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24 जनवरी 2011

हिमाचलःशिक्षकों की हर गतिविधि पर रहेगी नजर

प्रदेश में सभी मिडिल स्कूलों को आगामी अप्रैल माह तक अपने भवन नसीब हो जाएंगे। इससे बच्चों को आ रही दिक्कतें दूर होगी। इसी तरह एलीमेंटरी स्तर पर करीब 12,000 स्कूलों में कार्यरत लगभग 60 हजार से अधिक शिक्षकों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए भी जिम्मेदारियां सौंपी गई है। हर बच्चे को अनिवार्य शिक्षा देने के लिए भी सभी कदम उठाए जा रहे हैं-राजीव शर्मा , शिक्षा निदेशक एलीमेंटरी

कई स्कूलों के पास अपने भवन ही नहीं है, तो ऐसे में अनिवार्य शिक्षा कैसे संभव है?
प्राइमरी स्तर पर ऐसी दिक्कत नहीं है। प्राइमरी स्तर पर स्कूलों के लिए भवन उपलब्ध है। जहां पर भवनों की दशा संतोषजनक नहीं है, उसे दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा जहां तक मिडिल स्कूलों का प्रश्न है, तो अप्रैल माह तक सबको अपने भवन उपलब्ध करवाने के प्रयास जारी है।


अब आने वाले समय में कोई भी मिडिल स्कूल ऐसा नहीं होगा, जिसका अपना भवन नहीं होगा। सभी को अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाने की दृष्टि से तो प्रदेश ने देश के अग्रणी राज्यों में स्थान पाया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यमंत्री को सम्मानित भी किया गया है।

प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की भारी संख्या को देखते हुए क्या 60 हजार शिक्षकों पर निगरानी रखना संभव है?

बिल्कुल संभव है। इसके लिए निदेशालय स्तर से लेकर, उप शिक्षा निदेशकों, ब्लॉक स्तर के अधिकारी एवं चार स्कूलों के ऊपर बिठाए गए एक सेंट्रल हेड टीचर (सीएचटी) की जिम्मेदारी तय है। समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाती है और शिक्षकों के समय पर न पहुंचने पर कार्रवाई अमल में लाई जाती है। 

इसके अलावा समय समय पर मिलने वाली शिकायतों के अनुसार औचक निरीक्षण किया जाता है। औचक निरीक्षण के लिए भी अधिकारियों को समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं।

शिक्षकों के खाली पद अधिक संख्या में खाली है। इनको भरने के लिए क्या किया जा रहा है?

जेबीटी की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन टीजीटी नॉन मेडिकल और सीएंडवी श्रेणी में ज्यादा पर खाली है। आगामी मार्च तक टीजीटी और सीएंडवी पदोन्नत होने हैं। जो भी शिक्षक वरीयता सूची में अव्वल रहेंगे, उनको पदोन्नत होने का मौका मिलेगा। इससे काफी हद तक कमी दूर हो जाएगी। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया भी जारी है। 

रिइंप्लायमेंट से भी शिक्षकों को ग्यारह माह तक अतिरिक्त काम करने का मौका मिलेगा। इस कारण शैक्षणिक सत्र प्रभावित नहीं होगा। सरकार के रि इंप्लाइमेंट के निर्णय से विभागीय स्तर पर कामकाज में और सुधार होगा और बीच सत्र में अध्ययन कार्य में किसी तरह का व्यवधान नहीं पड़ेगा।

सिरमौर और चंबा जिला में ठेके पर शिक्षक रखे गए थे। क्या दुर्गम क्षेत्रों में सब कुछ ठीक ठाक है?

ऐसे मामले जरूर सामने आए थे, लेकिन उस पर तुरंत कार्रवाई अमल में लाई गई है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। इतना जरूर है कि अनुशासनहीनता को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

शिक्षकों के द्वारा अच्छा काम करने पर उनको सरकारी स्तर पर शिक्षक दिवस पर सम्मानित भी किया जाता है। भविष्य में भी यह प्रथा जारी रहेगी। शिक्षकों को उनके काम का ईनाम जरूर मिलेगा, लेकिन उनको अपने दायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा से करना होगा।

नई भर्ती अनुबंध पर हो रही है। इससे भी शिक्षकों में रोष है?

यह सरकारी नीति है कि नई भर्ती अनुबंध पर होगी। यह नियम सबके लिए एक जैसे हैं। इसमें शिक्षकों पर कोई अलग नियम नहीं थोपे गए हैं।

अनिवार्य शिक्षा की चुनौती से निपटने के लिए क्या विभाग तैयार है। स्कूलों में ड्राप आउट कैसे कम करेंगे?

अनिवार्य शिक्षा का बिल आने से कोई दिक्कत नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल शिक्षा में अव्वल है। हमारा ड्राप आउट 0.3 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम है। ड्राप आउट में ऐसे बच्चे हैं, जो या तो मानसिक तौर विकलांग है या फिर किसी शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त है। 

ऐसे बच्चों के लिए भी नॉन रेजिडेंशियल कोर्स शुरू किया गया है। प्रदेश में चलाए जा रहे सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य भी यही है कि सबको अनिवार्य शिक्षा मिले। इसी तरह शिक्षकों को भी प्रेरित किया जा रहा है कि वह अभिभावकों को बच्चे स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करें।

तबादलों और लिपिकीय काम से शिक्षक परेशान है। एसएमसी की निगरानी अलग है?

नई तबादला नीति से शिक्षकों को तीन साल एक ही स्थान पर रहने का मौका मिलेगा। खिचड़ी का काम स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) के हवाले करने की योजना है। एसएमसी का इसके लिए राजी होना जरूरी है। लिपिकीय काम शिक्षकों नहीं दिया जा रहा है। रूटीन में कुछ काम बढ़ा है।

एक साथ होंगी स्कूलों में छुट्टियां
नए शैक्षणिक सत्र से सभी स्कूलों में एक साथ छुट्टियां होगी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हर साल 52 दिन का अवकाश होता है। अब स्कूलों में छुट्टियां फेस्टिवल सीजन के दौरान होंगी। इससे छात्रों सहित शिक्षकों को यह लाभ होगा कि त्योहारों का पूरी तरह से आनंद ले सकेंगे। विशेष तौर पर नवरात्र उत्सव के बाद जब प्रदेश में दशहरा और प्रकाश पर्व दीपावली की धूम रहती है। 

इसके लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। पहले प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहले अवकाश फेस्टिवल सीजन के दौरान अवकाश नहीं होता था। सरकारी छुट्टियों के दौरान ही यह व्यवस्था थी(दैनिक भास्कर,शिमला,24.1.11)।

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