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23 जनवरी 2011

लखनऊ विश्वविद्यालयःशोध के लिए फिर देनी होगी परीक्षा!

शोध के लिए विश्र्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानकों पर खरा उतरे अभ्यर्थियों को प्रवेश देने के लिए लखनऊ विश्र्वविद्यालय अपनी कसौटी पर भी कसने की तैयारी में है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधार को आधार बनाते हुए स्नातक और परास्नातक में प्रवेश की मेरिट व्यवस्था लागू करने वाला विश्र्वविद्यालय शोध के लिए प्रवेश परीक्षा लेकर क्या साबित करना चाहता है? यही सवाल विवि के कई वरिष्ठ शिक्षक उठा रहे हैं। इसी के साथ कला और विज्ञान मंडल की बैठकों को लेकर विवाद भी पैदा हो गए हैं। कई वरिष्ठ शिक्षकों ने निर्णय के प्रति असहमति जताई है। कला संकाय मंडल की बैठक से ठीक पहले जेआरएफ, नेट के पक्ष में मुखर होने वाले शिक्षकों को नियमों का हवाला देते हुए बैठक से ही बाहर कर दिया गया। लखनऊ विश्र्वविद्यालय में पीएचडी के लिए अध्यादेश बनाने के लिए सभी संकाय मंडल की बैठकें हो चुकी हैं। इसमें से सिर्फ एक संकाय ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा का सम्मान किया है। सूत्रों के मुताबिक कला और विज्ञान संकाय की बैठकों में बहुमत को दरकिनार कर निर्णय लिए गए। अंतिम फैसला दस फरवरी को होने वाली एकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा। अभी तक पाचों संकायों की आंतरिक बैठकें संपन्न हो चुकी हैं। इनमें सिर्फ वाणिज्य संकाय ने जेआरएफ, नेट को प्रवेश परीक्षा से मुक्त करने का प्रस्ताव दिया है। कला, शिक्षा और विधि संकाय ने सबके लिए प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव पास किया। विज्ञान संकाय ने अपना निर्णय एकेडमिक काउंसिल की बैठक पर छोड़ दिया। कला संकाय की पूर्व में हुई बैठक में अधिकतर शिक्षक भी वाणिज्य विभाग जैसा निर्णय लेने के पक्ष में थे। कुछ वरिष्ठ शिक्षकों के अड़ जाने के कारण कोई निर्णय नहीं हो सका और अगली बैठक को इसी के आगे से शुरू करने पर सहमति बनी लेकिन शुक्रवार को हुई बैठक में प्रवेश परीक्षा की खिलाफत करने वाले शिक्षकों को नियमों का हवाला देते हुए बैठक से ही बाहर कर दिया गया। विज्ञान संकाय मंडल की बैठक में भी बहुमत की उपेक्षा के आरोप लग रहे हैं। लविवि के प्रवक्ता प्रो.एसके द्विवेदी ने बताया कि हर संस्थान अपने नियमों से चलता है। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में परीक्षा के स्वरूप की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस बीच जेआरएफ, नेट अभ्यर्थियों ने कुलाधिपति का दरवाजा भी खटखटाया है। ऐसे में सबकी निगाहें दस फरवरी को होने वाली एकेडमिक काउंसिल की बैठक पर टिकी हैं हालांकि फैकल्टी बोर्ड की बैठकों के नतीजों से तस्वीर कुछ कुछ साफ हो चुकी है(दैनिक जागरण,लखनऊ,23.1.11)।

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