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23 जनवरी 2011

ग्रामीण डाक्टरी में सभी पैथियों को शामिल करने की सलाह

केन्द्र द्वारा प्रस्तावित बेचलर आफ रूरल हेल्थ सर्विसेज (बीएचआरसी) के तीन वर्षीय कोर्स का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध किया है। एसोसिएशन का कहना है यह कोर्स एलोपैथी का नहीं होना चाहिए। इसकी जगह मिलाजुला कोर्स शुरू किया जाना चाहिए, जिसमें एलोपैथी, आयुर्वेद व होम्योपैथी सभी की पढ़ाई कराई जानी चाहिए। शनिवार को भोपाल में पत्रकारों से चर्चा में आईएमए के प्रेसीडेंट डा.संजय कुमार व सचिव डा.उमेश शारदा ने कहा कि ग्रामीण व शहरी जनता अलग-अलग नहीं है, इसलिए गांवों में डाक्टरी के लिए अलग से कोर्स संचालित नहीं किए जाने चाहिए। उनका कहना था कि डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई जानी चाहिए। सभी पैथी का ज्ञान रखने वाला डाक्टर गांव में मरीज को देखने के बाद उसे उपयुक्त अस्पताल में रेफर कर सकता है। इसके अलावा आईएमए ने क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के प्रावधानों को गलत बताया है। उनका कहना है डाक्टरों की फीस तय करना सरकार का काम नहीं है। साथ इस एक्ट के अनुसार मरीज की हालत में जब तक सुधार नहीं आ जाता उसे किसी दूसरे अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मांग की है कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए। एसोसिएशन को आशंका है कि कहीं यह एमसीआई को खत्म करने की साजिश तो नहीं है। इस दौरान डा. संजय गुप्ता, डा. अतुल गुप्ता, डॉ.अपूर्व त्रिपाठी सहित आईएमए के पदाधिकारी मौजूद थे(दैनिक जागरण,भोपाल,23.1.11)।

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