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16 मई 2010

बीमा में है सुनिश्चित करियर

खुली अर्थव्यवस्था और ग्लोबलाइजेशन के चलते आज भारत में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां करियर की संभावना न हो। यही वजह है कि विदेशी कंपनियां भी आज भारत का रुख कर रही हैं। बीमा क्षेत्र के लिए यहां पर इसलिए भी काफी उम्मीदें की जा सकती हैं, क्योंकि आज भी यहां केवल तीस से बत्तीस प्रतिशत लोग ही इंश्योर्ड हैं, जबकि हर व्यक्ति को उसकी सामर्थ्य के हिसाब से सिक्योरिटी की जरूरत है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें व्यक्ति को उसकी मनी सिक्योरिटी या लाइफ सिक्योरिटी की उम्मीद रहती है। अत: इसमें आप तरक्की करके अपने करियर को बुलन्दी पर ले जा सकते हैं।

मार्केटिंग के इस दौर में हर काम को व्यवसाय की दृष्टि से देखा जा रहा है। यही कारण है कि पहले की अपेक्षा लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है और तकरीबन हर व्यक्ति रोटी, कपड़ा और मकान से निकल कर आगे की सोचने लगा है। अब हर किसी की चाहत रहती है कि वह एक स्टैण्डर्ड लाइफ जिए तथा हर तरह की सुविधाओं के अतिरिक्त उसके पास बैंक बैलेन्स और लाइफ सिक्योरिटी हो। ऐसे में इंश्योरेन्स सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है, जो व्यक्ति की दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति का दावा करता है। भारत में आज भी बहुत कम लोग बीमित हैं। यही कारण है कि आज विभिन्न कंपनियों के साथ बैंक भी इस क्षेत्र में अपने पैर पसार रहे हैं।

एक सर्वे के अनुसार, पिछले दस-बारह सालों में इंश्योर्ड यानी बीमित लोगों की संख्या दोगुनी के करीब हुई है अर्थात् भारत में इंश्योरेन्स सेक्टर का पदार्पण काफी पहले होने के बाद भी इस क्षेत्र में उतनी तरक्की नहीं हुई, जितनी कि वर्ष 2000 के बाद हुई और इस संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। सर्वे के मुताबिक कुल बीमित व्यक्तियों की संख्या में हर साल करीब दस प्रतिशत लोग नए जुड़ जाते हैं और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले पन्द्रह वर्षों में भारत में करीब साठ प्रतिशत लोग बीमित हो सकते हैं।

अगर आप क्रिएटिव माइंड के हैं और पॉजीटिव सोच रखते हैं तो इंश्योरेंन्स के दरवाजे आपके लिए खुले हुए हैं। इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं का भरोसा इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि आज भी देहातों में इंश्योरेन्स के प्रति लोगों में जागरुकता का खासा अभाव है। हालांकि जब से इंश्योरेन्स कम्पनियों ने छोटे शहरों और कस्बों की ओर रुख किया है, तब से काफी हद तक लोग इंश्योरेन्स को सही मायनों में समझने लगे हैं। लेकिन कम सर्विस और पहुंच के अभाव में अभी भी अधिकतर लोगों को इंश्योरेन्स की उतनी जानकारी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। ऐसे पिछड़े क्षेत्रों में इंश्योरेन्स बेचने और वहां के अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने, उन्हें जागरुक करने के लिए सभी इंश्योरेन्स कम्पनियों को कर्मठ और योग्य लोगों की जरूरत रहती है।

एक कम्पनी के ट्रेनिंग मैनेजर अजय कुमार बताते हैं कि ‘एशियाई देशों में बहुत कम लोग इंश्योर्ड हैं, जबकि आज हर किसी को हाई रिस्क सेफ्टी की जरूरत है। वर्ष 2006 में हुए एक सर्वे के अनुसार, हमारे देश में कुल बीस प्रतिशत लोग इंश्योर्ड थे। आज यह आंकड़ा बढ़कर करीब तीस से बत्तीस प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में इंश्योरेन्स सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं। वर्ष 2000 तक भारत में काफी कम कम्पनियां इस सेक्टर से जुड़ी थीं, जबकि आज करीब 47 कम्पनियां लाइफ इंश्योरेन्स और जनरल इंश्योरेन्स से जुड़ी हैं, जिनमें लाइफ इंश्योरेन्स करने वाली कम्पनियों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा कुछ बैंक भी इस सेक्टर से जुड़ चुके हैं। इधर विदेशी कम्पनियों ने भी अपने व्यवसाय जमाने शुरू कर दिए हैं।

यदि आप भी मार्केटिंग से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं तो इंश्योरेन्स में आपके लिए अपार संभावनाएं हैं। इंश्योरेन्स सेक्टर में आपने कोई कोर्स किया हो अथवा नहीं, आप इस क्षेत्र में पदार्पण कर सकते हैं। यही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आप बिना किसी स्पेशल कोर्स के भी कम से कम बतौर एजेन्ट आगे बढ़ सकते हैं। किसी कम्पनी में बतौर एजेन्ट काम शुरू करना पहली सीढ़ी है, लेकिन जैसे-जैसे बिजनेस यानी आपका टारगेट पूरा होता जाता है, वैसे-वैसे प्रमोशन भी होता जाता है। इस क्षेत्र में किसी भी पद पर प्रमोशन के लिए कम से कम एक साल मिलता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई व्यक्ति हर वर्ष प्रमोशन की सीढ़ी चढ़ सकता है।

दूसरे सेक्टरों की अपेक्षा इंश्योरेन्स सेक्टर एकदम भिन्न है। दूसरे सेक्टरों में जहां काम करने के घंटे निर्धारित होते हैं, इसमें टाइम की कोई पाबंदी नहीं होती, बस आपको ग्राहक से अपनी डीलिंग के हिसाब से चलना पड़ता है। इस सेक्टर में मेहनती और ईमानदार वर्कर्स की बेहद कद्र होती है। इसके लिए जो लोग इस क्षेत्र में अपनी कम्पनी के अधिकतम टारगेट या उससे अधिक का बिजनेस देते हैं, कम्पनी उनको तरह-तरह के आकर्षक और कीमती पुरस्कारों के अतिरिक्त देश-विदेश यात्रा का मौका देती है। इस क्षेत्र में लड़के -लड़कियां दोनों ही अपना भविष्य संवार सकते हैं।

एमिटी से एमबीए इंश्योरेन्स का कोर्स करने वाली प्रिया बताती हैं, ‘मैंने कोर्स करना इसलिए उचित समझा, ताकि इस सेक्टर में ऑफिस जॉब मिल सके। यह क्षेत्र मेहनत तो चाहता है, लेकिन इसमें करियर अच्छा है। साथ ही इसमें ट्रेन्ड लोगों की अभी काफी कमी है, इसलिए कोर्स करके नौकरी जल्द मिलने की उम्मीद है।’ इसी यूनिवसिटी से बीएससी एक्चुरियल साइंस के स्टूडेन्ट राजेश कुमार बताते हैं कि ‘कोर्स करने से कोई भी व्यक्ति कम्पनी के उच्च पद तक आसानी से पहुंच सकता है। दूसरा मार्केट में नौकरी ढूंढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती। कम्पनियां खुद जॉब पर बुला लेती हैं।’

लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेन्ट से एमबीए कर रहे अनिल शर्मा कहते हैं कि ‘इंश्योरेन्स ही नहीं, मार्केटिंग के सभी क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इंश्योरेन्स में इसलिए संभावनाएं ज्यादा हैं, क्योंकि इसे घर-घर जाकर बेचा जा सकता है।’ आईएफबीआई, दिल्ली से इंश्योरेन्स में छह माह का डिप्लोमा कोर्स करने वाले संदीप सिंह का मानना है, ‘यह सेक्टर मैंने काफी सोच-समझ कर चुना है। कोर्स करने के बाद मैं इसी क्षेत्र में करियर बनाऊंगा। मेरे हिसाब से इस क्षेत्र में कम समय में अच्छी तरक्की संभव है।’

इंश्योरेन्स के प्रमुख संस्थान

एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेन्स एंड एक्चुरियल साइंस
कोर्स : बीएससी एक्चुरियल साइंस। यह कोर्स आप बारहवीं के बाद कर सकते हैं। कोर्स पांच साल का है।

पता : ब्लॉक-आई-1, फस्र्ट फ्लोर, एमिटी यूनिवर्सिटी कैम्पस, सेक्टर-125, नोएडा (उ.प्र.)
वेबसाइट्स-www.amity.edu, www.amity.asias.edu

अन्य प्रमुख संस्थान

लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट
पता : शास्त्री सदन, सेक्टर-3, आरके पुरम, नई दिल्ली-110021
वेबसाइट- www.lbsim.ac.in

इंश्योरेन्स इंस्टीटय़ूट ऑफ इंडिया
पता : ब्यूटिपलिल चैम्बर्स, जेएम रोड, पुणे।
वेबसाइट : www.insuranceinstituteofindia.com

इंस्टीटय़ूट ऑफ फाइनेंस, बैंकिंग एंड इंश्योरेंस
वेबसाइट : www.ifbi.com

इंस्टीटय़ूट ऑफ इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेन्ट
वेबसाइट : www.iirmworld.org.in

कोचिंग संस्थान

ट्रंप एंड गेट्स, दिल्ली
वेबसाइट- www.trumpandgates.com

रेडिएन्ट कोचिंग सेन्टर, नोएडा और दिल्ली,
डी-70, सेक्टर-20, नोएडा (उ.प्र.)

स्कॉलरशिप

कुछ संस्थानों में एससी/एसटी तथा विकलांग और कुछ में पिछड़ा वर्ग को स्कॉलरशिप का प्रावधान है। संबंधित संस्थानों के अपने नियम हैं।

नौकरी के अवसर

इंश्योरेन्स एंड मैनेजमेंट के लोग इंश्योरेन्स, बैकिंग, शेयर बाजार तथा इंश्योरेन्स सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में नौकरी तलाश कर सकते हैं। जिन लोगों ने कोई कोर्स नहीं किया है, वे भी बतौर एजेन्ट या आईएसओ या बीडीओ या एक्जीक्यूटिव इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं।

एजुकेशन लोन

उम्मीदवार संस्थान की प्रवेश स्वीकृति के उपरान्त एजुकेशन लोन ले सकते हैं। लगभग सभी बैंक इसके लिए लोन प्रदान करते हैं। अधिकतम दस लाख तक का लोन मिल सकता है।

वेतन

इंश्यारेंस से संबंधित कोर्स करने वाले व्यक्ति को पन्द्रह हजार से पचास हजार (फ्रेशर की स्थिति में) तथा चालीस से दो लाख तक अनुभव और कोर्स के हिसाब से प्रतिमाह मिल जाते हैं।

परामर्श

परवीन मल्होत्रा, निदेशक, करियर गाइडेंस इंडिया

मैंने 2009 में बीएससी मैथ्स किया है। मैं जानना चाहता हूं कि वास्तव में एक एक्चुअरी क्या करता है और मैं यह कैसे बन सकता हूं?
प्रतीक कुमार, उत्तम नगर, नई दिल्ली

एक्चुअरी बीमा उत्पादों को बनाते और उनका विकास करते हैं, जोखिम आंकते हैं, उत्पाद का सही मूल्य निर्धारित करते हैं और परिसंपत्तियों तथा देनदारी का मूल्यांकन करते हैं। एक्चुअरी बनने के लिए आपका एक्चुअरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया, मुंबई का फैलो मैंबर होना जरूरी है। इसके लिए एएसआई द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। मैथ्स या स्टैट्स में एमएससी इस पाठ्यक्रम के लिए एक आदर्श योग्यता है।

भारत में एक्चुअरीज की वास्तव में कितनी मांग है? इस बारे में तरह-तरह के आंकड़े सुनने को मिलते हैं। फिलहाल हमारे देश में कितने एक्चुअरी होंगे?

अगले पांच सालों में भारत में एक्चुअरीज की मांग उनकी सप्लाई से बढ़े रहने के पूरे-पूरे आसार हैं। हालत यह है कि एक्चुअरीज की कमी एक समस्या का रूप अख्तियार कर चुकी है। फिलहाल भारत में 225 एक्चुअरी होंगे, जबकि जरूरत 400 की है।

मैं इस साल स्नातक हो जाऊंगा। क्या बीमा एक अच्छा विकल्प है? क्या मुझे आसानी से नौकरी मिल जाएगी?

तेजी से बढ़ते प्राइवेट बीमा सेक्टर में एजेंट्स की बहुत जरूरत है। नौकरी मिलने की भी दिक्कत नहीं।

यह अपार संभावनाओं का बाजार है

प्रो. आरआर ग्रोवर, डायरेक्टर, एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस एंड एक्चुरियल साइंस

इंश्योरेंस एक ऐसी फील्ड है, जिसमें मेहनत तो है, लेकिन स्कोप भी बहुत है। वर्ष 2000 में करीब आज से आधे लोग बीमित थे। जब इंश्योरेंस की स्थापना हुई थी, तब से आजादी के बाद तक लोग इंश्योरेंस से घबराते थे कि कहीं इंश्योरेंस ले लिया तो मर न जाएं। आज हर व्यक्ति इसके फायदे समझता है। यहां तक कि गृहिणियां अपने पतियों से इंश्योरेंस की आवश्यकताओं की अपेक्षा रखती हैं कि कहीं भविष्य में कुछ हो गया तो इंश्योरेंस ही एक ऐसा साधन है, जिसके बल पर परिवार को आर्थिक मदद मिल सकती है। दूसरी बात इंश्योरेंस एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें हर तबके का व्यक्ति ग्राहक होता है और हर क्षेत्र में योग्य व्यक्ति की इसमें आवश्यकता है। मसलन इंश्योरेंस में डॉक्टर भी चाहिए, इंजीनियर भी चाहिए, मैनेजमेंट के लिए भी लोग चाहिए, मार्केट के जानकार भी चाहिए, कंप्यूटर एक्सपर्ट भी चाहिए। इस प्रकार इस क्षेत्र में संभावनाओं का इतना विस्तार है कि कोई भी व्यक्ति कामयाब हो सकता है। इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं का बाजार इसलिए और भी गर्म है, क्योंकि भारत में आईआरडीए यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी बहुत सख्त है। जब से रेगुलेटरी का शिकंजा इंश्योरेंस कंपनियों पर कसा है, इसमें धांधली की गुंजाइश नहीं रही। पहले लोग डरते थे कि कहीं उनका पैसा मारा न जाए, लेकिन यह डर अब बिलकुल निर्थक है। जो एजेंट या उनसे ऊपर सीधे मार्केट से जुड़े वर्कर हैं। उन्हें सिर्फ सोच को सकारात्मक करके इस क्षेत्र में उतरने की आवश्यकता है। अगर वे ऐसा करते हैं तो निश्चित ही सफलता उनको मिलेगी। यह एक प्लस प्वॉइंट है कि यही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हर तरह से काफी ज्यादा ग्रोथ होने के साथ-साथ एक एजेंट भी मात्र तीन वर्ष में ब्रांच मैनेजर अथवा असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर या ट्रेनिंग मैनेजर बन सकता है। अर्थात् वह केवल तीन साल में सैलरी से लेकर पद तक तीन से चार स्टैप ऊपर जा सकता है। तो हर तरह से यह क्षेत्र काफी संभावनाओं वाला है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर एक एजेंट भी चाहे तो एक साल में फोर व्हीलर का मालिक बन सकता है। यानी अगर वह मेहनत और लगन से काम करे तो साल भर में ब्रांच मैनेजर से भी अधिक कमा सकता है।

कुछ टिप्स हैं, जिन पर अमल करके कोई भी इंश्योरेंस कर्मी अच्छे स्तर पर पहुंच सकता है:

वार्तालाप और भाषा ज्ञान में निपुणता।
पॉजिटिव सोच।
अधिक-से-अधिक मार्केट की जानकारी तथा उसे अपडेट करते रहना।
हमेशा तत्पर रहना।
ईमानदारी से काम करना।
कम्प्यूटर फ्रैंडली होना।
अधिक से अधिक लोगों के सम्पर्क में रहना।
अपनी ड्रैस और लुक का विशेष ध्यान रखना।

जुनून की हद तक मेहनत करनी होगी
रंजीत कुमार, ब्रांच मैनेजर, बजाज आलियांज एलआईसी लि.

एमबीए का कोर्स करने के बाद एजेन्ट की हैसियत से एक इंश्योरेन्स कंपनी से अपना सफर तय करने वाले रंजीत कुमार आज बजाज आलियांज एलआईसी लि. में ब्रांच मैनेजर के पद तक पहुंच चुके हैं। रंजीत कुमार के अनुसार, मैंने बिरला सन लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी में बतौर एजेंट अपना करियर शुरू किया। वहां एक साल के करीब काम करने के बाद बजाज आलियांज में बीडीएम (बिजनेस डेवलपमेन्ट मैनेजर) के पद पर ज्वॉइनिंग ली और आज इसी कम्पनी में ब्रांच मैनेजर का पद पा चुका हूं।

आपने यहां तक के सफर को कैसे अंजाम दिया?

किसी काम को करने के पीछे आपका एक उद्देश्य होता है, बस आपको उस उद्देश्य को समझना होता है। आप उसे अपना सपना भी कह सकते हैं। इसके बाद आपको पूरी ईमानदारी से आत्मविश्वास के साथ मेहनत करनी होती है। अगर आप ऐसा करते हैं तो लक्ष्य एक दिन आपको प्राप्त होता ही है।

आपको कितना वक्त लगा?

मुझे इस सफर में तीन स्टैप पार करने पड़े-पहला एजेन्ट का, दूसरा बीजीएम का और तीसरा एबीएम (असिस्टेन्ट ब्रांच मैनेजर का) तथा कुल मिला कर चार साल लगे।

इस क्षेत्र में अच्छे करियर के लिए क्या बेहतर क्वालिफिकेशन की बाध्यता है?

वैसे तो स्नातक व्यक्ति यहां तक पहुंच सकता है, लेकिन उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। जैसे अगर एक ही पद के लिए दो इंश्योरेन्स करने वालों का रेन्क बराबर है और एक की क्वालिफिकेशन केवल स्नातक है, जबकि दूसरा एमबीए या स्नात्कोत्तर है तो पहले दूसरे का प्रमोशन होगा।

इंश्योरेंस सेक्टर में कोई टाइम शडय़ूल निर्धारित है?

इंश्योरेन्स में आने वाले को चौबीस घंटे एक सैनिक की तरह तैयार रहने वाला होना चाहिए, क्योंकि इसमें ड्य़ूटी अवर्स तो होते हैं, लेकिन ग्राहक कब बुला ले, कोई पता नहीं। वह कभी भी अपनी सुविधा के हिसाब से आपको बुला सकता है, आपको उसी के हिसाब से चलना पड़ता है, इसलिए वर्किग शडय़ूल होते हुए भी नहीं होता।

क्या इंश्योरेन्स में दोनों तरफ (कम्पनी और ग्राहक) से प्रेशर होता है?

कम्पनी का एक विनिमय टारगेट होता है, आप उसे दबाव मानेंगे तो काम करना मुश्किल है। आप उसे अपना काम समझ कर कीजिए, सारा दबाव खुद खत्म हो जाएगा। रही ग्राहकों की बात तो आपको उनका विश्वास जीतना होता है। सही समय पर सर्विस देनी होती है, ईमानदारी से प्रोडक्ट बेचने होते हैं। अगर आपने ग्राहक बनाना सीख लिया तो आप दोनों तरफ के प्रेशर से बच जाएंगे और काम अच्छे से चलेगा।

(पण्डित प्रेम बरेलवी,हिंदुस्तान,दिल्ली,27 अप्रैल,2010)

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