इंजीनियरिंग की जरूरत से ज्यादा सीटों और पढ़ाई के गिरते स्तर से परेशान तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने 2011-12 के नए सत्र में नए कॉलेज और सीटों की बढ़ोतरी पर ब्रेक लगा दिया है।
बीई के साथ ही बी फार्मा की सीटें भी नहीं बढ़ेंगी। संचालनालय ने तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजे प्रस्ताव में साफ कहा है कि इस साल किसी भी स्थिति में न तो नए कॉलेज खोले जाएं और न ही पुराने कॉलेजों की सीटों में बढ़ोतरी की जाए।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्री हेमचंद यादव ने भी प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसका आदेश इसी महीने लागू हो जाएगा। निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के विरोध के चलते सारी प्रक्रिया को गुपचुप तरीके से अंजाम दिया गया है।
सेकंड शिफ्ट वाले कॉलेज होंगे जीरो
संचालनालय ने प्रदेशभर में सेकंड शिफ्ट चलाने वाले इंजीनियंिरग कॉलेजों को भी जीरो करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इससे दूसरी शिफ्ट में इंजीनियरिंग कॉलेज चलाने वालों को करारा झटका लगा है।
उन्हें सभी छात्रों को एक ही शिफ्ट में पढ़ाना होगा। अभी सात कॉलेजों में दो शिफ्ट चल रही है। संचालनालय ने पाया है कि एक शिफ्ट में ही पूरी भर्ती नहीं हो पाती। ऐसे में दो शिफ्ट वाले कॉलेज चलाने का कोई औचित्य नहीं है।
उतने में ही काम चलाना होगा
प्रदेश के सभी 50 इंजीनियरिंग कॉलेज नए सत्र से अपनी सीटों में भी इजाफा नहीं कर पाएंगे। हालांकि संचालनालय ने उन्हें यह सुविधा दी है कि प्रबंध समिति अपने कॉलेजों में एक विभाग बंद कर दूसरा चालू कर सकती है। यानी छात्रों को एक विभाग से दूसरे विभाग में शिफ्ट किया जा सकता है।
ऐसे रहती हैं सीटें खाली
वर्ष-सीटें-खाली रह गईं
2008-09 12771 4000
2009-10 16000 5600
इन कॉलेजों में सेकंड शिफ्ट
1. शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज
2. रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज
3. बीआईटी दुर्ग
4. सीएसआईटी
5. सीआईटी
6. आरआईटी
7. दिशा इंजीनियरिंग कॉलेज
खराब होती थी छवि
इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें न भरने की वजह से पीईटी में जीरो नंबर पाने वालों को भी एडमिशन मिल जाता था। इससे राज्य की छवि दूसरे राज्यों में खराब हो रही थी। सरकार ने अफसरों को फटकार भी लगाई थी। इसके बाद ही यह प्रस्ताव बनाया गया(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,25.1.11)।
गुणवत्ता के लिए यह आवश्यक है।
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