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24 जुलाई 2010

गंभीर विषयों पर बनेगी कॉमिक्स

समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में आने वाले गंभीर विश्लेषणों एवं संपादकीय के विषयों को कॉमिक्स में समाहित किया गया है। व‌र्ल्ड कॉमिक्स इंडिया ने हाल में प्रकाशित कॉमिक्स संकलन में यह कमाल कर दिखाया। इसके द्वारा बच्चों को हल्के अंदाज में गंभीर मुद्दों की शिक्षा दी जा सकेगी। विकास के मुद्दों पर गत वर्ष शुरू की गई कॉमिक्स श्रृंखला डेव कॉम का यह दूसरा संस्करण है।
पहला संस्करण विनाशकाल : विपरीत बुद्धि में चार से छह पृष्ठों में पंद्रह कहानियां थीं। वहीं इस बार सोलह पृष्ठों की पांच कॉमिक्स लाई जाएंगी। इसमें बंगाल के सिंगूर प्लांट से विस्थापित होकर दिल्ली आए मजदूर भूपेन की कहानी को राजेश्वरी ने कॉमिक्स का रूप दिया है। व‌र्ल्ड कॉमिक्स इंडिया देश के दूर-दराज इलाकों में कॉमिक्स को पहुंचाने के लिए अभियान चला रहा है। भारत से शुरू हुआ यह आंदोलन पाकिस्तान के अलावा यूरोप व लैटिन अमेरिका के देशों में भी पहुंच चुका है। इस दौरान कॉमिक्स से प्रेरित बच्चों ने स्कूल प्रांगण की सफाई कराई तो कहीं हैंडपंप लगाने में सहायता की। ऐसे बच्चों को कॉमिक्स प्रशिक्षक बनाया गया। इसमें सिद्धार्थ ने बाजारीकरण के दौर में पिता-पुत्र के रिश्तों को उकेरा है। वहीं सुंदर मोहन मुर्मू ने अपनी कहानी रंग के साए में नस्लवाद व क्षेत्रवाद से प्रभावित छात्र को मुद्दा बनाया। इसके अलावा नस्लवाद पर कार्टूनिस्ट शरद शर्मा ने अंग्रेजी भाषा में पुस्तक लिखी(दैनिक जागरण,दिल्ली,24.7.2010)।

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