ग्वालियर. जीवाजी यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के नामांकन शुल्क में लाखों रुपए की हेराफेरी की जा रही है। प्रथम वर्ष में नामांकन शुल्क देने के बावजूद अधिकतर विद्यार्थियों को नामांकन क्रमांक नहीं दिए गए।
इसके चलते उनका परिणाम रोक दिया गया है। परिणाम घोषित कराने के लिए उन्हें फिर से नामांकन शुल्क जमा करना पड़ रहा है। महाविद्यालय प्रबंधन और जेयू प्रशासन एक दूसरे पर नामांकन शुल्क की हेराफेरी के आरोप लगा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक नामांकन विभाग में प्रतिदिन 25 से 30 विद्यार्थी ऐसे आ रहे हैं, जो दूसरी बार नामांकन शुल्क जमा कर रहे हैं। पुन: नामांकन शुल्क देने वाले विभिन्न महाविद्यालय के विद्यार्थियों की कुल संख्या लगभग पांच हजार बताई जा रही है। इन विद्यार्थियों का कुल नामांकन शुल्क 10 लाख रुपए होता है।
जेयू प्रशासन प्रतिवर्ष प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश ले चुके विद्यार्थियों से शुल्क के साथ नामांकन फॉर्म जमा करने के निर्देश महाविद्यालयों को जारी करता है। महाविद्यालय निर्धारित तिथि के अंदर नामांकन शुल्क लेते हैं। इसके बाद ये शुल्क जेयू में जमा कराए जाते हैं या नहीं,इसका रिकॉर्ड दोनों में से कोई भी दिखाने को तैयार नहीं है।
जेयू व महाविद्यालय के कर्मचारी छात्र को रिकार्ड दिखाने के बजाय एक दूसरे के पास दौड़ाते हैं। छात्रों का कहना है कि यदि महाविद्यालय जेयू में नामांकन शुल्क जमा करा देते हैं तो प्रथम वर्ष में ही उन्हें नामांकन क्रमांक उपलब्ध क्यों नहीं कराया जा रहा? जेयू प्रशासन का कहना है कि महाविद्यालय जिन विद्यार्थियों का नामांकन शुल्क भेजता है, उनको नामांकन क्रमांक आवंटित करा दिया जाता है।
कर्मचारी नहीं देखते रिकॉर्ड: नामांकन विभाग में नियुक्त कर्मचारियों के पास जब विद्यार्थी नामांकन शुल्क जमा होने की बात कहकर नामांकन क्रमांक आवंटित करने को कहते हैं तो कर्मचारी उनसे रसीद दिखाने की बात करते हैं।
विद्यार्थियों के पास रसीद न होने के कारण उन्हें पुन: नामांकन शुल्क जमा करने के लिए कहा जा रहा है। कर्मचारियों को संबंधित कॉलेज का रिकॉर्ड देखकर पता करना चाहिए कि कालेज ने शुल्क भेजा था या नहीं। इससे पता चलता है कि इस घपले में कालेज व यूनिवर्सिटी दोनों के स्टाफ की मिलीभगत है।
200 रुपए देते हैं विलम्ब शुल्क: नामांकन क्रमांक लेने वाले विद्यार्थियों पर दोहरी आर्थिक चोट पड़ रही है। 200 रुपए नामांकन शुल्क देने के साथ 200 रुपए विलम्ब शुल्क देना पड़ रहा है जबकि विद्यार्थी पहले ही नामांकन शुल्क दे चुके हैं।
केस -वन
अनूप कुमार ने एसएलपी महाविद्यालय मुरार से बीए किया है। प्रथम वर्ष में प्रवेश लेते समय उसने नामांकन शुल्क भी महाविद्यालय में जमा किया था लेकिन उसे नामांकन क्रमांक नहीं मिला। इस कारण जेयू ने बीए अंतिम वर्ष का परिणाम रोक दिया है। अब नामांकन कराने के लिए उसने पुन: शुल्क जमा किया है।
केस -टू
पीजी कॉलेज दतिया से बीएससी करने वाले अंशुल कुमार का नामांकन अब तक नहीं हो सका है जबकि उसने नामांकन शुल्क पहले ही जमा कर दिया था। नामांकन क्रमांक न होने के कारण उसका अंतिम वर्ष का परिणाम रोक दिया गया है। उसने पुन: नामांकन कराने के लिए जेयू में नामांकन शुल्क 200 रुपए जमा किया है।
जेयू में प्रत्येक विद्यार्थी का नामांकन शुल्क जमा किया जाता है। इसके बावजूद कुछ विद्यार्थियों को नामांकन क्रमांक नहीं मिल पाता। इस कारण विद्यार्थियों को दोबारा नामांकन शुल्क लेट फीस के साथ जमा करना पड़ता है।
डॉ.यूजी तिवारी,प्राचार्य,एसएलपी
महाविद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों का नामांकन शुल्क जमा करने के बाद नामांकन क्रमांक एलॉट कर दिया जाता है। किसी भी विद्यार्थी से दो बार नामांकन शुल्क नहीं लेते। नामांकन शुल्क में यदि गड़बडी की जा रही है तो इस मामले की जांच कराएंगे।
डॉ.राजीव मिश्रा,सहायक कुलसचिव परीक्षा जेयू(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,25.7.2010)
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