उत्तराखंड के होम्योपैथिक डिग्रीधारियों को राज्य सरकार की अनदेखी व कुमाऊं विश्वविद्यालय की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सरकार ने 60 पदों पर विज्ञप्ति जारी कर दी है, लेकिन राज्य के अभ्यर्थियों का एक साल बाद भी पंजीकरण न होने से आवेदन करना संभव नहीं हो पाएगा। इससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
चंदोला होम्योपैथी मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल रुद्रपुर से वर्ष 2002 से बीएचएमएस का पहला बैच शुरू हुआ। अब तक तीन बैच की पढ़ाई पुरी हो चुकी है। तमाम विवादों के बाद 69 छात्र-छात्राएं इंटर्नशिप भी पूरी कर चुके हैं। साढ़े पांच साल के इस कोर्स को पूरा करने में साढ़े आठ साल का वक्त लग गया। इसके बाद एक साल की इंटर्नशिप भी पूरी हो गयी है, लेकिन अभी तक रजिस्ट्रार होम्योपैथी मेडिसन बोर्ड उत्तराखंड में उनका पंजीकरण नहीं हो सका है। इसके लिए लंबे समय से मांग हो रही है। बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जबकि कई मामले अभी उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन चल रहे हैं। राज्य सरकार ने 11 जनवरी को होम्योपैथिक चिकित्सकों के 60 पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी है। सात फरवरी इसकी अंतिम तिथि भी घोषित की गयी है। विडंबना यह है कि राज्य के 69 होम्योपैथिक डिग्रीधारी राज्य सरकार की अनदेखी और कुमाऊं विश्वविद्यालय की लापरवाही के चलते आवेदन नहीं कर सकेंगे। इसका कारण है कुमाऊं विवि का शिड्यूल टू में शामिल न होना। इसके लिएकेंद्रीय होम्योपैथी परिषद (सीसीएच) ने 12 जुलाई 2010 को कुमाऊं विवि से सात बिन्दुओं पर आख्या मांगी, लेकिन विवि ने अभी तक इसका जवाब देना उचित नहीं समझा। अब कुमाऊं विवि के कुलसचिव केएस नेगी कहते हैं कि इस मामले की जानकारी कर रहा हूं, कल दिखवाता हूं इसे कल ही भिजवाऊंगा।
इस मामले में भारत सरकार को भी लिखा गया है। फोन पर भी वार्ता हुई है। जल्द ही मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। बिना पंजीकरण के अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए कुमाऊं विवि को शिड्यूल टू में आना जरूरी है-राजीव गुप्ता,प्रमुख सचिव, आयुष(दैनिक जागरण संवाददाता,हल्द्वानी,24.1.11)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।