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14 मई 2010

उच्च शिक्षा की चुनौतियां

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश का हिस्सा जीडीपी का सिर्फ चार फीसदी है। उच्च शिक्षा में तो यह सिर्फ 0.6 फीसदी ही है। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश का हिस्सा बढ़ा कर कर जीडीपी का छह फीसदी तक ले जाने का इरादा जताया है। वर्ष 2009-2010 में उच्च शिक्षा के विस्तार में 60000 करोड़ रुपये का बजट था। लेकिन इसे 2016-2017 तक बढ़ा कर 1,55,000 करोड़ करने का लक्ष्य है। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद यूनेस्को ने भारत को शिक्षा पर सबसे कम खर्च करने वाले देशों की सूची में रखा है।

भारत में उच्च शिक्षा में चालू सकल दाखिला दर (जीईआर) पूर दाखिले की महज छह फीसदी है। सरकार की नीतियों के मुताबिक 16 नई सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोली जाएंगी। नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पांच इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। ग्यारहवीं योजना के मुताबिक तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आठ नए आईआईटी, 20 नए एनआईटी, 20 नए आईआईटी, सात नए आईआईएम और तीन आईआईएसईआर इंस्टीट्यूट खोलने का विचार है। इसके अलावा कई रिसर्च और पोस्ट ग्रेजुएट फेलोशिप भी शुरू किए जाएंगे। लेकिन इसके बावजूद जीईआर में 30 फीसदी की बढ़ोतरी नहीं होगी। जबकि 2020 तक इतनी बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा गया है। मांग और आपूर्ति में जबरदस्त अंतर है। लेकिन इस क्षेत्र में जबरदस्त मांग को देखते हुए कहा जा सकता है कि संबंधित सेक्टरों में बेहतर तकनीकी एजुकेशन के लिए नई संस्थाओं की जरूरत है। इस समय देश के हर इंडस्ट्री में प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी है।

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में तीन से चार साल के भीतर छह लाख लोगों की जरूरत पड़ेगी। इस समय भारतीय बैंकिंग सेक्टर में नौ लाख लोग काम कर रहे हैं। इस तरह रिटेल इंडस्ट्री में 2012 तक 25 लाख प्रशिक्षित लोगों की जरूरत पड़ेगी। हाल में प्रधानमंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 45,00,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत बताई थी। साफ है आने वाले दिनों में इंजीनियरों की भारी मांग होगी।

दुनिया भर में जिस तेजी से ग्लोबलाइजेशन का असर बढ़ रहा है, उसमें भारतीय विश्वविद्यालयों को अपना स्तर बढ़ा कर दुनिया के प्रतिष्ठित और नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों के बराबर करना होगा। हालांकि स्तर बढ़ाने के मानक विदेशी विश्वविद्यालयों की ओर से निर्धारित करने की अपेक्षा देश के विश्वविद्यालयों से ही तय होने चाहिए। विदेशी विश्वविद्यालयों को बुलाने से सिर्फ बीमारी के लक्षण का इलाज हो सकता है, बीमारी का नहीं। दूसर देशों में विदेशी विश्वविद्यालयों की सफलता की दर काफी कम है।

भारतीय शैक्षिक संस्थाओं को गुणवत्ता और संख्या दोनों मोर्चो पर अच्छा प्रदर्शन करना है। जापान में 13 लाख की आबादी के लिए 4000 यूनिवर्सिटी हैं। अमेरिका में 31 लाख लोगों के लिए 3500 यूनिवर्सिटी हैं। जबकि भारत की 1.2 अरब की आबादी के लिए सिर्फ 400 यूनिवर्सिटी है। वर्ष, 2008 में निजी क्षेत्र ने एजुकेशन सेक्टर में 40 अरब डॉलर का निवेश किया था। वर्ष 2012 तक यह बढ़ कर 68 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
(बिजनेस भास्कर,दिल्ली,7मई,2010)

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