दिल्ली से बाहर के विश्वविद्यालयों से रेगुलर कोर्स कराने के नाम पर बड़े पैमाने पर जारी गोरखधंधे पर लगाम लगाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) आगे आया है। अखबार में छपे इस तरह के विज्ञापन को ही पर्याप्त सबूत मानते हुए यूजीसी ने रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) को नोटिस भेज कर जवाब मांगा है। साथ ही विश्वविद्यालय को मिलने वाला अनुदान भी रोक लिया है। यूजीसी के आदेश की कॉपी दैनिक जागरण के पास है। राजधानी के विश्वविद्यालयों में एक से डेढ़ लाख सीट हैं, जबकि दाखिला चाहने वाले छात्रों की संख्या चार लाख से ऊपर है। ऐसे में डीयू, जेएनयू, जामिया, आईपी विश्वविद्यालयों में दाखिले से काफी संख्या में छात्र वंचित रह जाते हैं। इन्हीं छात्रों को निजी शिक्षण संस्थान तथा दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालय भ्रामक विज्ञापन देकरबीबीए, बीसीए, एमबीए आदि की डिग्री दिलाने की लालच देते हैं। ताजा मामले में राजधानी के कई निजी शिक्षण संस्थानों ने एमडीयू (महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय) रोहतक से संबद्ध्ता दर्शाते हुए अखबारों में विज्ञापन छपवाया जिसमें तीन साल में बीबीए और दो साल में एमबीए के रेगुलर कोर्स कराने का दावा किया गया है। छात्रों को पढाई के लिए दिल्ली में ही सुविधा देने की भई बात इन विज्ञापनों में है। विज्ञापन के आधार पर कई छात्रों ने दाखिला ले भी लिया। लेकिन शक होने पर कुछ छात्रों ने जब यूजीसी से संपर्क किया तो इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ। यूजीसी ने फौरन अपनी साइट पर इस गोरखधंधे का खुलासा करते हुए छात्रों को आगाह किया कि ऐसे दावे झूठे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट किया है कि जो विश्वविद्यालय जिस राज्य में हैं वहीं निर्धारित क्षेत्र में वे कैम्पस या संबद्ध शिक्षण संस्थानों के माध्यम से रेगुलर कोर्स करा सकते हैं। दूसरे राज्य में स्थित विश्वविद्यालय दिल्ली में रेगुलर कोर्स की पढ़ाई कराने के लिए अनुमन्य नहीं है। क्षेत्र से बाहर कुछ विश्वविद्यालय पत्राचार कोर्स चला रहे हैं, जो यूजीसी द्वारा मान्य हैं(विभूति कुमार रस्तोगी, दैनिक जागरण,दिल्ली,24.7.2010)।
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