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28 जून 2010

छात्रों से पहले गुरु जी को पढ़ाने की चुनौती

देश में आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में बच्चों को पढ़ाने, स्कूल की दहलीज तक लाने से बड़ी समस्या उन गुरुओं को पढ़ाने की है, जिन पर स्कूलों में नई पौध को तैयार करने का जिम्मा है। बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, जम्मू व कश्मीर और ओड़ीशा में बड़ी तादाद में ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें प्रशिक्षित करना राज्यों के लिए बड़ी चुनौती है।

केंद्र ने इन राज्यों को ‘बी’ श्रेणी में रखते हुए इन राज्यों से अपेक्षा की है कि वे अपने यहां अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए विशेष फोकस वाले कार्यक्रम चलाएं। हालांकि खुशी की बात यह है कि पहले ‘बीमारू’ राज्यों में शुमार रहे मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्य ‘ए’ श्रेणी में हैं और केंद्र के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक यहां अध्यापक प्रशिक्षण की समस्या ज्यादा नहीं है। सबसे खस्ता हाल उत्तर पूर्वी राज्यों का है। ‘सी’ श्रेणी में शामिल नार्थ-ईस्ट राज्यों में कई ऐसे सूबे हैं जहां अनट्रेन्ड टीचर्स की तादाद करीब 75 फीसदी तक है।
मानव संसाधन मंत्रालय ने इन सभी राज्यों से अध्यापक प्रशिक्षण पर खास जोर देने को कहा है।

गौरतलब है कि ‘राइट टू एजूकेशन’ कानून के तहत गुणवत्ता पर भी खास फोकस है। स्कूलों में निर्धारित मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण हासिल करना शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। सरकार ने इन सर्विस प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रम तैयार किए हैं। जबकि एनसीटीई की ओर से मान्यता प्राप्त अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अलावा कई तरह के रिफ्रेशर कोर्स भी अलग अलग राज्यों मंे चलाए जा रहे हैं। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल शिक्षकों के प्रशिक्षण के मसले पर लगतार राज्यों के संपर्क में हैं। मंत्रालय की ओर से राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे जल्द से जल्द स्थिति को दुरूस्त करें।

‘बी’ श्रेणी में शामिल राज्य

आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कुल 45386 शिक्षक प्रशिक्षित हैं। यह कुल शिक्षकों की संख्या का 31.4 फीसदी है। बिहार में 50.9 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 27.6 फीसदी, असम में 61.3 फीसदी, जम्मू व कश्मीर में 45.5 फीसदी, झारखंड में 36.1 फीसदी, पश्चिम बंगाल में कुल 34.2 फीसदी, ओड़ीशा में 17.8 फीसदी अप्रशिक्षित श्रेणी में हैं। समस्या यह है कि अनट्रेन्ड शिक्षकों की तादाद की तुलना में इन राज्यों में प्रशिक्षण पाठयक्रम डीएड, बीएड की क्षमता बहुत कम

‘ए’ श्रेणी में शामिल राज्य

आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड में अप्रशिक्षित अध्यापकों की तादाद बहुत कम है। इन राज्यों को टीचर तैयार करने की पर्याप्त क्षमता वाले राज्यों में भी शुमार किया गया है(पंकज पांडेय,दैनिक भास्कर,दिल्ली,28.6.2010)।

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