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22 जुलाई 2010

विदेशी भाषा में भविष्य

अपनी मातृभाषा से तो हर कोई परिचित रहता है। इसे सीखने के लिए थोड़े से भी अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़ते। हमेशा से भाषा संबंधी ज्ञान रखने वालों की विशेष पूछ रही है और अगर यह ज्ञान एक से अधिक भाषाओं का हो तो व्यक्ति की शख्सियत में चार-चांद लग जाते हैं। एक समय तक बहुभाषी होने का अर्थ एक ही देश की अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होना समझा जाता था लेकिन अब समय बदल चुका है। आज के परिवेश में किसी एक देश के कई प्रांतों की भाषा का ज्ञान उतना मायने नहीं रखता जितना कि एक विदेशी यानी फॉरेन लैंग्वेज की जानकारी का होना रखता है। आधुनिक परिवेश में भाषा का अच्छा ज्ञान होने का अर्थ है तरक्की की सीढिय़ां चढऩा। संवाद स्थापित करने के लिए भाषा एक सशक्त माध्यम है।

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जहां ग्लोबिश जैसी नई भाषा जन्म ले रही है, किसी भी विदेशी भाषा की जानकारी होना आपको लाखों की भीड़ में अलग बना सकता है। विदेशी भाषा की जानकारी होना अब सिर्फ एक बड़ी शख्सियत होने तक सीमित नहीं रह गया बल्कि यह करिअर का जगमगाता क्षेत्र बन भी चुका है। फॉरेन लैंग्वेज के क्षेत्र में किसी एक या एक से अधिक भाषा का ज्ञान रखने वालों को हाथों-हाथ लिया जाता है। किसी भी विदेशी भाषा में विशेषज्ञता हासिल करके न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी रोजगार के बेहतर साधन उपलब्ध हैं। सम्मान व आर्थिक संपन्नता से भरे इस क्षेत्र में समय के साथ-साथ उन्नति दर्ज की जा रही है। इसलिए आने वाले समय में यह क्षेत्र अनगिनत संभावनाओं से भरा होगा।

इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए सबसे पहले किसी एक भाषा का चयन कर लें। यह चयन सिर्फ किसी के कहने या बाजार के रुख को देखकर ही न करें बल्कि जिस देश की सांस्कृतिक व भौगोलिक पृष्ठïभूमि में आपकी रुचि हो उसे ही करिअर बनाने के उद्देश्य से फॉरेन लैंग्वेज के रूप में चुनें। फॉरेन लैंग्वेज के जानकार होने के बाद इस क्षेत्र में मौजूद तमाम प्रकार के कामों में आप अपना योगदान दे सकते हैं। इनमें ट्रांसलेटर, इंटरप्रिंटर, टीचिंग जैसे लैंग्वेज से जुड़े कार्य मुख्य हैं। फॉरेन लैंग्वेज सीखने का अर्थ मात्र किसी विदेशी भाषा का ज्ञान होना भर नहीं बल्कि इसमें व्यक्ति को उस देश की सभी सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का ज्ञान होना भी जरूरी है। ऐसा करके ही विदेशी भाषा में निपुणता हासिल की जा सकती है और इस क्षेत्र में सफलता अर्जित कर सकते हैं।

फारेन लैंग्वेज के क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए आपकी अंग्रेजी भाषा पर विशेष पकड़ होनी चाहिए, क्योंकि किसी भी अन्य विदेशी भाषा को सीखने का अभ्यास अंग्रेजी से ही कराया जाता है। जब तक आपकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ नहीं होगी आप फारेन लैंग्वेज का संपूर्र्ण ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते। इसके अलावा इस क्षेत्र मे सफल होने के लिए जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना भीजरूरी है। इस गुण के साथ ही आप भाषा ज्ञान के अलावा इससे जुड़ी अन्य जानकारियों को हासिल करने में रुचि लेंगे।

कोर्स : देशभर में तमाम नामी-गिरामी विश्वविद्यालय कई अलग-अलग विदेशी भाषाओं में डिप्लोमा, डिग्री या सर्टिफकेट कोर्स कराते हैं। इन सभी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए योग्यता व कोर्स की अवधि भिन्न-भिन्न है। देश में कई ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स भी उपलब्ध हैं जो अलग-अलग स्तर पर भिन्न-भिन्न विदेशी भाषाओं से जुड़े कोर्स चलाते हैं। फॉरेन लैंग्वेज मे बैचलर डिग्री होल्डर इस कोर्स की मास्टर डिग्री के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन यह सुविधा सीमित विश्वविद्यालयों में ही उपलब्ध है। फॉरेन लैंग्वेज सिखाने के दौररन कुछ संस्थानों मे कई रुचिकर तरीके अपनाए जाते हैं, जिनमें ऑडियो कैसेट्स, वीडियो क्लिप्स, प्रोजेक्टर और पढऩे-सिखाने के अन्य तकनीकी उपकरण प्रयोग किए जाते हैं। इस समय मेट्रोपोलिटन शहरो मे फॉरेन लैंग्वेज सिखाने के तमाम संस्थान खुल चुके हैं।

योग्यता : इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं पड़ती लेकिन अच्छा यही है कि आप किसी छोटे संस्थान से ट्रेनिंग ले लें। इसके बाद ही किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से डिग्री या डिप्लोमा कोर्र्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। कुछ संस्थान जैसे जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कोर्र्स मे प्रवेश देने से पहले प्रवेश परीक्षा आयोजित कराती हैं, परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को ही यूनिवर्सिटी में प्रवेश दिया जाता है। उत्तीर्ण छात्रों को अंकों के प्रतिशत के आधार पर बीए, एमए और एमफिल. के कोर्स में प्रवेश दिया जाता है।

जॉब प्रोसपेक्ट्स : फॉरेन लैंग्वेज में डिग्री या डिप्लोमा होल्डर फ्रीलान्स जॉब या किसी विशेष संस्थान से जुड़कर नौकरी की शुरुआत कर सकता है इसके अलावा किसी बिजनेस फर्म मे फॉरेन लैंग्वेज के जानकारों की विशेष पूछ रहती है, देश-विदेश में कई इंटरनेशनल बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन में इंटरपे्रटर व ट्रांसलेटर की जरूरत रहती है जो विदेशी कंपनियों से होने वाले व्यापारिक संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ट्रेवल एजेंसी व भारत सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट मे भी विदेशी भाषा के जानकारों के लिए हमेशा जगमह बनी रहती है। इसके अतिरिक्त देश-विदेश व इंटरपे्रटर के रूप में रखा जाता है।

प्रमुख संस्थान : विभिन्न विदेशी भाषाओं की शिक्षा देने के लिए देशभर में कई नामी शिक्षण संस्थान मौजूद हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं:
1. स्कूल ऑफ लैंग्वेजिस, ओखला, दिल्ली.
2.जामिया मिलिया इस्लामिया , ओखला, दिल्ली.
3. गोवा यूनिवर्सिटी, गोवा
4. उर्दू टीचिंग एंड रिसर्च सेंटर, सपरून, हिमाचल प्रदेश.
5. बैंगलोर यूनिवर्सिटी, जनाना भारती, बैंगलोर
6. साउथ रीजनल लैंग्वेज सेंटर, मनसा गंगोत्री, मैसूर
7. यूनिवर्सिटी ऑफ बाम्बे, फोर्ट, मुम्बई
8. वेस्टर्न रीजनल लैंग्वेज सेंटर, डेक्कन कॉलेज, पुणे
9. इलाहाबाद यूनिवॢसटी
10. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
11. नार्थन रीजनल लैंग्वेज सेंटर, पंजाबी भवन पटियाला।
(सपना बाजपेयी मिश्रा,दैनिक ट्रिब्यून,7 अप्रैल,2010)

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