राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की भारी कमी है। इससे न केवल बच्चों का रिजल्ट प्रभावित होता है, बल्कि भविष्य के लिए उनकी क्षमताएं भी प्रभावित होती हैं। वार्ड स्तर पर स्कूल खोलकर एवं परफोर्मेस बेस्ड रिकूट्रमेंट सिस्टम विकसित कर शिक्षा की तस्वीर बदली जा सकती है। यह निष्कर्ष है राजीव गांधी स्टडी सर्किल की ओर से 23 मई को जयपुर के इंदिरा गांधी पंचायतीराज सभागार में ‘शिक्षा का अधिकार: ग्रामीण भारत का अभ्युदय’ विषय पर आयोजित गोष्ठी का। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून को प्रभावी बनाने के यज्ञ में हर नागरिक की आहुति जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिन्दुवादी संगठन कैसा संदेश दे रहे हैं, यह सभी जानते हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि बच्चों का ड्रॉप आउट रोकने के लिए योजना बनानी होगी। जोशी ने कहा कि शिक्षकों की पदोन्नति में बच्चों के ठहराव को भी अहम स्थान दिया जाना चाहिए। मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि स्कूल नही जाने वाले बच्चों के लिए 30 जून से सर्वे होगा। प्रदेश के 186 पिछड़े ब्लॉक्स में 3 से 5 करोड़ की लागत से मॉडल स्कूल भी खोले जाएंगे।
राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी. सावंत ने कहा कि बिना योजना के शिक्षा के अधिकार पर ठीक तरीके से अमल नहीं हो सकेगा। जोधपुर विवि के कुलपति प्रो. नवीन माथुर ने आठवीं तक परीक्षा आयोजित नहीं करने की योजना से असहमति जताई। बीकानेर विवि के कुलपति गंगाराम जाखड़ ने 6 से 14 साल के बच्चों के स्कूल नहीं जाने की गहनता से जांच पर जोर दिया। कोटा विवि के कुलपति प्रो. बी.एम. शर्मा ने शिक्षा के अधिकार कानून को राजीव गांधी की सोच का परिणाम बताया। पशुपालन विवि के कुलपति प्रो. अजय गहलोत ने जलसंरक्षण क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को सराहा।
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