नगर निगम के स्कूलों में पढऩे वाली लगभग साढ़े चार लाख बालिकाओं की सुरक्षा अब महिलाएं करेंगी। आगामी वित्तीय सत्र से ये महिला सुरक्षाकर्मी विद्यालयों के गेट पर नजर आएंगी। शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ.महेन्द्र नागपाल के मुताबिक बालिकाओं की सुरक्षा के लिए 500 महिला सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति की जाएगी। ये महिलाएं अप्रैल से कार्य करना शुरू कर देंगी। फिलहाल इन स्कूलों की सुरक्षा के लिए केवल 200 सिविल डिफेंस के सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
ज्ञात हो कि एमसीडी के 1729 स्कूलों में लगभग दस लाख बच्चे पढ़ते हैं। अर्थात एक विद्यालय में लगभग 600 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन बच्चों की सुरक्षा-व्यवस्था एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। एमसीडी ने यह कदम इन स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया है।
पिछले साल एमसीडी स्कूलों में पढऩे वाली कुछ बालिकाओं के साथ बदतमीजी का मामला प्रकाश में आया था, जिसके बाद एमसीडी की काफी किरकिरी हुई थी। एमसीडी के कई स्कूल ऐसे इलाके में हैं जहां पर भीड़-भाड़ अत्यधिक होती है और असामाजिक तत्व घूमते रहते हैं।
जिसके आसपास नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले नशेड़ियों का जमावड़ा रहता हैं। फिलहाल एमसीडी के पास 574 बाल विद्यालय, 579 बालिका विद्यालय और 576 सह-शिक्षा विद्यालय हैं। प्राथमिक स्कूलों में 468758 बालिका और 459288 बालक पढ़ते हैं। इसके अलावा नर्सरी में 25658 बालिका और 21423 बालक पढ़ते हैं।
निजी स्कूलों को सिर्फ दिखावे की धमकी
विजेन्द्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता का आरोप है कि गरीब बच्चों को नर्सरी में नि:शुल्क दाखिला दिलाने में दिल्ली सरकार असफल साबित हो रही है। दाखिला न देने वाले स्कूलों को सरकार सिर्फ दिखाने के लिए धमकी दे रही है। निजी स्कूल मालिकों ने एक संस्था बनाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और अब वे खुलेआम सरकार को आंख दिखा रहे हैं। कुछ स्कूल मालिकों ने यहां तक धमकी दी है कि भले ही वे अपने स्कूल पर ताला लगा देंगे, लेकिन कोटे के जरिए नर्सरी में दाखिला नहीं देंगे।
ज्ञात हो कि इन स्कूलों ने गरीब बच्चों को दाखिला देने के नाम पर ही सरकार से कौड़ियों के भाव जमीन ली है। लेकिन, आज ये स्कूल गरीबों बच्चों को नर्सरी में दाखिला देने से कतरा रहे हैं। स्कूल मालिक सरकार को धमकी दे रहे हैं कि वे गरीब बच्चों को तभी नि:शुल्क प्रवेश देंगे, जब उन्हें सामान्य वर्ग के बच्चों से 40 से 50 फीसदी अधिक फीस लेने की इजाजत दी जाए(दैनिक भास्कर,दिल्ली,23.1.11)।
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