छत्तीसगढ़ के मिडल स्कूलों में अब छत्तीसगढ़ी भी कोर्स में शामिल की जा रही है। छठवीं, सातवीं और आठवीं की हिंदी की किताबों में छत्तीसगढ़ी भाषा के पांच-पांच पाठ रहेंगे। सत्र 2011 से इसकी पढ़ाई शुरू होगी।
दिया जाएगा प्रशिक्षण: छत्तीसगढ़ी को कोर्स में शामिल करने संस्कृति और स्कूल शिक्षा विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। कोर्स में प्रदेश के महापुरुषों की जीवनी, लोक कथाएं, निबंध, संस्मरण आदि शामिल किए जाएंगे। पढ़ाने से पहले सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद के पाठ्य पुस्तक लेखन प्रकोष्ठ को मिडिल स्कूलों की हिंदी की किताबों में पाठ शामिल करने की जिम्मेदारी दी गई है। हिंदी की किताबों में अब करीब 20-25 प्रतिशत पाठ छत्तीसगढ़ी के होंगे। डाइट खैरागढ़ को पाठों के निर्माण का दायित्व दिया गया है। छत्तीसगढ़ी के लेखक व साहित्कारों की मदद ली जा रही है। इस साल दिसंबर तक किताबें तैयार कर ली जाएंगी। तीसरी से पांचवीं तक की विषय भारती में भी सादरी भाषा के पांच-पांच पाठों का समावेश किया जा रहा है। जशपुर डाइट यह कार्य कर रहा है।
हो रही सराहना: कक्षा तीसरी से पांचवीं तक पूर्व में ही छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंड़ी, सरगुजिहा व कुड़ुख भाषाओं का समावेश कर लिया गया है। इस सत्र से इसे संबंधित क्षेत्रो के स्कूलों में लागू कर दिया है। पाठ्य पुस्तकों में क्षेत्रीय भाषा के पाठों को शामिल करने की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा रही है। पिछले महीने बैंगलूर में भाषा पर आयोजित वर्कशाप में एससीईआरटी के ज्वाइंट डायरेक्टर एनपी कौशिक व बी.आर साहू द्वारा दिए गए प्रजेंटेशन को अन्य राज्यों ने काफी पसंद किया।
इनका कहना है: भाषायी संस्कृति छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण संपत्ति है। छोटे राज्य में इतनी बड़ी भाषायी विधिता अगली पीढ़ी के लिए धरोहर है। इसकी जानकारी उन्हें होनी चाहिए। कोर्स में इस वजह से छत्तीसगढ़ी का समावेश किया जा रहा है।
-- बृजमोहन अग्रवाल, संस्कृति मंत्री(दैनिक भास्कर,रायपुर,6.8.2010)
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