केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए केंद्र से शत प्रतिशत पैसे की मांग कर रही राज्य सरकारें अपने यहां बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने से कतरा रही हैं । मायावती सरकार का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सारा पैसा केंद्र से ही चाहिए तो वे साफ तौर पर कह दें कि बच्चों को नहीं प़ढ़ाएंगे। उसके बाद जनता उनको जवाब देगी। उन्होंने कहा कि कुछ का हिसाब वर्ष २००९ के चुनाव में हो गया है तो कुछ का २०१२ में मिल जाएगा । उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस का वनवास २०१२ में २३ साल बाद खत्म होगा और रामराज्य होगा। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि उत्तर प्रदेश ने शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने के लिए जो रोड मैप बनाया है वह उससे संतुष्ट हैं ।
लखनऊ में भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के नवनिर्मित संघमित्रा महिला छात्रावास का उद्घाटन एवं १२ सौ की क्षमता वाले ऑडिटोरियम की आधारशिला रखने के बाद एक औपचारिक बातचीत में उन्होंने साफ किया कि शिक्षा का कोई भी कानून मदरसों में हस्तक्षेप नहीं करेगा । हमारा इरादा मजहबी तालीम में दखल नहीं देना है । अपने मंत्रालय के कामकाज का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जल्दी ही एजूकेशन फाइनेंस कारपोरेशन का गठन होगा । जिससे न केवल छात्रों को प़ढ़ाई के लिए आठ फीसदी की सस्ती दर पर कर्ज मुहैया हो सकेगा बल्कि स्कूल खोलने के लिए भी दीर्घकालिक ऋण दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि प़ढ़ाई के लिए दिए जाने वाले ऋण की गारंटी केंद्र सरकार लेगी । छात्रों की सभी मार्कशीट डीमैट के स्वरूप में होंगी जो यूआईडी में दर्ज होगी। ताकि नियोक्ता यह जान सकें कि जिसे नौकरी दी जा रही है । उसके ऊपर कितना ऋण है। ऋण के भुगतान की जिम्मेदारी नियोक्ता की होगी । उन्होंने शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) को लागू करने की तैयारियों के मद्देनजर तमिलनाडु को अव्वल और पश्चिम बंगाल को फिसड्डी बताया । उन्होंने कहा कि अभिभावकों की जेब पर ज्यादा असर न प़ड़े । इसलिए उच्च व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की एक परीक्षा ली जाए । हालांकि आईआईटी में इसके अलावा एक और परीक्षा अपनी ओर से कराने का आग्रह किया है । उन्होंने बताया कि इन प्रवेश परीक्षाओं में ७० फीसदी वेटेज कक्षा १२ के अंकों का होगा और तीस फीसदी अंक बौद्घिक क्षमता के दिए जाएंगे । जबकि आरटीई के तहत पांच साल में दो लाख ३१ हजार करो़ड़ रूपए खर्च किए जाएंगे(नई दुनिया,दिल्ली,26.7.2010) ।
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