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01 जून 2010

टीचिंग में करियर

जब भी कोई किसी सफलता के मुकाम पर पहुंचता है तो माता-पिता के साथ गुरु यानी शिक्षक को भी जरूर याद करता है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जहां भी व्याख्यान देते हैं, अपने उन शिक्षकों को जरूर याद करते हैं, जिनकी वजह से वे इस मुकाम तक पहुंचे। आज एक पेशेवर शिक्षक बनने के लिए सिर्फ एमए और बीए की डिग्री ही काफी नहीं है, इसके लिए अलग से ट्रेनिंग भी लेनी होती है। इसके बाद ही शिक्षण संस्थानों में वे अपनी सेवाएं दे सकते हैं और एवज में अच्छा वेतन प्राप्त करते हैं। अच्छे वेतन के कारण ही आज शिक्षण का पेशा युवाओं को भा रहा है। इस क्षेत्र में हर साल सैकड़ों युवा सामने आ रहे हैं, कोई प्राथमिक शिक्षक के रूप में तो कोई स्कूल या कॉलेज शिक्षक के रूप में।

निजीकरण की व्यवस्था ने भी इसे खूब बढ़ावा दिया है। आर्थिक उदारीकरण के बाद शिक्षा एक बड़े उद्योग के रूप में सामने आया है। व्यवसाय के रूप में देश के कोन-कोने में स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय खुल रहे हैं। निजी उद्यमी इस व्यवसाय में बढ़-चढ़ कर निवेश कर रहे हैं। लेकिन ऐसे संस्थानों को चलाने के लिए सिर्फ पूंजी और प्रबंधन ही काफी नहीं, अच्छे शिक्षक की भी जरूरत है। अगर मामला नर्सरी के बच्चों का है तो उसके लिए एनटीटी का प्रशिक्षण जरूरी है। प्राथमिक स्कूल के लिए जेबीटी और माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए बीएड। कॉलेज में अध्यापन के लिए प्रशिक्षण की जरूरत तो नहीं, लेकिन एमए और नेट या पीएचडी की जरूरत पड़ती है। अध्यापन का भविष्य आने वाले समय में और उज्ज्वल है, क्योंकि देश में शिक्षा का अधिकार बिल पास हो चुका है। 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य रूप से स्कूलों में शिक्षा पाने का हक मिल गया है। इस बिल के पास होने के बाद सरकारी स्तर पर आज बहुत सारे स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ेगी। उनके लिए सैकड़ों शिक्षकों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा देश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं। साथ ही जिला स्तर पर भी कॉलेज खोले जाने की योजना है। सरकार देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के आने का भी रास्ता साफ कर रही है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को रोजगार मिलेगा। रोजगार की इस संभावना को देखते हुए इसकी तैयारी जरूरी है। उचित ट्रेनिंग और अनिवार्य योग्यता होने पर ही इस पेशे में जाने का रास्ता खुलेगा। शिक्षण के लिए जूनियर स्तर का मौका नर्सरी ट्रेनिंग करने पर मिलता है। 12वीं पास करने के बाद नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए यह कोर्स कराया जाता है। ऐसे शिक्षकों को क्रैश या नर्सरी स्कूलों में पढ़ाने का अवसर मिलता है।

दूसरा कोर्स है जेबीटी या एलिमेंट्री टीचर्स ट्रेनिंग का। प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए जेबीटी डिग्रीधारक युवाओं को इस पेशे में आने का मौका दिया जाता है। यह दो साल का ट्रेनिंग कोर्स है। इसमें बीएड वालों को नहीं लिया जाता। दिल्ली में जहां इसे जेबीटी यानी जूनियर टीचर ट्रेनिंग कोर्स का नाम दिया गया है, वहीं उत्तर प्रदेश में इसे बीटीसी के रूप में जाना जाता है। मध्यप्रदेश में इसके लिए डीएड प्रचलित है यानी डिप्लोमा इन एजुकेशन। यह दो साल का कोर्स है, जिसमें दाखिले के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं की परीक्षा पास होना है। दाखिला कहीं प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है तो कहीं मेरिट के आधार पर।

माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीजीटी शिक्षकों की जरूरत पड़ती है। टीजीटी यानी ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर। यह बनने के लिए बीए और बीएड की डिग्री होनी चाहिए। ये शिक्षक देशभर के स्कूलों में 10वीं तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। इसके बाद उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए पीजीटी यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर की जरूरत होती है। इसके लिए बीए और बीएड के अलावा उस विषय में एमए या एमएससी होना जरूरी है, जिस विषय को स्कूल में पढ़ाना है। ये शिक्षक 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
कॉलेज शिक्षण के लिए संबंधित विषय में एमए और नेट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी टैस्ट पास होना जरूरी है। नेट का आयोजन यूजीसी द्वारा साल में दो बार दिसम्बर और जून में किया जाता है। नेट परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को यूजीसी फैलोशिप भी प्रदान करती है, जिसे जेआरएफ कहते हैं यानी जूनियर रिसर्च फैलोशिप। इस परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों को यूजीसी एक सर्टिफिकेट प्रदान करती है। जिन उम्मीदवारों ने यूजीसी के रेगुलेशन से पीएचडी की डिग्री हासिल की है, वे भी कॉलेज शिक्षक यानी असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं।

टीचिंग के प्रमुख संस्थान

सेंट्रल इंस्टीटय़ृट ऑफ एजुकेशन,
दिल्ली विश्वविद्यालय, छात्र मार्ग, दिल्ली-110009

संस्थान को अब फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। संस्थान की स्थापना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल और पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की पहल पर हुई थी। संस्थान में बीए, एमएड और बीएलएड के कोर्स करवाए जाते हैं। बीएड में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा ली जाती है। इसके बाद ही मैरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।
वेबसाइट : www.cie.du.ac.in

टीचिंग के अन्य प्रमुख संस्थान

एमिटी यूनिवर्सिटी
वेबसाइट
: www.amity.edu

इग्नू
मैदानगढ़ी, दिल्ली

ऋषि दयानंद यूनिवर्सिटी
वेबसाइट
: www.andurohtak.com

लवली यूनिवर्सिटी, पंजाब
वेबसाइट
: www.loyelyuniversity.com

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
वेबसाइट
: www.ipu.com

टीचिंग के कोचिंग संस्थान

विनसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज, जनकपुरी, दिल्ली
नेताजी सुभाष पॉलिटेक्नीक, द्वारका, दिल्ली
पाठशाला, मयूर विहार, दिल्ली
दिशा इंस्टीटय़ूट, बहादुरगढ़

स्कॉलरशिप

एजुकेशन की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेजों में विभिन्न शर्तों के अनुसार छात्रों को स्कॉलरशिप देने का प्रावधान है। ये संस्थाएं फीस में रियायत देकर या फिर पूरी फीस माफ करके प्रतिभावान छात्रों को सहायता प्रदान करती हैं।

एजुकेशन लोन

एजुकेशन की पढ़ाई के लिए लोन बेहद आसानी से मिल जाता है। सभी राष्ट्रीयकृत बैंक तथा प्राइवेट बैंक लोन दे सकते हैं। अंतर केवल नियमों व शर्तो का होता है। आंध्रा बैंक, केनरा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक, आईडीबीआई इनमें प्रमुख हैं। अधिक जानकारी के लिए इन बैंकों से सम्पर्क किया जा सकता है।

नौकरी के अवसर

यह मानना गलत है कि बीएड अथवा एमएड करके टीचर अथवा लेक्चरर ही बना जा सकता है। आप बीएड, एमएड इत्यादि करने के पश्चात एमफिल या पीएचडी भी इसी विषय से कर सकते हैं। इस क्षेत्र में अनुभव रखते हुए आप सुपरवाइजर, इंचार्ज, उप-प्रधानाचार्य, प्रधानाचार्य, चेयरमैन, निरीक्षक अधिकारी, इंस्पेक्टर, असिस्टेंट ऑफिसर, डेवलपमेंट ऑफिसर, एजुकेशन चीफ ऑफिसर, प्रबंधक, काउंसलर इत्यादि भी बन
सकते हैं।

वेतन

जहां तक इन शिक्षकों के नये वेतनमान का सवाल है। एनटीटी प्राप्त शिक्षक का वेतन आमतौर पर 10 से 15 हजार रुपये है। इसके बाद प्राइमरी शिक्षक का वेतनमान 20 से 25 हजार रुपये के बीच है। टीजीटी शिक्षक को आज 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। पीजीटी का वेतनमान 30 से 35 हजार रुपये है। कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर का शुरुआती वेतनमान 40 से 45 हजार रुपये है।

परामर्श

अशोक सिंह, करियर कंसल्टेंट

ग्रेजुएशन के बाद टीचिंग में जाना चाहती हूं। इस क्षेत्र में किस प्रकार का करियर हो सकता है?
शिवानी गुप्ता, रोहिणी, दिल्ली

एजुकेशन का क्षेत्र देश-विदेश में निरंतर व्यापक होता जा रहा है। स्कूली शिक्षा में सरकार के साथ प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी अब उच्च शिक्षा में भी इस क्रम में देखी जा सकती है। अगर आप स्कूली शिक्षक बनने में दिलचस्पी रखती हैं तो आपके लिए मास्टर्स डिग्री के साथ बीएड का होना जरूरी है। दूसरी ओर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में टीचिंग के लिए पीएचडी के बारे में सोचें।

ईटीई कहां से संभव है? इसके बाद किस प्रकार की टीचिंग जॉब्स हैं?
आदिल, न्यू सीमापुरी, दिल्ली

किसी भी राज्य की स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग द्वारा कोर्स का आयोजन किया जाता है। ईटीई या एलिमेंट्री टीचर एजुकेशन नामक यह दो वर्ष का डिप्लोमा है। इन का संचालन डिस्ट्रिक्ट इंस्टीटय़ूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डीआईईटी) अथवा मान्यताप्राप्त प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट द्वारा किया जाता है। इस बारे में अधिक जानकारी डिस्ट्रिक्ट इंस्टीटय़ूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (नॉर्थ-ईस्ट) जेएंडके ब्लॉक, दिलशाद गार्डन, दिल्ली-110095 से अथवा फोन 22597790 से ले सकते हैं। ईटीई के बाद प्राइमरी स्कूलों में बतौर टीचर काम कर सकते हैं।

12वीं के बाद टीचर ट्रेनिंग के कौन-कौन से कोर्सेज हैं?
हैदर अली/टीना अरोड़ा/वर्षा

12वीं के बाद ईटीई, ईसीसीई (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन) तथा बैचलर ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन नामक कोर्सेज उपलब्ध हैं। ईसीसीई कोर्स में सिर्फ महिला उम्मीदवारों को ही लिया जाता है। इसका संचालन भी ईटीई की तरह डीआईईटी द्वारा किया जाता है, जबकि बैचलर ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन कोर्स कॉलेज स्तर पर है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अदिति महाविद्यालय (बवाना), गार्गी कॉलेज (सिरी फोर्ट रोड), जीसस एंड मेरी कॉलेज (चाणक्यपुरी), लेडी श्रीराम कॉलेज (लाजपत नगर), श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज (पंजाबी बाग), विवेकानंद महिला कॉलेज आदि में यह कोर्स उपलब्ध है।

एक्सपर्ट व्यू

अध्यापन में जहां और भी हैं

बीएड के बाद छात्रों के सामने करियर के और कौन-कौन से विकल्प हैं?

बीएड करने के बाद छात्र एमएड करके किसी भी एजुकेशनल कॉलेज में लेक्चरर बन सकते हैं। वे राष्ट्रीय स्तर पर लेक्चरर बनने के लिए नेट अथवा राज्य स्तर पर लेक्चरर बनने के लिए स्टेट लेवल एंट्रेंस टैस्ट भी उत्तीर्ण कर सकते हैं। इसके अलावा सरकारी अथवा गैर-सरकारी स्कूल में 7-8 साल का अनुभव होने पर उप-प्रधानाचार्य या प्रधानाचार्य के पद के लिए आवेदन दे सकते हैं। यही नहीं, स्कूल में प्रशासनिक अनुभव होने पर वे निरीक्षक अधिकारी, असिस्टेंट ऑफिसर, डेवलपमेंट एजुकेशन ऑफिसर इत्यादि भी नियुक्त हो सकते हैं। ऐसे चयन में उन लोगों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है, जिन्हें टीचिंग में कई वर्षों का अनुभव हो। साथ ही बीएड भी की हुई हो। इसके अलावा कई अन्य परीक्षाएं समय-समय पर दिल्ली बोर्ड (डीएसएसएसबी), यूपीएससी, राज्य बोर्ड, एमसीडी इत्यादि संस्थाएं आयोजित करती रहती हैं, जिनमें बीएड किए छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है। अत: बीएड करने वाले छात्र अब केवल अध्यापक श्रेणी में ही कैद होकर नहीं रह गए हैं, यहां जहां और भी हैं।

बीएड की पढ़ाई निरंतर महंगी होती जा रही है। क्या कारण हैं?

अलग-अलग यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में इसकी फीस अलग-अलग है। सरकारी कॉलेजों में इसकी फीस काफी कम है, परंतु उनमें चयन का आधार प्रवेश परीक्षा, काउंसलिंग, इंटरव्यू इत्यादि है। प्राइवेट या सेल्फ फाइनेंशियल कॉलेजों में फीस उनके मुकाबले काफी ज्यादा है। जहां सरकारी कॉलेज में आप बीएड 5,000-15,000 रुपए तक में कर सकते हैं, वहीं प्राइवेट कॉलेज 40,000 रुपए से 2,00,000 रुपए तक लेते हैं। इसका कारण एक तो इस क्षेत्र में बढ़ते रोजगार के अवसर हैं तो दूसरी ओर छठा वेतन आयोग है, जिसके अंतर्गत टीचरों की आय में जबरदस्त वृद्धि हुई है। कई बार लोग इसी लालच में अनेक दलालों के झांसे में आकर हजारों रुपए गंवा बैठते हैं। ऐसे लोगों से बचना चाहिए।

बीएड करने वाले छात्रों को क्या संदेश देना चाहेंगी?

वे समय के पाबंद हों तथा धैर्य से काम लेना सीखें। अध्यापक चाहे वह विद्यालय में हो या विश्वविद्यालय में, वे संपूर्ण समाज की नींव है। छात्र जो भी गुण प्रदर्शित करते हैं, वह गुरुओं का ही सिखाया प्रतिबिंब होता है। अत: यदि हमें समाज को सही दिशा दिखानी है तो पहले हमें खुद की दिशाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। साथ ही अध्यापक को सादगी से भरपूर, मृदुभाषी, विनम्र तथा बहुमुखी प्रतिभाओं से भरपूर होना चाहिए। अध्यापक का क्षेत्र केवल लेक्चर देना नहीं, बल्कि प्रत्येक छात्र की मूलभूत समस्या को समझ कर उसका समाधान निकालना है। अत: उसे अध्यापक रहते हुए माता-पिता, डॉक्टर, काउंसलर, पथ-प्रदर्शक इत्यादि का रोल भी अपनाना होगा।

अपनी पढ़ने की चाह को रुकने न दें

मंदाकिनी धर, अध्यापक, एमसीडी, पटपड़गंज, दिल्ली

अध्यापक होना मुझे पारिवारिक विरासत में मिला। मेरे पिता दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अंग्रेजी के लेक्चरर थे। मेरी माताजी भी सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। मेरी दीदी भी सरकारी स्कूल में कार्यरत हैं।

मेरे पिताजी बचपन से ही मुझे टीचर बनाना चाहते थे। मैंने भी उनके सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही। बारहवीं कक्षा साइंस विषय से पास करने के बाद मैंने डाइट की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की और सरकारी स्कूल में प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्त हो गई।

इसके बाद माता-पिता की सलाह पर मैंने इग्नू से बीएससी तथा बीएड की। उन्होंने मुझे समझाया कि सिर्फ डाइट करके प्राइमरी टीचर बनना ही मेरा उद्देश्य नहीं होना चाहिए, बल्कि इस दिशा में और पढ़ाई करके प्रमोशन लेना भी आवश्यक है। अगर मुझे टीजीटी या पीजीटी बनना है तो बीएड करना बेहद जरूरी है। इससे मेरे लिए तरक्की के रास्ते और बेहतर हो जाएंगे। मेरे पति व ससुराल वालों ने मेरा पूरा साथ दिया।

मैंने उन सबकी बात मानते हुए नौकरी करते हुए पत्राचार के माध्यम से बीएड कर ली। अब मेरा टीजीटी का प्रमोशन इस साल के अंत तक डय़ू है। अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर मैं यही कहूंगी कि अपनी पढ़ने की चाह को रुकने न दें। शिक्षा एक ऐसा अनमोल धन है, जो बांटने से बढ़ता है।

(अंजली धर/आनंद कुमार,नई दिशाएं,हिंदुस्तान,दिल्ली,1 जून,2010)

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