एचपी यूनिवर्सिटी में उग्र कर्मचारियों के बाद अब छात्रों ने भी तेवर कड़े कर दिए हैं। कर्मचारियों के विरोध का समर्थन करते हुए एससीए ने सोमवार को कुलपति कार्यालय का घेराव किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। करीब 70 छात्रों ने वीसी ऑफिस के बाहर धरना देकर मांगें पूरी करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया।
एससीए अध्यक्ष खुशीराम का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हॉस्टलों को खाली करने के फरमान तो जारी कर दिए, लेकिन समय पर उसका मरम्मत करना भूल गया। जनवरी महीना बीत रहा है, लेकिन प्रशासन ने छात्रों को हॉस्टलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। छात्र, कर्मचारियों के पक्ष में हैं और विवि में होने वाली हर नियुक्ति नियमों के तहत होनी चाहिए।
एससीए महासचिव सुनीता रणौत ने कहा कि गर्ल्स हॉस्टलों में पानी, सफाई और बिजली की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों को पर्याप्त बसें उपलब्ध करवाने में नाकाम रहा है जिससे परीक्षाओं की तैयारी में भी दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती, एससीए अपना आंदोलन जारी रखेगी। एसएफआई के कैंपस अध्यक्ष मुनीष शर्मा, उपाध्यक्ष स्वाति और सचिव यशपाल राणा ने भी प्रशासन को आड़े हाथों लिया।
यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
एचपी यूनिवर्सिटी में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति करने और उसके बाद इस पद को विज्ञापित करने के मामले को लेकर विवि कर्मचारियों ने प्रशासन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नियुक्ति का विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि कुलपति ने पहले तो सीओई के पद पर बिना प्रक्रिया से नियुक्ति कर दी और इसके बाद पद को विज्ञापित कर दिया।संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि कुलपति के निर्णय संदेहपूर्ण हैं। ईसी सदस्य चौधरी वरयाम सिंह बैंस ने कहा है कि प्रशासन कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता, लेकिन अपने चहेतों को पूरा फायदा पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं की जाती, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
संयुक्त संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद का कहना कि यूनिवर्सिटी में होने वाली सभी नियुक्तियां नियमों के तहत होनी चाहिए। तदर्थवाद नहीं होना चाहिए और कर्मचारियों के रिक्त पदों को नियमित तौर पर भरना चाहिए। चौधरी वरयाम सिंह बैंस और कोर्ट सदस्य नरेश कुमार ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से यूनिवर्सिटी में चल रहे मामलों में हस्तक्षेप कर हालात सुधारने की मांग की है।
कर्मचारियों का कहना है कि प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों को बाहर किया जाए ताकि यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली में सुधार लाया जा सके।
(दैनिक भास्कर,शिमला,25.1.11)
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