साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत अब असाक्षरों को उनकी अपनी क्षेत्रीय बोली में पढ़ना-लिखना सिखाया जाएगा। इसके लिए बोलियों के जानकार विशेषज्ञों ने कोर्स तैयार कर लिया है। उनके लिए अलग से प्रवेशिका तैयार की जा रही है। असाक्षरों को हिन्दी के अलावा छत्तीसगढ़ी, सरगुजिया, कुड़ुख, सादरी, गोंडी व हल्बी बोली में पढ़ाया जाएगा। इसके लिए जिलों व विकासखण्डों में पूर्णकालिक अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। सरकार के फील्ड कर्मचारियों का सहयोग भी लिया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री व राज्य साक्षरता मिशन की कार्यकारिणी के अध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश में 15 वर्ष से अधिक उम्र के असाक्षरों को साक्षर बनाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए साक्षर भारत कार्यक्रम शुरु किया गया है।
इसका क्रियान्वयन अलग तरीके से किया जाएगा। इस कार्यक्रम में वातावरण निर्माण सहित प्रमुख गतिविधियां ग्राम पंचायत से राज्य स्तर तक संचालित की जाएंगी। जनपहल ग्राम सूक्ष्म नियोजन के माध्यम से सर्वेक्षण से लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर प्रेरकों का चयन किया जाएगा। देश में यह काम एक साथ करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम प्रदेश के आठ जिलों में एक साथ संचालित किया गया है। (दैनिक भास्कर,रायपुर,11 मई,2010)
इसका क्रियान्वयन अलग तरीके से किया जाएगा। इस कार्यक्रम में वातावरण निर्माण सहित प्रमुख गतिविधियां ग्राम पंचायत से राज्य स्तर तक संचालित की जाएंगी। जनपहल ग्राम सूक्ष्म नियोजन के माध्यम से सर्वेक्षण से लेकर ग्राम पंचायत स्तर पर प्रेरकों का चयन किया जाएगा। देश में यह काम एक साथ करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम प्रदेश के आठ जिलों में एक साथ संचालित किया गया है। (दैनिक भास्कर,रायपुर,11 मई,2010)
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