गलती करना मानवीय है और क्षमा करना दिव्य, पर इसके बीच एक ऐसा कार्य है जो इन दो के बीच निभाना होता है यानी किसी कार्य के गलत होने पर उसकी जिम्मेदारी लेना। कार्यस्थल पर कई बार पूरी जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने और दायित्व निभाने के बावजूद गलतियां हो जाती हैं। पर कोई बात कितना बड़ा मुद्दा बन सकती है और हम कितना उन गलतियों से सीख सकते हैं, वह निर्भर करता है कि हम गलतियों का सामना कैसे करते हैं।
गलती स्वीकार करके एक सकारात्मक समाधान की तरफ कदम बढ़ाना हानिकारक परिणामों को कम से कम करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है, जिससे खुद की साख भी बचाई जा सकती है और कंपनी के नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
यूं करें तैयारी—सबसे पहले गलती का पता चलने पर अपने बॉस के पास जाकर उन्हें स्थिति से अवगत करा दें। गलती स्वीकार न करना अथवा उसके लिए कोई बहाना बनाना सबसे पहले यह जाहिर करता है कि आपके पास सूचनाओं की कमी है। जो आपकी समस्या को बढ़ाएगा ही, क्या गलत हो रहा है और उस गलती के प्रति पूरी गंभीरता दिखाना नुकसान कम करने के रास्ते खोलता है। आप गलती की जिम्मेदारी लेने के साथ उसको सही करने की प्रक्रिया में भी जुड़ते हैं।
आरोप लगाने से बचें: कई बार ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं जिसमें पूरी गलती आपकी नहीं होती या आपको बेवजह उस समस्या में घसीट लिया जाता है। जाहिर है इसमें आपकी पहली प्रतिक्रिया निराशाजनक होगी और आप खुद को शिकार महसूस करेंगे। पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में समय ही व्यर्थ होगा। यदि आप गलतियों से सीखते हैं तो यह दूसरों के सामने भी आदर्श उपस्थित करेगा।
गलती की जिम्मेदारी लेना और इसके लिए पूरी तरह खुद को जिम्मेदार मानना दो अलग बात है। हममें से अधिकतर का मानना है कि अच्छे कर्मचारी और कुशल लीडर का मतलब बिना किसी गलती के काम करना है। पर यह भी सच है कि कई बार प्रोटोकॉल न अपनाना या निर्णय लेने में गलती होना नई चीजों को समझने में मदद करता है(Hindustan,Delhi,4.8.2010)।
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05 अगस्त 2010
गलतियों का सामना
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beshak aapne alfazon ko nahi samjh ko likha hai jo kisi ki samjh me beshak aayegi
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