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17 मई 2010

रिटेल क्षेत्र में रोज़गार की संभावना प्रबलःआशुतोष वर्मा

वर्ष २००९ में आई वैश्विक मंदी में भी आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के वाले खुदरा (रिटेल) या एफएमसीजी क्षेत्र के विस्तार और कमाई पर खास प्रभाव नहीं पड़ा। भारतीय रिटेल बाजार दुनियाभर में पांचवां सबसे बड़ा बाजार है। इसके अलावा २००९ के दौरान भारतीय रिटेल बाजार निवेश के लिए सबसे ज्यादा आकर्षक स्थल माना गया। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में जहां एक तरफ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा था वहीं यह क्षेत्र लगातार लोगों के लिए नई संभावनाएं पैदा करने में लगा हुआ है। बाजार सूत्रों के मुताबिक, स्टोर मैनेजरों से लेकर मार्केटिंग तथा फ्लोर इंचार्ज की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, खुदरा क्षेत्र में आगामी तिमाही के दौरान १० से १५ फीसदी लोगों की नियुक्तियां होने की संभावना है।

रिटेल बाजार का आकार

बाजार सूत्रों के मुताबिक, २०१३ तक भारतीय रिटेल बाजार ८३३ अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा और १० फीसदी की वार्षिक विकास दर के साथ यह २०१८ तक १.३ खरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह आंकड़े सही मायनों में बेहद आकर्षक दिखाई देते हैं। इन आंकड़ों के पीछे पिछले चार सालों में उपभोक्ता खर्च में आई करीब ७५ फीसदी की बढ़ोतरी को माना जा रहा है। इसके अलावा सुव्यवस्थित रिटेल बाजार भारत में ४० फीसदी की सालाना बढ़ोतरी के साथ २०१३ तक १०७ अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

फिलहाल सुव्यवस्थित रिटेल बाजार की कुल खुदरा बाजार में हिस्सेदारी ५ फीसदी है जिसमें तेजी से बढ़ते मॉल और ब्रांडेड रिटेल स्टोर को प्रमुख कारण माना जा सकता है। एक ताजा शोध के मुताबिक, साल २०१० के अंत तक करीब १०० मॉल्स का निर्माण पूरा हो जाएगा। २००९ के दौरान सुव्यवस्थित रिटेल बाजार में कुल निवेश ५०३ मिलियन डॉलर रहा जोकि आगामी चार-पांच सालों में ४० फीसदी की सालाना बढ़ोतरी के साथ १.२५ अरब डॉलर हो जाएगा। बेशक इसमें दो राय नहीं है कि बढ़ते मॉल्स और स्टोर खुलने तथा निवेश की तेज गति लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आएगी।

गौरतलब है कि इस बार मैनेजमेंट संस्थानों से कई स्तानक बच्चों को रिटेल या एफएमसीजी कंपनियों ने मोटा वेतन देकर नौकरियों पर रखा है। सूत्रों के मुताबिक इस बार कंपनियां २५ फीसदी अधिक वेतन देकर लोगों को नौकरियां दे रही हैं। यह बात इस ओर इशारा करती है कि मंदी का प्रभाव इस क्षेत्र पर बड़ी हद तक दूर होता जा रहा है। जहां तक विदेशी निवेश की बात की जाए तो जुलाई २००९ में एकल-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह ४६ करोड़ डॉलर के करीब रहा।

एचएसबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हेयर केयर, घरेलू सामग्री, पुरुषों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री, क न्फैक्शनरी तथा महिलाओं के सौंदर्य उत्पाद जैसी श्रेणियां सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं। उद्योग संगठन फिक्की एवं एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, एफएमसीजी एवं रिटेल कंपनियां का मुख्य लक्ष्य श्रेणी -२ और श्रेणी -३ शहरों में अपने कारोबार को फैलाना है।

भारतीय रिटेल बाजार का बढ़ता कद

* ब्रिटेन की कंपनी मार्कर एंड स्पेंसर और रिलायंस दोनों की संयुक्त उद्यम के तहत आगामी पांच सालों में ३५ नए स्टोर खोलने की योजना है। फिलहाल दोनों के १५ स्टोर भारत में हैं।

* यूरोप का सबसे बड़ा रिटेलर केयर फॉर एसए भारत में २०१० के अंत तक थोक बिक्री परिचालन शुरू कर सकता है। साथ ही, कंपनी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पहला कैश-एंड-कैरी आउटलेट खोलने की योजना बना रही है।

* ज्वैलरी मैन्यूफेक्चर्स एवं रिटेलर गीतांजलि और एमएमटीसी दोनों ने मिलकर रिटेल श्रृंखला को खोलने की योजना बनाई है। इसमें से २००९ तक ६० ज्वैलरी रिटेल स्टोल खोले जा चुके हैं।

* महिंद्रा समूह की महिंद्रा रिटेल कंपनी १९ करोड़ ८० लाख डॉलर निवेश करने की योजना बना रही है। महिंद्रा रिटेल २०१० में "मॉम एंड मी" आधारित रिटेल स्टोर खोलने की योजना भी बना रहे है।

* पेंटालून रिटेल इंडिया आगामी दो वर्षों में अपनी विस्तार योजना के तहत १० करोड़ ३३ लाख डॉलर निवेश करेगी।

* कुछ अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां जैसे कि थाईलैंड की स्पीनिको पिज्जा, आस्ट्रेलिया की कॉफी क्लब, जापान की लोलिता फैशन आदि भारत में पहले पैर पसारने के लिए बेताब हैं।
(नई दुनिया,दिल्ली,17.5.2010)

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