पंजाब सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े और अल्पसंख्यक छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए कर्ज दो देना चाहती है, लेकिन उसे कर्जदार नहीं मिल रहे। आलम यह है कि राज्य सरकार ने यह योजना चार साल पहले शुरू की थी, लेकिन अब तक 10 लोग भी इसका फायदा नहीं उठा पाए। इस योजना के विफल होने के पीछे कहीं न कहीं सरकार भी जिम्मेदार है। अधिकांश लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है। जो योजना के बारे में जानते भी हैं, वह कर्ज देने वाले बैंकों की शर्त सुनकर ही पीछे हट जाते हैं। किसी गरीब छात्र को बैंक तभी कर्ज देंगे, जब उनके अभिभावक गारंटी के तौर पर कोई संपत्ति बैंक के पास रखेंगे। सरकार ने शायद इस ओर ध्यान नहीं दिया कि जिसके पास गारंटी देने के लिए संपत्ति होगी वह कर्ज ही क्यूं लेगा। यही वजह है कि पंजाब पिछड़ी श्रेणियां भूमि विकास एवं वित्त निगम (बैकफिंको) की ओर से दो विभिन्न योजनाओं के तहत पिछड़ी श्रेणियों एवं अल्पसंख्यक छात्रों को दिए जाना वाला सस्ता कर्ज जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा। हैरानी की बात तो यह है कि इन योजनाओं को शुरू हुए चार वर्ष से ज्यादा समय हो गया, मगर प्रदेश भर में इनका लाभ लेने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा दहाई का अंक भी पार नहीं कर पाया है। बैकफिंको के चेयरमैन बलदेव सिंह मामूजोइयां ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इन लाभदायक योजनाओं के लिए प्रचार का अभाव है। सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए मीडिया को ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने में बैकफिंको की मदद करनी चाहिए। मामूजोइयां के अनुसार, इस बार राज्य के ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को यह लाभ दिलाने के लिए सभी यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलरों को पत्र लिखे जा चुके हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार, नए शैक्षणिक स्तर के लिए दोनों स्कीमों के अंतर्गत अभी तक 4-5 विद्यार्थियों ने ही संपर्क किया है। यह दयनीय प्रदर्शन बैंकफिंको पंजाब की दिल्ली में स्थिति और ज्यादा दयनीय बना देता है, क्योंकि वहां कई राज्यों का प्रदर्शन लक्ष्य से कहीं बढ़कर रहता है। विभाग के अनुसार, इस वर्ष के लिए पंजाब को दोनों स्कीमों के लिए 20-20 विद्यार्थियों का लक्ष्य दिया हुआ है। उसको यह भी छूट है कि लक्ष्य से अधिक जितने भी योग्य विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए कर्ज मांगते हैं, उन सबको कर्ज मुहैया करवा दिया जाए। केंद्र पैसे की कमी नहीं आने देगा। राष्ट्री पिछड़ी श्रेणियां एवं वित्त विकास निगम (एनएमबीसीएफडीसी) द्वारा पिछड़ी श्रेणियों के विद्यार्थियों और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) द्वारा अल्पसंख्यक परिवार से संबंधित विद्यार्थियों को केवल 3 से लेकर 4 फीसदी ब्याज दर पर शिक्षा कर्ज मुहैया कराया जाता है। सरकार द्वारा 64 पिछड़ी श्रेणियों और अल्पसंख्यकों में सिख, पारसी, बौद्ध, मुसलिम और ईसाई धर्म से संबंधित वे सभी परिवार हैं, जिनकी सीमित वार्षिक आय है। वार्षिक आय सीमा ग्रामीण क्षेत्र में 39,500 रुपये और शहरी क्षेत्र में 54,500 रुपये निर्धारित की गई है। योजना के अनुसार, अल्पसंख्यक परिवार का योग्य विद्यार्थी 3 फीसदी ब्याज दर पर 2.5 लाख रुपये तक और पिछड़ी श्रेणी का विद्यार्थी 4 फीसदी ब्याज दर पर 5 लाख रुपये तक का शिक्षा कर्ज प्राप्त कर सकता है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,3 जून,2010)।
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