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19 जून 2010

उत्तराखंड में बढ़ सकती है डिग्री कॉलेजों की फीस!

उत्तराखंड के तमाम राजकीय महाविद्यालयों में प्रवेश लेते समय पड़ने वाली फीस कभी भी बढ़ाई जा सकती है। आज तक प्रदेश के महाविद्यालयों मे पढ़ने वाल स्टूडेंट्स से वर्षो पुरानी अविभाज्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित फीस के अनुसार ही शिक्षण शुल्क वसूला जा रहा था। लेकिन अब शिक्षा विभाग दिन प्रतिदिन मंहगाई को देखते हुए महाविद्यालयों के शिक्षण शुल्क को बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। इसके लिए जल्द ही उच्च शिक्षा निदेशालय पड़ोसी राज्यों के महाविद्यालयों के शुल्क ढांचे का तुलनात्मक अध्ययन कर नये सिरे से फीस निर्धारण के लिए प्रस्ताव तैयार करेगा।

उल्लेखनीय है कि सन् 1962 से उत्तराखण्ड के तमाम राजकीय महाविद्यालयों में विद्यार्थियों से अविभाज्य उत्तर प्रदेश के समय निर्धारित किया गया शुल्क ही लिया जा रहा है। तब से लेकर आज तक प्रदेश के महाविद्यालयों में शुल्क वृद्धि नहीं की गई है। देश में मंहगाई तो बढ़कर कहां से कहां पहुंच गई लेकिन इन महाविद्यालयों में आज भी पूरे साल महज 132 रुपये टय़ूशन फीस ली जा रही है। जो महिलाओं और आरक्षित वर्ग के लिए निशुल्क है। इस कारण महाविद्यालय के कोष में शुल्क मद में आने वाली धनराशि बहुत कम रह जाती है।

प्रदेश के तमाम महाविद्यालयों में आज भी वही शुल्क वसूला जा रहा है जो 1962 में निर्धारित हुआ था। लेकिन अब उच्च शिक्षा विभाग महाविद्यालयों की आय कुछ हद तक बढ़ाने के लिए महाविद्यालयों की फीस बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए जल्द ही हिमाचल प्रदेश और आसपास के अन्य पड़ोसी राज्यों के महाविद्यालयों में पड़ने वाले शुल्क का अध्ययन किया जाएगा। उसके आधार पर उचित प्रक्रिया के अंतर्गत नया शुल्क निर्धारित किया जाएगा। इस संबंध में संयुक्त निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. बहादुर सिंह बिष्ट ने बताया कि शासन से ही इस संबंध में प्रस्ताव आया था। लेकिन अगर इस सत्र से इसे लागू कर फीस में वृद्धि कर दी जाती है तो इससे जनप्रतिनिधि और छात्र नेताओं का विरोधस्वरूप आंदोलन शुरू होने का अंदेशा है। इसलिए इसे लागू करने में अभी समय लगेगा।
(शीतल रावत,हिंदुस्तान,हल्द्वानी,18.6.2010)

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