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17 मई 2010

ऑपरेशनल रिसर्च में करियरःजयंतीलाल भंडारी

बिजनेस से जुड़े कार्यों में निर्णय का मामला हो या फिर कंपनियों में जटिल परिस्थितियां समझने का इसमें मैथेमेटिक्स एवं स्टेटिस्टिक्स की जिन एप्लिकेशंस की जरूरत पड़ती है, उसे ऑपरेशन रिसर्च के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह कोर्स २०वीं सदी की पैदाइश है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश फौजों ने वैज्ञानिकों व इंजीनियरों से विभिन्न सैन्य समस्याओं, मसलन रडार की तैनाती, सैन्य बलों की तैनाती, बमबारी तथा माइनिंग ऑपरेशन का विश्लेषण व परीक्षण करने को कहा। इसे मिलिटरी ऑपरेशन रिसर्च कहा गया और बाद में यह ऑपरेशनल रिसर्च बन गया। धीरे-धीरे इसका स्वरूप भी बदलता गया और आज यह डाटा पर केंद्रित हो गया अर्थात ऑपरेशन रिसर्च डाटा की समस्याओं का हल निकालने से संबंधित विषय बन गया।

आज देश के ज्यादातर बैंक एटीएम से लैस हो रहे हैं लेकिन ये एटीएम कहां और कैसेलगाने हैं, इसके लिए बैंकों को विशेषज्ञ चाहिए। इसी तरह बिजनेस इंडस्ट्री या उद्योग जगत को भी प्रबंधन की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। इन सबके हल के लिए ऑपरेशनल रिसर्च के जानकारों की मदद लेनी पड़ती है। यही नहीं, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों या नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग में भी बहुत सारे डाटा आते हैं। इस कोर्स में गणित की नवीनतम एप्लिकेशंस के जरिए यह सिखाया जाता है कि कौन सा डाटा उपयोगी है ताकि उस आधार पर बेहतर निर्णय लिया जा सके और कंपनी को कम खर्चे में मुनाफा पहुंचाया जा सके। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रचुर डाटाओं के बीच उपयोगी डाटा निकालकर उसका इस्तेमाल किस तरह किया जाए, ऑपरेशनल रिसर्च यह बात बखूबी सिखाता है। इस तरह की भूमिका को देखते हुए ही राष्ट्रीय से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में ऑपरेशनल रिसर्च के विशेषज्ञों की आज भारी मांग है।

ऑपरेशनल रिसर्च का काम मैन्युफेक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट, रिटेलिंग, मार्केटिंग, फाइनेंशियल और सर्विस सेक्टर, रेवेन्यू, मैनेजमेंट, कंसलटेंसी, इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्रों से जुड़ा होता है। ऑपरेशनल रिसर्च के कोर्स मेंकई तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाती है। मसलन लिनियर, नॉन लिनियर, पैरामैट्रिक एंड नेटवर्क, ऑप्टिमाइजेशन, इन्वेंटरी, रिलायबिलिटी, मार्केटिंग, क्वालिटी कंट्रोल आदि। कोर्स में ऑपरेशनल मॉडल्स के गठन के बारे में बताया जाता है। छात्रों को ऑपरेशनल रिसर्च मॉडल्स तैयार करने और फिर उसके विश्लेषण की कला के बारे में दक्ष बनाया जाता है। कोर्स में ऑपरेशनल रिसर्च के प्रयोग और उसकी प्रक्रिया को सीखने पर बहुत जोर दिया जाता है। इसमें कुशल बनाने के अलावा इंडस्ट्री का प्रोजेक्ट वर्क और केस स्टडीज में टूल्स के इस्तेमाल की जानकारी दी जाती है। इस कार्यक्रम या कोर्स का मूल लक्ष्य एक अच्छा एनेलिस्ट या विश्लेषण करने वाला व्यक्ति पैदा करना होता है।

ऑपरेशनल रिसर्च के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए उम्मीदवार का स्नातक होना आवश्यक है। स्नातक स्तर पर मैथेमेटिक्स कंप्यूटर साइंस या सांख्यिकी की पढ़ाई की हुई होनी चाहिए। ऑपरेशनल रिसर्च की पढ़ाई देश में विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों में कोर्स के एक पार्ट के रूप में होती है लेकिन कई संस्थान इस विषय को पृथक से भी पढ़ाते हैं। इस क्षेत्र में प्लेसमेंट के लिए अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक, ने सॉफ्टवेयर, जीई कैपिटल, इंडिया बुल्स, सेफ एक्सप्रेस, सिंफनी कॉर्पोरेशन जैसी कई कंपनियां ऑफर लेकर आती हैं।

ऑपरेशनल रिसर्च का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं

* दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

* किरोड़ीमल कॉलेज, उत्तरी परिसर, दिल्ली।

* हिंदू कॉलेज, दिल्ली।

* इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टिट्यूट बेंगलुरु तथा कोलकाता।

* आईटीआई मुंबई, कानपुर, खड़गपुर।

* पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पुडुचेरी।

* नेशनल रिमोट सेंसिंग इंस्टिट्यूट, देहरादून।
(नई दुनिया,दिल्ली,17.5.2010)

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