मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

18 मई 2010

ग़लती का मूल्यांकन करें और आगे बढ़ें

आप किसी भी सफल कारोबारी से यह पूछेंगे कि सबसे बड़ा अवसर आपको कैसे मिला? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा कि यह कारोबार को सफल बनाने के दौरान मिली असफलता के बावजूद लगे रहने से हासिल हुआ। यह सही है कि आपको कारोबार या किसी भी क्षेत्र में सफलता और असफलता दोनों ही का मुंह देखना पड़ता है। लेकिन ज्यादातर समय में होता यह है कि आपको जब किसी काम में असफलता हाथ लगती है तब आप हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं। प्रयास करना भी छोड़ देते हैं। यह तो तय है कि आप कोई भी काम करेंगे तो उसमें सफलता और असफलता तो मिलनी ही है। अच्छा तो यह होगा कि आप जब अपने प्रयासों में असफल रहते हैं तब आपको उसकी वजह ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।

हालांकि, प्रयासों में मिली असफलताओं से सीखना कोई बहुत आसान नहीं है। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक टेढ़ी खीर है। यह सच है कि जब प्रयासों में असफलता मिलती है तब आप बहुत दुखी हो जाते हैं। आप इस स्थिति में नहीं होते हैं कि आप असफलता के कारणों की पड़ताल कर सकें। लेकिन बगैर मूल्यांकन के आप चीजों को ठीक नहीं कर सकते हैं। आप असफल प्रयासों के मूल्यांकन के सहार ही अपनी गलतियों को ठीक कर सकते हैं। यह बहुत ही स्वाभाविक सी बात है कि कारोबार के दौरान आप गलती कर बैठे। लेकिन अच्छी बात यह है कि आपको अपनी गलतियों का अहसास होता है। एक अवसर मिला और आप उसको भुना नहीं सके तो ऐसा नहीं कि आपका जीवन बेकार हो गया। आप अवसरों की ताक में लगे रहिए। आपको दोबारा मौके मिलेंगे।

अपनी पिछली गलतियों का मूल्यांकन कीजिए और अगले मौके की ताक में रहिए ताकि उसे भुना सकें। आप जब अपनी गलतियों का मूल्यांकन बहुत आहत हुए बगैर करेंगे तब आप चीजों को अपेक्षाकृत जल्दी ठीक कर सकेंगे। आप अपनी गलतियों को व्यक्तिगत नुकसान से ज्यादा कुछ मत मानें। गलतियों को मन से स्वीकार कर पाना भी तो एक बड़ी जीत जैसा ही होती है। आप नकारात्मक परिणामों को भी उपहार की तरह स्वीकार करें। आपने वह हरक काम जो गलत किया, आप जो हरक गलती पर पीड़ित हुए, आपने आगे बढ़ने के क्रम में जो भी गलतियां कीं, वह आपके लिए एक सीख की ही तरह है। आपको अपनी की गई गलतियों से बहुत सारी सीख मिलती है। लेकिन सवाल तो यह है कि आप भूल सुधारने में कितने सक्षम हैं? आप चीजों को ठीक करने के क्रम में अपना समय तो जाया नहीं करते हैं। कुछ सबक तो आपके कामकाज के तौर-तरीकों में बदलाव ला सकती है। लेकिन कुछ सबक का आपके लिए कोई खास मायने नहीं रह जाता है। आपने कौन सा काम गलत किया।

आपने कौन सा अनुचित कदम उठाया। यह जानने की बजाय आप अपना समय इस बात पर खर्च करें कि कौन सी गड़बड़ी आपको सकारात्मक दिशा में ले जाएगा। कौन सी सीख आपकी उत्पादकता बढ़ाने में या आपके आसपास के वातावरण में व्यापक बदलाव लाने का काम करती है। यह मायने नहीं रखता है कि आप कौन सा कारोबार कर रहे हैं। नतीजों में तब बदलाव आ सकता है जब आप अपने कारोबार की प्रकृति को समझ पाएं। आप अगर अपने बिजनेस की प्रकृति को समझे बगैर कुछ भी करते हैं तब चाहे आप कुछ भी बेच रहे हों, कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कुछ भी करते हैं तब यह आपकी छवि बनाने का काम करता है।

या यूं भी कह सकते हैं कि आप कुछ भी काम करते हैं तो उससे आपके चरित्र का खुलासा होता है। आपके लिए कौन सी बात महत्व रखती है। हालांकि, यह बातें बहुत ही व्यक्तिगत महत्व की हैं। आप अगर अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए बाहरी स्रोतों की मदद लेते हैं तब आपकी दिक्कतों में इजाफा होने लगता है। आपकी निर्भरता ऐसे स्रोतों पर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। आप अपने कारोबार के दौरान उत्पाद से लेकर कर्मचारियों के कामकाज के तौर-तरीकों का फीडबैक नहीं लेते हैं तब आपके लिए आगे बढ़ना बहुत ही मुश्किल होगा। कोई भी व्यक्ति जो कुछ बोलता है, जैसा व्यवहार करता है, तय रूप से वह सबकुछ उसके खुद के भीतर और उसके आसपास घट रहा होता है। आप चाह कर भी सभी को खुश नहीं रख सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने उपभोक्ताओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना ही छोड़ दें।

कारोबारियों को अपने ग्राहकों से अच्छी और बुरी दोनों ही तरह की प्रतिक्रिया के बार में जानने-समझने की कोशिश करनी चाहिए। थोड़े समय के बाद आप इन प्रतिक्रियाओं को सुनने की अपेक्षा उसके हल में जुट जाएं। संतुष्ट कर्मचारी अपने काम को लेकर अगर कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं तब आपको यह समझना चाहिए कि वह आपसे कुछ ज्यादा की इच्छा रख रहे हैं। यह सच है कि हरक उद्योग की अपनी कुछ-न-कुछ सफलता की कहानी होती है और कंपनी को नेतृत्व देने वालों का उसमें योगदान रहता ही है। लेकिन आप अपने नेतृत्व पर जरूरत से ज्यादा निर्भर करने लग जाते हैं तो यह ठीक नहीं होता। किसी को जरूरत से ज्यादा बढ़ावा देने का कोई मतलब नहीं होता(संपादकीय,बिजनेस भास्कर,18 मई,2010)
(टिप्पणीः 21 मई के चिट्ठाचर्चा में इस पोस्ट की चर्चा हुई है।)

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश ।

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।