफे में आना पड़ा। तीन बार सर्वर डाउन होने से फार्म नहीं भर सका। आज चौथी बार आया तो सफल हुआ। फार्म भरे जाने के बाद फीस जमा करने के लिये बैंक जाना पड़ रहा है। 

छात्रा नेहा यादव ने कहा कि विवि को आन लाइन व आफ लाइन दोनो विकल्प देना चाहिये था क्योंकि नब्बे फीसदी छात्र मध्यम वर्गीय परिवारों से जुड़े हैं। पांच दिन लगातार कैफे में जाने के बाद आज फार्म भर पायी लेकिन अब फीस जमा करने के लिये बैंक का चक्कर लगाना पड़ेगा। 

आन लाइन फार्म से होने वाली दिक्कत उन हजारों छात्र-छात्राओं की है जो देहात में रहते हैं। बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर व देवरिया जिला मुख्यालय पर यह सुविधा तो है पर वहां बार-बार सर्वर डाउन होने से दिक्कत बढ़ी है। 

संस्था को लाभ, छात्रों को हानि 
आन लाइन फार्म भरने का लाभ सिर्फ संस्था को है। पहला यह कि संस्था में भीड़ नहीं जुटेगी और दूसरा यह कि तुरंत डाटा बेस तैयार हो जायेगा। हालांकि आन लाइन का सबसे अधिक नुकसान छात्रों व अभिभावकों को है। फार्म भरने के लिए उन्हें कैफे से लेकर बैंक तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जेब भी ढीली हो रही है और समय भी अधिक खर्च हो रहा है। 

विवि को दोनो विकल्प देना चाहिए : डा. प्रदीप राव 
स्नातक में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय को आन लाइन के साथ ही आफ लाइन का विकल्प भी देना चाहिये। सिर्फ संस्था का डाटा बेस तैयार करने के लिये हजारों छात्रों को कष्ट देना व अभिभावकों पर आर्थिक बोझ लादना उचित नहीं है। ये बातें एम.पी. पी.जी. कालेज के प्राचार्य डा. प्रदीप राव ने कहीं। 

डा. राव ने कहा कि उनके कालेज में नब्बे फीसद विद्यार्थियों ने आफ लाइन को तवज्जो दी है। अभिभावक भी आन लाइन से दु:खी हैं और आफ लाइन फार्म भरने की जिद कर रहे हैं। इस संदर्भ में कुलपति प्रो. पी.सी. त्रिवेदी से वार्ता की कोशिश की गयी पर उन्होंने फोन नहीं उठाया(दैनिक जागरण,गोरखपुर,12.6.12)।

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