यदि आपको लगता है कि आप में टीम लीडर बनने की क्षमता है, तो इस बारे में एक बार फिर अवश्य सोचें। लगातार बदलते बिजनेस परिदृश्य, सूचना क्रांति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आए बदलावों के कारण विभिन्न संगठनों की कार्यपद्धति में बदलाव आ रहा है। इसी के साथ लीडर की भूमिका में भी। वर्तमान में लीडरशिप पहले की तुलना में अधिक पावरफुल हो गई है। किसी भी स्तर पर पहुंचने के लिए क्षमता के साथ-साथ एटीटय़ूड होना जरूरी हो गया है। विप्रो टेक्नोलॉजी इंडिया में कंसल्टेंट एस. मारिया प्रीथी के अनुसार लीडरशिप का मतलब केवल पद से नहीं है, यह किसी व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला चुनाव है और किसी भी स्तर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। आपने कुछ कर्मचारियों को यह शिकायत करते सुना होगा कि उन्हें नेतृत्व करने का मौका नहीं मिलता। पर जब हम इस संदर्भ में कोई अपना खुद का आकलन करते हैं तो पता चलता है कि उन्होंने किसी विषय में पहल करना नहीं चाहा अथवा ऐसे अवसरों का निर्माण नहीं किया जहां वे टीम का प्रतिनिधित्व कर सकते थे। बार्को के प्रबंध निदेशक नलिन अडवानी के अनुसार सूचना और जागरूकता किसी भी स्तर पर लीडरशिप की दो अहम बाते हैं। यदि आप अपनी भूमिका अच्छी तरह समझते हैं, टीम संरचना में अपनी जगह और उद्देश्यों को समझते हैं तो आप अपने काम अपने कार्य का निर्वहन सही से कर पाते हैं। इस स्थिति में किसी बहाने से या फिर काम नहीं चल सकता। निजी जीवन में आपका एटीटय़ूड काम पर आपके प्रदर्शन के बारे में दर्शाता है। नेतृत्व करने के अवसर हर जगह हैं। प्रश्न है क्या आप अपने आस-पास और अधीनस्थ लोगों का ध्यान रखते हैं और पहल करने में यकीन करते है? सौ प्रतिशत: अपने जीवन और करियर की सौ प्रतिशत गारंटी लें। अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को ब्लेम करना छोड़ें। हमारी अपनी विलंब इसका कारण हो सकती है। जिस वक्त आप अपने काम के प्रति जवाबदेह हो जाते हैं, आप लीडरशिप की राह पर होते हैं। मजबूत पक्ष उभारें: अपने मजबूत पक्षों और क्षमताओं को जानें। लक्ष्य बड़ा बनाएं: अपने लक्ष्यों का निर्धारण करना कितना जरूरी है यह सब जानते हैं। पर साथ ही यह भी जरूरी है कि आप बड़े लक्ष्य बनाएं। इसका नतीजा होगा कि आप उन्हें हासिल करने की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाएंगे और अपनी सीमाओं का विस्तार करेंगे। डर को ताकत बनाएं: अपने डर को पहचाने और उनसे दूरी बनाने का प्रयास करें। अपनी असुरक्षाओं को दूर करें। उत्साह और जोश सफलता दिलाते हैं। ऐसे में कदम आगे बढ़ाना आपकी क्षमताओं का बढ़ाता है। सक्रिय बनें: किसी नए कार्य को करने का मन बनाएं और इसके लिए पहल करें। कितने ही लोग अपनी क्षमताओं पर यकीन न करने के कारण अपने अच्छे विचारों को बेकार और अनुत्पादक साबित कर देते हैं। आदर्श समय कुछ नहीं होता। यदि आपके पास कोई अच्छा विचार है तो उस पर आगे की योजना बनाने के लिए तत्पर हों। प्रक्रिया का आनंद लें: जो भी काम कर रहे हैं उसे भरपूर आनंद के साथ करें। कई बार हम खुद को दयनीय बना देते हैं यह सोचकर कि हम अच्छा काम नहीं कर रहे हैं। कन्फ्यूशियस ने कहा है जहां भी आप जाएं पूरे दिल के साथ जाएं। जितनी अधिक अंदरूनी खुशी होगी, उतना ही हम सफलता के लिए प्रेरित होंगे। दूसरों की मदद: दूसरों को उनके उद्देश्य हासिल करने में सहायता करें। अधीनस्थों को अपनी भूमिकाएं निभाने के लिए सही स्पेस और अधिकार प्रदान करें। खुद तक सीमित न रहें। असफलता अस्थायी गलती है: गलतियों को तर्कपूर्ण तरीके से सोचना और स्वीकार करना बड़ा अंतर लाता है। गलतियों पर भावुक प्रतिक्रिया हमारे निर्णयों को बदल देती है और अपराधबोध पैदा करती है। असफलताओं से घबराने की आवश्यकता नहीं, सफलता इसमें है कि आप कितनी जल्दी दोबारा खड़े होकर आगे बढ़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। वास्तविक रहें: दूसरों से प्रेरित होना अच्छी बात है पर उनकी सफलता की नकल करना हमेशा काम नहीं आता। खुद को स्वीकार करें। जोखिम लें, इस प्रक्रिया में अनुभव होंगे। कुल मिलाकर प्रत्येक व्यक्ति लीडर है और लीडर बनने की क्षमता रखता है।(हिंदुस्तान,दिल्ली,19-20 जुलाई,2010)
मुख्य समाचारः
22 जुलाई 2010
नेतृत्व क्षमता
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।