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26 मई 2010

एयर होस्टेस के तौर पर करियर

माना जाता है कि इस पेशे के लिए धैर्य और सेवा भावना बेहद जरूरी है। यात्रियों की देख-रेख करना, उनकी मदद करना, उन्हें हर वो सुविधा मुहैया करवाना जो सफर के दौरान वे मांगे, ये सारे काम करने होते हैं एयर होस्टेस को।
एयर होस्टेस का नाम दिमाग में आते ही कई सारी बातें जेहन में आने लगती हैं। मसलन, निर्बाध देश-दुनिया की हवाई शैर और कई फैशनबल सुविधाएं। यात्रियों की मेहमाननवाजी का जिम्मा एयर होस्टेस के कंधे पर होता है। यात्रियों की खातिरदारी इस कदर की जाए कि उस हवाई कंपनी का वे मुरिद हो जाएं। हवाई कंपनियों का ध्यान इसी पर ज्यादा टिका होता है और इसी आधार पर एयर होस्टेस की सुविधाएं सभी को अपनी आकर्षित करती हैं। वैसे भी हवाई यात्रा का अपना ही मजा है। इस सफर को सुहाना और सुरक्षित बनाने में खास रोल निभाती हैं, एयर होस्टेस। माना जाता है कि इस पेशे के लिए धैर्य और सेवा भावना बेहद जरूरी है। यात्रियाें की देखरेख करना, उनकी मदद करना, उन्हें हर वो सुविधा मुहैया करवाना जो सफर के दौरान वे मांगे, ये सारे काम करने होते हैं एयर होस्टेस को। सुनने में तो बडा अच्छा लग रहा है लेकिन अति चुनौती भरा होता है, जिसके लिए खास ट्रेनिंग लेनी होती है।
योग्यता
किसी भी एयर होस्टेस ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने के लिए कम से कम बारहवीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा आपने ग्रेजुएशन किया है या ट्रेवलिंग और होटल मैनेजमेंट में कोई डिप्लोमा किया है, तो ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए आपको आसानी से एडमिशन मिल जाएगा। इसके लिए आपकी उम्र 25 साल से कम हो, शारीरिक लंबाई 157.5 सेंटीमीटर और इसके अनुसार वजन, अविवाहित, नॉर्मल आई साइट, हिंदी-इंग्लिश भाषाओं पर पकड़ और कोई एक विदेशी भाषा का ज्ञान हो। सबसे बड़ी बात आपका शारीरिक रूप से फिट होना, आकर्षक पर्सनालिटी और साफ रंग का होना जरूरी है।
ट्रेनिंग की दरकार
बिना ट्रेनिंग के एयर होस्टेस का काम करना आसान नहीं। क्योंकि इसमें किताबी ज्ञान अहम न होकर व्यवहारिक ज्ञान ही महत्वपूर्ण होता है। एडमिशन से पहले एयललाइन कम्पनी लिखित परीक्षा लेती हैं और गु्रप डिस्कशन भी होता है। फिर होता है पर्सनल इंटरव्यू। इसके बाद ही आपको ट्रेनिंग के लिए एडमिशन दिया जाता है। इस दो से तीन महीने की ट्रेनिंग में सर्विस, ग्रूमिंग, सेफ्टी और प्राथमिक उपचार सिखाया जाता है। इसके बाद आपको ट्रेनी फ्लाइट्स पर रखा जाता है। इसके साथ ही ट्रेनिंग में एयरक्राफ्ट के टेक्निकल और नॉन टेक्निकल पहलुओं के बारे में बताया जाता है। शुरूआत एविएशन की हिस्ट्री से होती है। फिर इन फ्लाइट सर्विस, पैसेंजर हैंडलिंग, एमरजेंसी और हाइजीन से रिलेटेड ट्रेनिंग दी जाती है।
चुनौतियां हैं भरी
एयर होस्टेस का काम फ्लााइट शुरू होने से खत्म होने तक लगातार रहता है। पैसेंजर के जहाज में बैठने से पहले ही एयर होस्टेस का काम शुरू हो जाता है। एयरक्राफ्ट के सेफ्टी इक्वीपमेंट चेक करना, ब्लैंकेट, पिलो, मैग्जीन, नैपकीन, प्लेट्स की साफ-सफाई देखना। पैसेंजर के सीट पर बैठ जाने के बाद उनकी सेफ्टी पॉजिशन चेक करना, कमजोर पैसेंजर की देखभाल करना, छोटे बच्चों के लिए व्यवस्था करना, पैसेंजर को जरूरत की चीजें मुहैया करवाना, जरूरत हो तो प्राथमिक उपचार देना जैसे काम उन्हें डयूटी के दौरान करने होते हैं। यह काम डयूटी के साथ-साथ सेवा भावना से भी की जाती है।
आमदनी
इसमें शुरूआती पैकेज अच्छा होता है लेकिन अनुभव के साथ ही इसमें बढ़ोतरी होती रहती है। सैलेरी पैकेज काफी हद तक एयरलाइंस पर निर्भर करता है। वैसे शुरूआती पैकेज 16 से 35 हजार रूपए तक प्रतिमाह होता है। डोमेस्टिक प्राइवेट एयरलाइंस में यह वेतन कई गुना यादा होता है। सीनियर एयर होस्टेस तक पहुंचते ही वेतन 75 हजार प्रतिमाह मिलता है। वहीं कई इंटरनेशनल एयरलाइंस में सीनियर एयरहोस्टेस तीन लाख प्रतिमाह तक वेतन पाती हैं। सैलरी का पूरा खेल आपके अनुभव और शारीरिक चुस्ती पर निर्भर होता है। लंबी पारी खेलने के लिए इसे बनाए रखना काफी जरूरी है(दैनिक देशबन्धु,15 मई,2010)

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