एसएससी बोर्ड के 'बेस्ट ऑफ फाइव' फॉर्म्युले पर सरकार ने अपने रुख पर कायम रहते हुए गुरुवार को हाईकोर्ट में हलफनामा पेश किया। सरकार ने फरवरी में इस आशय का जीआर निकाला था कि 11वीं में एडशिमन के लिए एसएससी बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए बेस्ट फाइव फॉर्म्युला लगाया जाएगा।
इस नियम से एसएसी बोर्ड के स्टूडेंट्स उन विषयों का चयन कर सकते हैं जिनमें उसके सबसे अच्छे मार्क्स हैं। आईसीएसई बोर्ड से 10वीं का एग्जाम देनेवाले कुछ बच्चों के पैरेंट्स ने सरकार के इस कदम को हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करके चुनौती थी और यह कहा था कि बेस्ट फाइव का फॉर्म्युला आईसीएसई स्टूडेंट्स पर भी लागू किया जाना चाहिए।
याचिका की सुनवाई आज जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और जे. एन. पटेल की पीठ करेगी। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसने यह निर्णय महाराष्ट्र सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड ऐक्ट के नियमों के तहत अकेडमिक काउंसिल की सलाह से लिया है। सरकार ने तर्क दिया है कि उसने बोर्ड को इस नियम की जानकारी 2 फरवरी को ही भेज दी थी और बोर्ड से कहा था कि बेस्ट फाइव के बारे में अखबारों में सभी जानकारी विज्ञापनों के जरिए प्रकाशित कर दी जाए। बोर्ड ने इस आशय के विज्ञापन 22 फरवरी तक प्रकाशित कर दिए थे जिसमें सभी लोगों से सुझाव और आपत्ति मांगे गए थे।
बोर्ड को 250 पत्र मिले भी। इसमें 189 बेस्ट फाइव के समर्थन में थे तो 59 विरोध में। दो न विरोध में थे न समर्थन में। 25 फरवरी को सरकार ने प्रस्तावित संशोधन को लागू कर दिया और जीआर इशू कर दिया गया।
बता दें, हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में 11वीं में एडमिशन प्रक्रिया पर स्टे दे दिया था। यह लगातार तीसरा साल है, जब एडमिशन पर सरकार को कोर्ट में जाना पड़ा है। पिछले साल एसएससी बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए कोटा निर्धारित करने और 2008 में प्रसेंटाइल फॉर्म्युले के मुद्दे पर सरकार कोर्ट में मुंह की खा चुकी है(नभाटा,मुंबई,18 जून,2010)।
२००९ के एसएससी बोर्ड के स्टूडेंट्स ने क्या कोई गुनाह किया था जो बेस्ट ५ का कानून नहीं लाया.? क्या जॉब के वक़्त यह दखा जाएगा यह २००९ स्टुडेंट है, और यह २०१०.
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