गांवों को दोयम दर्जे का डॉक्टर देने के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के प्रस्ताव के खिलाफ शनिवार को पूरे देश में डॉक्टरों ने विरोध दिवस मनाया। दिल्ली में उन्होंने राजघाट के सामने धरना दिया। इस मौके पर देश के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक श्वेत पत्र जारी कर साढ़े तीन साल के कोर्स की खामियों को बताने के साथ-साथ सरकार को यह सलाह भी दी है कि सरकार गांवों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए क्या करे। डॉक्टरों ने क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट बिल का विरोध किया। पूरे देश में ५०० से अधिक स्थानीय शाखाओं ने विरोध दिवस में भाग लिया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने कहा कि पूरे देश के डॉक्टरों को यह मंजूर नहीं कि गांवों को दोयम दर्जे का डॉक्टर मिलें। समझ में नहीं आता कि सरकार महज एक साल का अंतर रखकर गांवों के लिए अधकचरा डॉक्टर क्यों पैदा करना चाहती है। संगठन को आशंका है कि ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मद के अथाह पैसे को ठिकाने लगाने की योजना को अंजाम देने के लिए गांवों को डॉक्टर देने का झूठा राग अलापा जा रहा है। नकली डॉक्टरों के खिलाफ लंबा अभियान चलाने वाले डॉ.अनिल बंसल ने कहा कि सारे मेडिकल स्कूल "कबाड़" बन कर रह जाएंगे, क्योंकि केंद्र सरकार की गांवों को डॉक्टर देने की मंशा ही नहीं है। वह तीन साल के कोर्स की बात इसलिए कर रही ताकि अगले लोकसभा चुनाव में उसे भुना सके। धरना स्थल पर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र सैनी, डॉ. डीआर राय, डॉ. प्रेम अग्रवाल आदि ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए(नई दुनिया,दिल्ली,23.1.11)।
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