प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। बिना मान्यता के ही इंटर पढ़ाई का मामला। स्थापना अनुमति के बिना हो रही इंटर की पढ़ाई का एक मामला जैक अध्यक्ष ने पकड़ा। एक कॉलेज में बिना जैक की अनुमति के ही इंटर की पढ़ाई हो रही थी। कॉलेज की जांच के क्रम में पता चला कि ऐसे कई कॉलेज हैं, जहां बिना झारखंड एकेडमिक काउंसिल की अनुमति के ही बिना इंटर की पढ़ाई हो रही है। जैक के स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है। जांच पूरी होने के बाद जैक पूरे मामले से सरकार को अवगत कराएगा।
प्राथमिक जांच में पता चला है कि प्रदेश के 44 डिग्री कॉलेजों में बिना काउंसिल की अनुमति या स्थापना आदेश के इंटर की पढ़ाई हो रही है। संयुक्त बिहार में स्थापित कॉलेजों को विश्वविद्यालयों व सरकार द्वारा वित्तरहित व इंटर रहित की मान्यता दी गई थी। राज्य बंटवारे के बाद इन कॉलेजों ने इंटर की भी पढ़ाई शुरू कर दी। और तो और कॉलेजों में छात्रों का नामांकन नियमित छात्र के रूप में लिया गया। परीक्षा में भी उन्हें नियमित के रूप में बैठाया गया। किसी भी कॉलेज को इंटर की पढ़ाई शुरू करने के लिए जैक से स्थापना अनुज्ञा लेनी होती है। साथ ही परमिशन फीस भी हर वर्ष चुकानी होती है।
80 हजार छात्रों के समक्ष पहचान का संकट
जैक प्रशासन का कहना है कि नियम के मुताबिक कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई की व्यवस्था काउंसिल को करनी है। इसके लिए उन्हें मान्यता प्रदान करना है। गड़बड़ी की जांच की जा रही है। इन कॉलेजों के जैक से मान्यता न मिल पाने के कारण यहां के करीब 80 हजार छात्रों के समक्ष पहचान का संकट खड़ा हो जाएगा। इसको लेकर जैक अभी कुछ कह नहीं पा रहा है। लेकिन, माना जा रहा है कि काउंसिल बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी और अब तक हुए घाटा को लेकर सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त कर कुछ ठोस कदम उठाएगा। जैक छात्रों के भविष्य के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ न होने की बात कह रहा है।
'डिग्री कॉलेजों में बिना अनुमति के इंटर की पढ़ाई का मामला सामने आया है। जांच चल रही है। शीघ्र मामले में ठोस कदम उठाए जाएंगे।'
- लक्ष्मी सिंह, अध्यक्ष, झारखंड एकेडमिक काउंसिल(दैनिक जागरण,रांची,24.1.11)
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