भारत में जिस तरह से फास्ट-फूड का बाजार दिनोंदिन बढता जा रहा है, इससे प्रोसेसिंग के क्षेत्र में कई अवसर सामने आ रहे हैं। प्रोसेसिंग में रुचि रखने वाली कंपनियां आलू प्रोसेसिंग के क्षेत्र में अच्छे अवसरों का लाभ उठा सकती हैं। देश में आलू प्रोसेसिंग का उपयोग चिप्स, पापड़, भुजिया, सेव जैसे स्नैक्स बनाने में प्रमुख रूप से किया जा रहा है।
इन बातों का रखें ध्यान
आलू प्रोसेसिंग इकाई की स्थापना करते समय यह आवश्यक रूप से ध्यान में रखा जाता है कि किस गुणवत्ता का प्लांट लगाना है। इस स्वरोजगार में सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी है आलू के आकार और गुणवत्ता को सही प्रकार से समझना। विशेष किस्म का आलू ही प्रोसेसिंग के लिए उपयोगी साबित होता है। इसके साथ ही फूड प्रोसेसिंग में आलू का आकार बहुत मायने रखता है, क्योंकि उसी के हिसाब से मशीन खरीदनी होती है। चूंकि चीन, जर्मनी, यूक्रेन और भारत में आलू के आकार में अंतर है, इसलिए इन देशों में मशीनें भी अलग प्रकार की होती हैं। भारतीय मशीनरी से निर्यात लायक उत्पाद तैयार नहीं हो पाते हैं, इसलिए वर्तमान में पंजाब-हरियाणा के साथ ही फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में मध्य प्रदेश में भी काफी उजली संभावनाएं हैं।
संसाधन
200 से 250 टन क्षमता के आलू प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए करीब एक से दो हैक्टेयर भूमि की आवश्यकता होती है। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र का आलू देश भर में प्रसिध्द है। आलू के प्रसिध्द होने का प्रमुख कारण इसमें शर्करा की मात्रा का कम होना है। देश और विदेश की कई बड़ी कंपनियां यहां से आलू खरीदती हैं। मालवा के इंदौर, उजैन, देवास क्षेत्र में करीब 12 से 14 आलू प्रोसेसिंग इकाइयां कार्यरत हैं। यहां से बहुराष्ट्रीय समूह पेप्सिको करीब 8 हजार टन आलू अपने प्लांट में इस्तेमाल के लिए खरीदता है। छिंदवाड़ा, बैतूल और ग्वालियर क्षेत्र में आलू की उपलब्धता रहती है, इसलिए कंपनियों के पास देश में उच्च गुणवत्ता की आलू प्रोसेसिंग की संभावनाएं हैं।
क्या बरतें सावधानी
विशेष किस्म का आलू ही प्रोसेसिंग के लिए उपयोगी साबित होता है। इसके साथ ही फूड प्रोसेसिंग में आलू का आकार बहुत मायने रखता है, क्योंकि उसी के हिसाब से मशीन खरीदनी होती है। इसलिए आलू की खरीदारी करते वक्त आकार-प्रकार का पूरा ख्याल रखें। अच्छा तो यह माना जाता है कि खुद का फार्म बनाकर अपने से पैदावार करें। इससे दूसरे पर निर्भरता भी समाप्त होगी और मनमाफिक गुणवत्ता भी हासिल होगी(देशबन्धु,22 मई,2010)
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