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23 जनवरी 2011

मध्यप्रदेशःसंविदा परीक्षा ने बढ़ाई बी.एड. की डिमांड

महज छह माह के अंतराल में बैचलर ऑफ एजूकेशन का रुतबा प्रदेश में बढ़ गया है। अप्रैल में हुई काउंसलिंग में चार चरणों के बाद भी पांच हजार सीटें खाली रह गई थीं। वहीं सत्र 2010-11 के लिए शुरू हुई काउंसलिंग में दूसरा चरण ही संकट में आ गया है। पंजीयन खत्म होते ही सारे कालेज पहले राउंड में ही फुल होने की स्थिति बन गई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के 369 कालेजों की 37 हजार 515 सीटों के लिए ऑन लाइन प्रवेश प्रक्रिया तीन जनवरी से शुरू की गई है। इसमें 19 जनवरी तक पंजीयन के बाद शुक्रवार को सत्यापन का अंतिम दिन था। पंजीयन समाप्त होने के बाद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। बीएड की 37, 515 सीटों के लिए कुल 63 हजार 892 उम्मीदवारों ने पंजीयन कराया है। इनमें से 60 हजार 780 ने सत्यापन भी करा लिया है। इतनी बड़ी संख्या में सत्यापन होने से बीएड की प्रत्येक सीट के लिए दो-दो दावेदार सामने आ गए हैं। ऐसे में काउंसलिंग के बाद सभी उम्मीदवार प्रवेश ले लेते हैं तो दूसरे राउंड की नौबत ही नहीं आएगी। इसलिए उमड़ी भीड़ बीएड की डिमांड में अचानक आई बाढ़ की मुख्य वजह इस साल होने वाली संविदा शिक्षकों की भर्ती मानी जा रही है। प्रदेश में करीब 60 हजार से अधिक पदों के लिए भर्ती की जाना है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संविदा शिक्षक के लिए बीएड-डीएड अनिवार्य कर दिया है। वहीं पड़ोसी राज्यों में भी शिक्षकों की भर्ती होना है। इसके चलते इस बार उम्मीदवार बड़ी संख्या में बीएड करने आए हैं।

गुणवत्ता भी बढ़ेगी
हर सीट के लिए दो-दो दावेदार सामने आने से काउंसलिंग में गहमागहमी रहेगी। वहीं बीएड पाठ्यक्रम की गुणवत्ता पर भी असर दिखाई देगा। अधिकांश कालेजों में अच्छे अंकों वाले विद्यार्थी पहुंचेंगे। वहीं कम अंक वाले उम्मीदवार भी अपनी ताकत बताएंगे। शत प्रतिशत सीटें भरने से कालेजों को भी साल भर क्लास लगाना पड़ेंगी। 

सत्यापन के लिए भटक रहे छात्र 
पंजीयन के बाद भी सत्यापन कराने से वंचित छात्र-छात्राएं शनिवार को भी विभाग के चक्कर काट रहे हैं। उच्च शिक्षा संचालनालय से लेकर मंत्री निवास तक इन छात्रों की आमद बनी हुई है। इनमें अधिकांश छात्र दूरस्थ राज्यों के हैं। इन छात्रों ने एक विशेष मौका देने के लिए आवेदन भी सभी जगह दिए हैं(दैनिक जागरण,भोपाल,23.1.11)।

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