वर्ष 2011 से सूबे में लागू होने वाले शिक्षा का अधिकार कानून पर विद्यालयों के प्राचार्य, जिला प्रशासन एवं अभिभावकों की अहम बैठक रविवार को होगी। बैठक में नये कानून से जुड़े सभी मामलों पर विशेष रूप से चर्चा की जायेगी। जिला शिक्षा अधिकारी किरण कुमारी ने बताया कि जिले के 65 सीबीएसई से मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के प्राचार्यो को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी विद्यालयों में इस वर्ष से बच्चों का नामांकन लेना है। अभी तक इस कानून को लेकर प्राचार्यो में भ्रम है। क्लास वन में नामांकन के लिए उम्र सीमा को लेकर कुछ विद्यालयों ने उम्र सीमा पांच वर्ष निर्धारित की है तो कुछ ने छह वर्ष। कल की बैठक के बाद स्पष्ट हो जायेगा कि कक्षा वन में नामांकन के लिए सही उम्र सीमा क्या होगी? बैठक में यह भी तय किया जायेगा कि 25 प्रतिशत गरीब छात्रों का नामांकन होगा या नहीं। अगर निजी विद्यालय गरीब छात्रों का नामांकन लेते हैं तो उसका खर्च सरकार कितना वहन करेगी? एक तरफ सरकार जहां प्रत्येक बच्चे के लिए निजी विद्यालय को मात्र 3000 रुपये वार्षिक दे रही है, वहीं निजी विद्यालय कम से कम 13,500 रुपये की मांग कर रहे हैं। बैठक में इस बात की भी चर्चा होगी कि किस विद्यालय के लिए की कितनी फीस होनी चाहिए। राजधानी के अधिकांश विद्यालय मनमाने तरीके बच्चों से फीस की वसूली कर रहे हैं। सीबीएसई के मानकों को निजी विद्यालयों द्वारा मजाक उड़ाये जाने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी। मालूम हो कि सूबे में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालय चलाने के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है लेकिन राजधानी के आवासीय कालोनी में कुकुरमुत्ते की तरह विद्यालय चलाये जा रहे हैं। वह भी प्रशासन के नाक के नीचे। खासकर श्रीकृष्णापुरी, पाटलिपुत्रा कालोनी एवं कंकड़बाग घरों में विद्यालय चलाये जा रहे हैं।
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