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02 जून 2010

मध्यप्रदेश के प्राईवेट कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे में गरीबों को लेने की अनिवार्यता

मध्यप्रदेश में प्राईवेट प्रोफेशनल कालेजों को अगले सत्र से मैनेजमेंट कोटा तो मिलना लगभग तय हो गया है, लेकिन यह सौगात भी सशर्त होगी। सबसे बड़ी शर्त होंगे गरीब और आरक्षित विद्यार्थी। कालेजों को कोटा चाहिए तो उन्हें गरीबों को साथ रखना होगा। इनके बिना कालेज अपनी मर्जी से एक सीट भी नहीं भर सकेंगे। कालेज प्रबंधन इस बात से मुकरते हैं तो आगे चलकर नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। असल में यह सार है प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रस्तावित नियमों का। इस बार बिना प्रवेश नियम के पीईपीटी कराने वाले तकनीकी शिक्षा विभाग ने नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इन नियमों को प्रदेश के विधि विभाग ने भी मंजूरी दे दी है। लंबे इंतजार के बाद विधि विभाग ने प्रवेश नियमों को अपनी मंजूरी दे दी है। प्रायवेट कालेजों के लिए बनाए गए प्रवेश नियमों में राज्य शासन ने इस बार गरीबों का विशेष ध्यान रखा है। सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक पाठ्यक्रम में दस फीसदी सीटें कालेज प्रबंधन अपनी मर्जी से भर सकेंगे। मगर इसके बदले उन्हें राज्य शासन की दो शर्ते विशेष रूप से मानना होगी। अव्वल तो फीस वेबर स्कीम में गरीबों को निशुल्क शिक्षा देना होगी। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा आरक्षण प्रावधानों का पालन करते हुए एससी, एसटी एवं ओबीसी को तो रोस्टर के तहत प्रवेश देना ही होगा। साथ ही इन्हें फीस में भी छूट देना अनिवार्य होगा। जानकारी के अनुसार राज्य शासन ने मैनेजमेंट कोटे के लिए शर्त रखी है कि एससी, एसटी और ओबीसी से कालेज उतनी ही फीस लेंगे, जितनी राज्य शासन से प्रतिपूर्ति होती है। कालेज के लिए निर्धारित फीस और प्रतिपूर्ति के बीच की राशि कालेजों द्वारा विद्यार्थियों से वसूल नहीं की जाएगी। सूत्रों की मानें तो नए नियम आजकल में जारी किए जा सकते हैं। विधि से मंजूरी के बाद नियमों को अंतिम रूप देकर राजपत्र में प्रकाशन के लिए भेज दिया जाएगा। ताकि काउंसलिंग के पहले छात्रों तक नियमों की जानकारी पहुंच जाएं। उल्लेखनीय है कि पहली बार बिना प्रवेश नियम के ही शासन ने पीईटी आयोजित की है। परीक्षा के पहले मात्र परीक्षा नियम बनाकर भेजे गए थे। हालांकि मोहलत मिलने के बाद भी राज्य शासन समय पर नियम नहीं बना सका है। यह नियम मई के पहले सप्ताह में अपेक्षित थे। फिर भी फायदे में रहेंगे कालेज : गरीब छात्रों को निशुल्क पढ़ाने और आरक्षित वर्ग से शासकीय कालेजों के लिए निर्धारित फीस लेने के बाद भी कालेजों को कोई नुकसान नहीं होगा। मैनेजमेंट कोटे की दस फीसदी सीटों के लिए कालेजों के पास कई विकल्प रहेंगे। इसका फायदा वे उठा सकते हैं। एआईसीटीई ने फीस वेबर स्कीम में अधिकतम दस फीसदी सीटों का प्रावधान किया है। इनके बदले कालेजों में उतनी ही सीटें बढ़ सकती हैं। हालांकि एआईसीटीई द्वारा नए नियमों में एक लाख रुपए फीस रखने से इस बार अधिकांश कालेजों ने कदम खींच लिये हैं(दैनिक जागरण,भोपाल,2 जून,2010)।

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