राजस्थान के धोरों मे जल्द ही जलधारा की सौंधी महक का एहसास होगा। इजरायल ने अपने यहां आजमाए तरीकों से राजस्थान में बूंद-बूंद पानी बचाने और बेहतर तकनीक के इस्तेमाल से जल संकट से निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार से हाथ मिलाया है।
राजस्थान के दौरे पर आए भारत में इजरायल के राजदूत मार्क सोफर ने मंगलवार को 'पत्रिका' से खास बातचीत में बताया कि जल मिशन के तहत जल प्रबन्ध से लेकर, पानी के समझदारीपूर्ण उपयोग, खारे पानी को उपयोगी बनाने, पानी के नए स्रोत पैदा करने और बूंद-बूंद बचत और सिंचाई मे ड्रिप इरिगेशन आदि के लिए इजरायल अपने यहां की उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता राजस्थान को भी मुहैया कराएगा। जुलाई मे योजना का शुरूआती आकलन किया जाएगा। बाद के चरण में प्रदेश में सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स बनाया जाएगा जिसमे इजरायल के सहयोग से पानी के अलावा, कृषि, डेयरी और अन्य क्षेत्रों में जमीनी हकीकत बदलने में तकनीक के उपयोग पर काम होगा।
हम एक जैसे
सोफर ने बताया कि राजस्थान और इजरायल दोनों का ज्यादातर भूभाग रेगिस्तानी है और यहां की जमीनी समस्याएं भी एक जैसी हैं। इजरायल नेगेव रेगिस्तान को हराभरा बनाने मे बीते साठ सालों में जो कुछ सीखा उसका प्रयोग राजस्थान में भी किया जा सकता है। पानी की समस्या का वैज्ञानिक समाधान के बाबत प्रदेश सरकार से वार्ता काफी आगे के दौर में है।
विशेषज्ञ दल अगले महीने
सोफर ने बताया कि यहां की समस्या के बाबत रिपोर्ट तैयार करने के लिए जुलाई-अगस्त में विशेषज्ञों का दो-तीन दल प्रदेश आएगा। इसके अलावा हरियाणा की तर्ज पर यहां भी पानी को लेकर एक सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किए जाने की तैयारी है। इसमें स्थानीय कृषि विशेषज्ञों, किसानों आदि की भागीदारी के साथ मौसम के हिसाब से सही फसल के चुनाव और उत्पादकता बढाने मे उच्च तकनीक के उपयोग के प्रयास होंगे। बाद के चरणों में डेयरी और पशुधन के क्षेत्र में भी दखल होगी।
हर मोर्चे पर भारत के साथ
सोफर ने बताया कि इस्त्राइल और भारत ने हमेशा से बाहरी आतंकवाद का दंश झेला है। भारत का मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व में हर समस्या का हल ढूंढने में सक्षम है और हम हर मोर्चे पर भारत के साथ हैं। मुस्लिम देश सहित दुनियाभर के तमाम देश आतंकवाद के खतरे में जी रहे हैं इसलिए समाधान में वैश्विक समुदाय की भागीदारी होनी चाहिए। इस्लामिक और इस्लामिस्ट टेरोरिज्म में फर्क स्पष्ट तौर पर समझा जाए। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ सूचना, विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, कृषि आदि क्षेत्र में कई स्तर पर हाथ मिला रहे हैं।
भारत से प्रेम
सोफर ने कहा कि हर इस्राइली भारतीय आबोहवा और यहां बसी मानवीय प्रेम व आस्था की महक से सराबोर है। भारत में आकर शान्ति, आध्यात्मिकता, संस्कृति और नैतिकता का गहरा अहसास होता है। यदि इस्राइल के लोगों से यहां के बारे में राय पूछें तो एक ही जवाब मिलेगा- फेसिनेटिंग।
यही वजह है कि इस्राइल के सात विश्वविद्यालयों में हर एक में भारत अध्ययन की फेकल्टी है और करीब 700 विद्यार्थी वहां संस्कृत, भारतीय संस्कृति और हिन्दू चिन्तन के बारे में पढाई कर रहे हैं। हर साल करीब चालीस से पचास हजार इस्रायली पर्यटक के तौर पर भारत आते हैं। यहूदी और हिन्दू समाज की सोच में भले ही भिन्न्ता हो लेकिन बच्चों की शिक्षा और परिवार मूल्यों के बारे में दोनों समाज समान मूल्यों से संचालित हैं। दोनों देशों में एक ही छत के नीच हंसी खुशी रह रही तीन- चार पीढियां हमारी ताकत हैं।
(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,26 मई,2010)
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