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24 जुलाई 2010

सागर मेडिकल कॉलेज से मान्यता का खतरा टला

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की मान्यता संबंधी मामले में हाईकोर्ट जबलपुर के न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश सुरेशचन्द्र सिन्हा की युगलपीठ ने मेडिकल कॉलेज के पक्ष में फैसला सुनाया है और एमबीबीएस की कक्षाएं सुचारू रूप से चलाने का आदेश पारित किया है।

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत एमबीबीएस (प्रथम वर्ष) के छात्रों के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं। उनका अध्यापन प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मेडिकल कॉलेज में जो आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं कॉलेज प्रशासन १५ सितम्बर तक उन्हें मुहैया कराए। जैसे-जैसे सुविधाएं कॉलेज को मिलती जाएंगी वैसे-वैसे मेडिकल कॉलेज की खामियां दूर होती जाएंगी। कॉलेज प्रशासन द्वारा स्टाफ की कमी भी दूर कर दी गई है तथा कॉलेज का शेष कार्य निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि अध्ययनरत सौ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। पीईटी, पीएमटी की काउंसिलिंग भी प्रभावित नहीं होगी। इस फैसले में एमसीआई की तरफ से पैरवी कर रही इन्द्रा नायक द्वारा आपत्ति की गई किंतु हाईकोर्ट द्वारा इस आपत्ति को नकार दिया गया व मेडिकल कॉलेज के पक्ष में फैसला सुनाया।
उधर,स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने विधानसभा में भी भरोसा दिलाया है कि प्रदेश के सागर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता निरस्त नहीं होने दी जाएगी। यह मामला विधायक लखन घनघोरिया ने उठाया था। उनका कहना था कि जबलपुर से चार विशेषज्ञ डॉक्टरों को सागर भेज दिया गया है। इससे जबलपुर मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ गई है। इस पर अध्यक्ष ने भी कहा कि मंत्रीजी इसे गंभीरता से लें।

जवाब में श्री हार्डिया ने कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा परिषद की मान्यता निरस्त नहीं हो, इसके पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। श्री रोहाणी ने कहा कि जबलपुर से सागर भेजे गए चिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञ शिक्षकों को वापस जबलपुर भेजा जाना चाहिए।(नई दुनिया,भोपाल,24.7.2010)।

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