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25 जनवरी 2011

बैंक खंगालेंगे आवेदकों की पृष्ठभूमि

नए कर्मचारियों को रखने में बैंक अब ज्यादा सतर्कता बरतेंगे। नए कर्मचारियों का अतीत अच्छी तरह से खंगालने और उससे पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें बैंक ज्वाइन करने की हरी झंडी दिखाई जाएगी। बैंक इसकी शुरुआत आवेदन आने के समय से ही कर देंगे। जबकि अभी चयन प्रक्रिया में सफल उम्मीदवारों की ही जांच-पड़ताल की जाती है। हाल के महीनों में सिटी बैंक, एलआइसी हाउसिंग सहित कई घटनाओं का खुलासा हुआ है, जिन्हें बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। इसी तरह से दो वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से नकली नोटों को बाजार तक पहुंचाने वाले एक गिरोह का भी मामला सामने आया था। मोटे तौर पर बैंकों में होने वाले 40 फीसदी घोटालों में बैंक कर्मियों की भूमिका पाई गई है।बैंककर्मियों की मिलीभगत से होने वाली गड़बडि़यों से वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) खासे परेशान हैं। बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि इस पर रोक लगाने के लिए हाल ही में उक्त दोनों के बीच चर्चा भी हुई है। रिजर्व बैंक से कहा गया है कि वह कर्मचारियों की पृष्ठभूमि का पता लगाने के मौजूदा तरीके में बदलाव करे। साथ ही ऐसी व्यवस्था करे, जिससे संदिग्ध आवेदनों को पहले ही निरस्त कर दिया जाए। इस बारे में आरबीआइ सरकारी बैंकों के साथ मिलकर जल्दी नियम बनाएगा। कोशिश यह होगी कि बैंकों के पास खुद का सिस्टम हो, जिससे चयनित कर्मियों के बारे में वे अपने स्तर पर भी सूचनाएं हासिल कर सकें। अभी बैंक चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कर्मचारियों का सत्यापन करवाते हैं। इसमें बैंकों की भूमिका बेहद सीमित होती हैं। आम तौर पर बैंक स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट पर ही भरोसा करते हैं। पिछले दिनों आरबीआइ की तरफ से गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने भी कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन पड़ताल करने की आवश्यकता बताई है। सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी बैंकों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होनी है। इन नियुक्तियों के शुरू होने से पहले आरबीआइ नई व्यवस्था को लागू करना पसंद करेगा। इस साल इलाहाबाद बैंक ने 2600, यूनाइटेड बैंक ने 1700 और भारतीय स्टेट बैंक ने लगभग 10 हजार नई नियुक्तियां करने की योजना बनाई है(जयप्रकाश रंजन,दैनिक जागरण,दिल्ली,25.1.11)।

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