जिले में पदस्थापित सरकारी सेवकों को प्रोन्नति देने का मामला फिलहाल लटक गया है। इस मामले को लेकर सोमवार को उपायुक्त हिमानी पांडे की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्ताव त्रुटिपूर्ण पाए गए। बताया जाता है कि प्रोन्नति दिए जाने को लेकर तैयार किए गए प्रस्ताव में नियम का सही से अनुपालन नहीं किया गया था। इस पर उपायुक्त ने आपत्ति जताते हुए सरकार से मार्गदर्शन प्राप्त करने निर्णय लिया है। सूत्र बताते हैं कि प्रस्ताव में दो-तीन ऐसे चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को प्रोन्नति देकर बाबू व बड़ा बाबू बनाने की अनुशंसा की गई थी, जो समिति के साथ साथ अधिकारियों को भी पच नहीं रहा था। कर्मचारियों का मानना था कि आरक्षण का लाभ दिया जाए, परंतु नियम कानून को ध्यान में रखकर। इससे किसी को आपत्ति भी नहीं होगी। मगर ऐसा नहीं होता है। प्राय: हर बार ऐसा देखा जाता है कि सरकारी सेवकों को प्रोन्नति व एसीपी या फिर हस्तांतरण को लेकर जब भी जिला स्थापना की बैठक होती है तो स्थापना कर्मी नियम कानून को ताक पर रखकर प्रस्ताव तैयार करते हैं। बाबू से बड़ा बाबू के पद पर प्रोन्नति दिए जाने का नियम यह है कि प्रोन्नति प्राप्त करने वाले कर्मचारी को कम से कम आठ साल का अनुभव होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसकी वरीयता देखी जाती है(दैनिक जागरण,जमशेदपुर,25.1.11)।
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