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23 जून 2010

स्पोर्ट्स मैनेजमेंट: प्रबंधन खेल-खेल में

आईपीएल का खुमार अभी उतरा भी नहीं था कि टेलीविजन से लेकर कॉलोनी के पार्क तक फीफा वर्ल्ड कप की धूम मची हुई है। हो भी क्यों न, भारत में खेल देखा नहीं, बल्कि जीया जो जाता है। आज हर तरफ फीफा की धूम मची हुई है। कोई रोनाल्डो बना घूम रहा है तो कोई मैसी। जिसे देखो, अपनी दीवानगी जाहिर करने के लिए नए-नए उपाय करता नजर आ रहा है। आज से दो दशक पहले की बात करें तो क्या क्रिकेट और क्या फुटबाल, दर्शकों की दीवानगी तो खूब दिखी, लेकिन जुनूनी हद तक कभी नजर नहीं आई। माया का बढ़ता प्रभाव कहें या फिर आम और खास आदमी की भारी होती जेब, आज जिस तरह का बदलाव नजर आ रहा है, उसने साबित कर दिया कि मार्केट में खेल भी बिकता है।
क्रिकेट, फुटबॉल तो फिर भी खासे पापुलर खेल हैं, आज तो हॉकी, बैडमिंटन से लेकर बॉक्सिंग तक और टेनिस से लेकर कुश्ती तक हर खेल और उसके खिलाड़ी दर्शकों के पसंदीदा बनते जा रहे हैं। खिलाड़ी जो चला वह अर्श पर और जो असफल रहा वह फर्श पर। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि खेल-खिलाड़ियों की दुनिया में इतनी रंगीनी, लोगों की इतनी दिवानगी अचानक कैसे पैदा हुई तो जवाब मिलता है मार्केटिंग फिट हो तो सब हिट। बस यही बात अहम है, जो आज स्पोर्ट्स चाहे वो क्रिकेट हो या फिर हॉकी या निशानेबाजी, सभी के लिए टीवी से लेकर स्टेडियम तक, क्लब से लेकर कॉलोनी की सड़कों तक दर्शकों का अच्छा-खासा जमावड़ा लगने लगा है। इस दीवानगी से दर्शकों को चाहे जो मिले, आयोजकों को मोटी आमदनी जरूर हो जाती है। खेल के साथ मुनाफे को जोड़ने में उम्दा मैनेजरों की भूमिका किसी से छुपी नहीं है और यही वह कारण है कि आज स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एक पॉपुलर करियर ऑप्शन के तौर पर पहचान बना रहा है।
क्या है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट
मैनेजमेंट से सीधा पर्याय है बेहतर प्रबंधन, फिर वह चाहे स्पोर्ट्स मैनेजमेंट ही क्यों न हो। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का सीधा अर्थ है खिलाड़ियों के खेल से परे एक मैच के आयोजन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज का बेहतर प्रबंधन। चूंकि आज खेल का सीधा सम्बंध मुनाफे से जुड़ गया है, सो स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का अर्थ है एक आयोजन का इस तरह से मैनेजमेंट करना, जिससे कि उम्दा आयोजन के साथ-साथ अधिकतम मुनाफा कमाया जा सके। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए सबसे पहली अनिवार्य योग्यता है खेल और उससे जुड़े तमाम पहलुओं से जुड़ा होना। बैचलर डिग्री कोर्स के लिए बारहवीं पास उम्मीदवारों का मैरिट के आधार पर दाखिला होता है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री व डिप्लोमा पाठय़क्रमों के लिए कम से कम 40 फीसदी अंकों से ग्रेजुएट होना जरूरी है। इसी तरह स्पोर्ट्स इकोनॉमिक्स एंड मार्केटिंग सरीखे सर्टिफिकेट कोर्स के लिए आवेदक का बारहवीं पास होना ही पर्याप्त है यानी जैसी योग्यता, वैसे पाठय़क्रम में अध्ययन का अवसर यहां उपलब्ध है।
विस्तृत होता दायरा यानी भरपूर विकास
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का दायरा बेहद विस्तृत है यानी इसमें विकास की भरपूर सम्भावनाएं मौजूद हैं। यह एक ऐसी फील्ड है, जिससे जुड़े प्रोफेशनल खेल को जानते तो हैं, लेकिन खिलाड़ी नहीं हैं। ऐसे लोग खेलते तो नहीं हैं, लेकिन खेल से होने वाले मुनाफे व उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों में इनकी भूमिका अहम होती है। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के तहत आने वाली फील्ड की बात करें तो इसमें ब्रांड-इंडोर्समेंट, स्पोर्ट्स गुड्स प्रमोशन, फैशन-गैजेट प्रमोशन, ग्राउंड अरेंजमेंट, सिलेब्रिटी मैनेजमेंट, स्पोर्ट्स एजेंट और स्पोर्ट्स टूरिज्म जैसी कई स्पेशलाइज्ड फील्ड आती हैं। इन सभी में कहीं न कहीं एक अच्छा मैनेजर ज्यादा से ज्यादा फायदा कमाने का प्रयास करता है और यही उसकी विशेषज्ञता की असल पहचान होती है। मतलब खिलाड़ी अपना खेल खेलता है, लेकिन उसके माध्यम से होने वाली कमाई का खेल और उसका प्रबंधन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कहलाता है। खिलाड़ी के खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और तो और उसके हैल्थ ड्रिंक के प्रमोशन तक से मुनाफा कमाया जा रहा है।
आज के दौर में उपयोगिता
रोनाल्डो की टी-शर्ट हो या फिर सचिन तेंदुलकर की दस नम्बरी टी-शर्ट, मार्केट में उतरने के बाद भले उसे तैयार करने की लागत 100 रुपये ही क्यों न हो, फैंस उसे 500 व 1000 रुपये में यूं ही खरीद लेते हैं। यही है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का मार्केटिंग फंडा। आज के दौर में कभी खेल के मैदान पर नजर आने वाले स्पोर्ट्स शूज हमारी दैनिक जरूरत का सामान बन चुके हैं। हम और आप बेहद शान के साथ उन जूतों को पहन ऑफिस तक तन कर पहुंच जाते हैं। यही है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का प्रभाव। आज के दौर में इसकी बढ़ी उपयोगिता का अंदाजा लगाने की बात की जाए तो क्रिकेट में सचिन बिकता है तो फुटबॉल में बाईचुंग भूटिया। आज के दौर में कुश्ती के सुशील कुमार की पहचान किसी से छिपी नहीं और न ही बॉक्सिंग प्लेयर विजेन्द्र व अखिल कुमार की। खेल चाहे जो हो, आज मार्केटिंक के बूते आम जनता के बीच सब बिक रहा है। मुनाफे की इस अंधी दौड़ में कमाने वाला जम कर कमा रहा है। दर्शकों का रूझान नई-नई उपलब्धियों को देख कर नए-नए खेलों की ओर बढ़ रहा है।
आईपीएल मैच की बात करें तो यहां तो भारतीय खिलाड़ियों का जमावड़ा नजर आता है, लेकिन फीफा जिसमें भारतीय प्रतिनिधित्व भी नहीं है तो भी भारतीय दर्शकों के बीच यह खेल इस कदर पैठ बना चुका है कि रात 12 बजे लोग मैच देखते हैं और सुबह उठ कर मैदान में फुटबॉल के साथ अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाते हैं। खेल के प्रति बढ़ी यही दीवानगी है, जिसके लिए आम आदमी की जेब से पैसा निकलते देर नहीं लगती और इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए ही स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एक्सपर्ट जुटे रहते हैं। मैदान के अंदर और बाहर हर जगह, हर तरह से मुनाफा कमाया जा रहा है। पुलेला गोपीचंद को प्रसिद्ध मिली तो अपनी अकेडमी खोल औरों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। मार्केटिंग अपने आप ही हो गई, जब एक स्टार खिलाड़ी ही अकेडमी खोल सिखाएगा तो भीड़ जुटना तो लाजमी है।
यही वह कारण है कि रोहतक की सायना नेहवाल हैदराबाद तक पहुंच जाती है। आज साइना अपने आप में एक चर्चित नाम है। ऐसा नाम, जिसके आधार पर मार्केट में मुनाफा कमाया जा रहा है।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के प्रमुख संस्थान
अलगप्पा यूनिवर्सिटी, कराई कुडी, तमिलनाड़कोर्स - पीजी डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंटवेबसाइट- www.alagappauniversitydde.in
लुजैन यूनिवर्सिटी, स्विट्जरलैंडकोर्स - बैचलर ऑफ साइंस इन स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एजुकेशन वेबसाइट- www.unil.ch/enseignement
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के अन्य प्रमुख संस्थान
- इंदिरा गांधी इंस्टीटय़ूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, दिल्ली विश्वविद्यालय, विकासपुरी, नई दिल्लीवेबसाइट - www.igipess.com
श्री गुरू तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी, उत्तरी परिसर, नई दिल्लीवेबसाइट- http://sgtbkhalsa.du.ac.in/
कोचिंग संस्थान
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और इस क्षेत्र से सम्बंध रखने वाले अन्य पाठय़क्रमों के लिए विशिष्ट कोचिंग संस्थान उपलब्ध नहीं हैं। मुख्य तौर पर यह कोर्स सम्बंधित शिक्षण संस्थान की फैकल्टी तक सीमित रहता है। रही बात कोचिंग की तो दिल्ली विश्वविद्यालय सहित ज्यादातर शिक्षण संस्थान में विशेष टय़ूटोरियल क्लासेज का प्रावधान हो चुका है। छात्रों की शंकाओं का समाधान विशेषज्ञ शिक्षक अलग से कोचिंग देकर करते हैं।
स्कॉलरशिप
स्पोर्ट्स के क्षेत्र में करियर बना रहे युवाओं के लिए तो विभिन्न तरह की आर्थिक रियायतों व स्कॉलरशिप का प्रावधान है, लेकिन इस फील्ड से सम्बद्ध पाठय़क्रमों की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए आर्थिक सहायता सम्बंधित शिक्षण संस्थान की ओर से दी जाती है। तमाम सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रतिभावान छात्रों को मैरिट व उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर स्कॉलरशिप व सहायता मुहैया कराई जाती है। इतना ही नहीं, युवा एवं खेल मंत्रालय भी ऐसे प्रतिभावान छात्रों को स्पोर्ट्स फील्ड में आगे ले जाने के लिए प्रयासरत है।
एजुकेशन लोन
शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन का प्रावधान आज हर कोर्स के लिए है। ऐसे में यदि आप विदेश शिक्षा के लिए जाते हैं तो राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय बैंक आपको लोन देते हैं। राष्ट्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय बैंक से लोन लेने पर नियमों और शर्तो के साथ-साथ ब्याज दरों में भी फर्क देखने को मिलता है।
नौकरी के अवसर
जिस तरह से खेल और खिलाड़ियों के लिए सम्भावनाओं में इजाफा हो रहा है, ठीक उसी तरह आज के दौर में स्पोर्ट्स फील्ड से जुड़ी अन्य दिशाओं में विस्तार की प्रक्रिया जोरों पर है। आईपीएल से लेकर फीफा तक हर जगह, आपके लिए रोजगार की भरमार है। आप चाहे आयोजन स्थल पर हों या फिर उससे सात समंदर पार। इस फील्ड में आप ईवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स एजेंट, पीआर एगजीक्यूटिव, ब्रांड प्रमोटर, ब्रांडिंग एक्सपर्ट, सिलेब्रिटी मैनेजर, ग्राउंड मैनेजर, गेम प्रमोटर, स्पोर्ट्स टूरिस्ट सहित स्पोर्ट्स एनालिस्ट तक तमाम क्षेत्रों में काम कर सकते हैं।
वेतन
कमाई एक ऐसा पहलू है, जो खेल की पॉपुलेरिटी पर निर्भर करता है। जो आमदनी या मुनाफा क्रिकेट व फुटबॉल प्रमोटर को मिलती है, वह कुश्ती व हॉकी वालों को नहीं। लेकिन आज के दौर में इस फील्ड में सक्रिय एक्सपर्ट किसी एक खेल से ही नहीं जुड़े हैं। शुरुआती आमदनी की बात करें तो पीजी कोर्स कर इस फील्ड में आने पर आपको शुरुआती कमाई 15 से 20 हजार रुपये मासिक होती है, जबकि सर्टिफिकेट कोर्स में यह कम होकर 10 से 12 हजार रह जाती है।
परामर्श
अशोक सिंह, करियर काउंसलर
मैंने बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन का कोर्स किया है। मैं स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में करियर कैसे बना सकता हूं। -मोनू, गाजियाबाद
आप निम्न संस्थानों में उपलब्ध पी. जी. डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में करियर निर्माण की दिशा में अपने कदम बढ़ा सकते हैं। अलगप्पा यूनिवर्सिटी, इंदिरा गांधी इंस्टीटय़ूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज, नई दिल्ली। इसमें अलगप्पा यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से यह कोर्स ऑफर किया जाता है। इसके बाद सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के खेल संगठनों और क्लबों में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
मैंने इसी वर्ष 12वीं की है। स्पोर्ट्स सेक्टर में किन माध्यमों के जरिए करियर बना सकता हूं। - रोहित, सुल्तानपुर
इस क्षेत्र में प्रवेश करने के कई रास्ते हो सकते हैं। सबसे पहला तो है बतौर स्पोर्ट्स मैन, जिसमें आप विभिन्न खेल स्पधाओं में सीधे हिस्सा ले सकते हैं। इसके बाद कोच के तौर पर करियर निर्माण के अवसर हो सकते हैं। यही नहीं, बतौर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट, स्पोर्ट्स मैनेजर में भी मेहनत और लगन के बूते बेहतरीन करियर बनाने के बारे में सोच सकते हैं।
मैं 10वीं पास हूं। कृपया मुझे बताएं कि स्पोर्ट्स में लड़कियों के लिए किस प्रकार के अवसर हो सकते हैं। - अपर्णा, दिल्ली
अभी देखा जाए तो खेलों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है, जिससे अभी इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए बहुत संभावनाएं हैं।
एक्सपर्ट व्यू
डॉ. स्मिता मिश्र, एसोसिएट प्रोफेसर, गुरू तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
ऐसा क्षेत्र, जिसमें संभावनाएं हैं अपार
मनोरंजन के माध्यम के तौर पर पॉपुलर हुआ खेल आज मार्केट से सीधा जा जुड़ा है। ऐसे में भले ही आप खिलाड़ी न हों, खेल की समझ रखते हैं और बाजार की नब्ज पहचानते हैं तो स्पोर्ट्स मैनेजमेंट से जुड़ कर न सिर्फ करियर बना सकते हैं, बल्कि अपने अंदर के खेल प्रेमी व खिलाड़ी को ताउम्र जिंदा रख सकते हैं।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की फील्ड में काम करने के लिए अध्ययन कितना जरूरी है?
पढ़ाई-लिखाई हर क्षेत्र में सफलता के लिए जरूरी है। जब तक कि आप फील्ड की बारीकियों को नहीं पहचानेंगे, तब तक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी होगा। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की फील्ड प्रबंधन के अन्य क्षेत्रों की ही तरह गम्भीर है और इसमें करियर बनाने के इच्छुक युवाओं में खेल के प्रति लगाव के साथ-साथ व्यावहारिक अध्ययन भी जरूरी है। कोर्स की उपलब्धता अभी उतनी सहज नहीं है, जितनी कि अन्य प्रबंधन पाठय़क्रमों की और यहीं कारण है कि आज भी इस क्षेत्र की ओर युवाओं का रुझान कम है।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में रोजगार की सम्भावनाओं के बारे में बताएं।
रोजगार की सम्भावनाओं के स्तर पर देखें तो यह एक ऐसा विकल्प है, जिसमें किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह भरपूर अवसर मौजूद हैं। फिर चाहे आप मार्केटिंग में काम करना चाहते हैं या फिर प्रबंधन में। आपकी रुचि ब्रांड प्रमोशन में है तो ब्रांडिंग से जुड़ जाएं और यदि ईवेंट मैनेजमेंट में है तो ईवेंट मैनेजर बन जाएं। इसके अलावा एडवरटाइजमेंट से लेकर खिलाड़ियों के एंडोर्समेंट तक के सभी काम स्पोर्ट्स मैनेजमेंट फील्ड के एक्सपर्ट्स ही करते हैं। मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो आईपीएल के बाद अब देश में राष्ट्रमंडल खेलों जैसा बड़ा खेल महाकुंभ होने जा रहा है। ऐसे में यदि विशेषज्ञ स्पोर्ट्स मैनेजर की बात करें तो उनकी संख्या बहुत कम है। यही वह सम्भावनाएं हैं, जिन्हें भुना कर युवा इस फील्ड में उम्दा एंट्री कर सकते हैं और आने वाले समय में भी उनके लिए बेहतर सम्भावनाओं में इजाफा तय है।
इस क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं को आपकी सलाह।
मेरी सलाह तो यही है कि इस फील्ड में आएं तो तैयार रहें, क्योंकि आप जितना नया करने के लिए तैयार होंगे, उतनी ही आपकी तरक्की होगी। आपको मार्केट की चाल के साथ-साथ खेल के प्रति आम आदमी के रुझान को लगातार बरकरार रखना है। जब तक खेल की पॉपुलेरिटी रहेगी, तब तक आपकी उपयोगिता कायम रहेगी। इसलिए आपको न सिर्फ मार्केट की नब्ज पकड़नी होगी, बल्कि खेल आयोजनों को इस कदर आकर्षक बनाना होगा कि हर आम और खास उसे सब कुछ छोड़ कर देखने के लिए प्रेरित हो।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की फील्ड खेल-खिलाड़ी के साथ ही ग्लैमर से भी जुड़ी हुई है, इसलिए अपनी हर नई योजना से उसे जोड़ें और आगे बढ़ें। सफलता आपके कदम चूमेगी|(Payal |Rawat,Nai |Dishayen,Hindustan,22.6.2010)।

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