झारखँड के 12,279 पारा शिक्षक अप्रशिक्षित रह जाएंगे। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने इस वर्ष से सिर्फ पारा शिक्षकों के लिए संचालित होने वाले डिप्लोमा इन प्राइमरी एजुकेशन (डीपीई) पाठ्यक्रम को बंद कर दिया है। दरअसल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इस पाठ्यक्रम को आगे चलाने के लिए इग्नू को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। इग्नू ने सूचना अधिकार कानून के तहत बोकारो के एक आवेदक शैलेश को सूचना देकर इसकी पुष्टि भी की है। उल्लेखनीय है कि इग्नू द्वारा पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए यह पाठ्यक्रम जनवरी 2005 में शुरू किया गया था। जनवरी व जुलाई माह में निर्धारित संख्या में पारा शिक्षकों का नामांकन लिया जाता था। इग्नू द्वारा इस पाठ्यक्रम के लिए जुलाई 2009 तक नामांकन लिये गए। राज्य सरकार ने इस पाठ्यक्रम को अगले वर्ष के लिए भी विस्तार देने की मांग की थी, जिसे इग्नू ने अस्वीकार कर दिया। डीपीई पाठ्यक्रम बंद होने से प्रदेश में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 लागू करने में बड़ी समस्या खड़ी होगी। ज्ञात हो प्रदेश में कुल पारा शिक्षकों की संख्या लगभग 80 हजार है। इनमें से 67,721 पारा शिक्षक इग्नू के डीपीई पाठ्यक्रम के लिए नामांकित हैं। इनमें से लगभग 35 हजार पारा शिक्षकों का प्रशिक्षण पूरा भी हो चुका है लेकिन 12,279 पारा शिक्षकों का नामांकन इस पाठ्यक्रम के लिए नहीं हो सका। शिक्षा के अधिनियम के लागू होने से इन पारा शिक्षकों को प्रशिक्षित कराना सरकार के लिए अनिवार्य होगा, नहीं तो इन्हें बाहर का रास्ता दिखाना होगा। हालांकि शिक्षा सचिव मृदुला सिन्हा ने इनके प्रशिक्षण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किए जाने की बात कही है। इधर, ये 12,279 पारा शिक्षक प्रशिक्षित नहीं होने के कारण होनेवाली 13,332 प्राथमिक शिक्षकों की बहाली के लिए योग्य नहीं होंगे। पिछले वर्ष से राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों के आधे पद पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित कर दिया है। ये पारा शिक्षक इसका लाभ उठा नहीं पाएंगे(नीरज अम्बष्ट,दैनिक जागरण,रांची,22.7.2010)।
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