मध्यप्रदेश के अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूलों और कॉलेजों के 3500 शिक्षकों को राज्य सरकार अपनी सेवा में सशर्त लेगी। उसने इस आशय का हलफनामा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दिया है। इन अनुदानित स्कूल-कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले 10 वर्ष से आधा वेतन मिल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राज्य सरकार को 377 अनुदानित स्कूल-कॉलेजों के 3500 शिक्षकों को सरकारी सेवा में लेने के लिए योजना बनाकर सौंपनी थी, लेकिन उसने योजना की बजाए सिर्फ हलफनामा बनाकर कोर्ट को दे दिया।
उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार उसने सभी नियमों को ध्यान में रखकर ही कॉलेज शिक्षकों के लिए हलफनामा दिया है। उधर, नाम न छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने कहा कि हलफनामे की शर्ते उन्हें मंजूर नहीं हैं। यह निर्णय लेकर सरकार शिक्षकों को दोबारा कोर्ट में जाने को मजबूर कर रही है।
हलफनामा में ये हैं शर्तें
अनुदानित कॉलेजों के जो शिक्षक यूजीसी की सभी पात्रता पूरी करेंगे उन्हें सरकारी सेवा में लिया जाएगा। लेकिन यह सिर्फ मप्र उच्च शिक्षा विभाग के पास खाली सीटों के बदले ही होगा।
शिक्षकों को सरकारी सेवा में लेने के बाद उन्हें पिछले वर्षो का एरियर नहीं दिया जाएगा।
जो शिक्षक यूजीसी की पात्रता अनुसार अर्हता पूरी नहीं करेंगे उन्हें नियत परीक्षा उत्तीर्ण करने पर ही सेवा में लिया जा सकेगा।
जिस दिन ग्रेडेशन लिस्ट बनेगी व शिक्षकों का संविलियन किया जाएगा उसी दिन से सरकारी सेवा मानी जाएगी। उससे पहले की वरिष्ठता नहीं मानी जाएगी।
गैर-शिक्षकीय स्टॉफ को भी सेवा में लिया जाएगा। अगर उच्च शिक्षा विभाग के पास पद रिक्त नहीं होंगे तो दूसरे विभागों से जानकारी मांगी जाएगी उसके बाद उन्हें सेवा में लेने पर विचार किया जाएगा(दैनिक भास्कर,भोपाल,25.7.2010)।
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